भाजपा के गुजरात के प्रमुख जीतू वाघानी और अमित शाह के बीच बंद कमरे में एक बैठक अहमदाबाद में हुई। वाघानी को तुरंत अमित शाह के सरकारी विश्राम गृह में बुलाया गया। जहां उनसे पूछा गया कि अल्पेश ठाकोर को हराने के लिए पार्टी की गुप्त योजना कैसे लीक हुई।
उपप्रमुख के कक्ष में भाजपा के गांधीनगर कार्यालय में भाजपा और राजपा के बागी नेता की उपस्थिति में यह बयान दिया गया कि अल्पेश ठाकोर को हराने के लिए पहले से ही दृढ़ थे। ईसीलीये तो टिकट दी गई थी । बात लीक हुई और अल्पेश ठाकोर तक पहुंच गई। अल्पेश ठाकोर ने दिल्ली में शिकायत की थी। उन्होंने तुरंत एक ब्राह्मण नेता को बुलाया और उन्हें बताया।
अल्पेश ठाकोर को हराने की गुप्त योजना के रूप में अमित शाह ने जीतू वाघाની को कहा था । योजना के अनुसार, अल्पेश के सहयोगी धवल झाला को जीतना था। लेकिन प्रदीप सिंह उन्हें जीत नहीं सके।
कोंग्रेस को गुजरात में परास्त करने के लीये अल्पेश को भाजपा में सामील करने का प्लान बनावाया गया था ।
राधनपुर भाजपा और आल्पेश के लिए एक युद्धक्षेत्र बन गया।
अल्पेश ठाकोर खुद मानते हैं कि बीजेपी ने उन्हें पार्टी में लेने पर किसी अन्य की तरह सम्मान नहीं दिया। अल्पेश ठाकोर को इस तरह से नहीं लिया गया था कि भाजपा में विठ्ठल रादडिया, जवाहर चावड़ा और कुंवरजी बावलीया को सार्वजनिक रूप से सम्मानित कर के पक्ष में सामेल कीया गया था। अल्पेश ठाकोर ने जोर देकर कहा था कि राहुल गांधी को पार्टी में ले जाने के लिए गांधीनगर में एक सार्वजनिक कार्यक्रम लेकर कांग्रेस ने किया ठीक उसी तरह भाजपा में जाना चाहिए। लेकिन बीजेपी ने इनकार कर दिया और उन्हें कार्यालय में आने और पार्टी में शामिल होने के लिए कहा। उस समय मुख्य मंत्री भी हाजीर नहीं छे ।
क्यों नहीं मंत्री बनाया गया
जवाहर और कुंवरजी को पार्टी द्वारा तुरंत मंत्री बनाया गया था। अल्पेश की मंत्री बनाने की मांग के बावजूद उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया। अल्पेश ने उस संबंध में अपने दोस्तों के साथ कई बार कहा था। लेकिन उनके लिए कोई और रास्ता नहीं बचा था। तब यह निर्णय लिया गया कि अल्पेश का पार्टी में कोई स्थान नहीं है। अगर वह इसे मंत्री बनाते हैं, तो भाजपा के मंत्री हारते । इसलिए, उन्हें न तो पार्टी में कोई पद दिया गया और न ही मंत्री पद दिया गया। लेकिन अल्पेश को यह साजिश समझ नहीं आई। अब उनको बादमे अमित शाह और भाजपा की साजिश का पता चला था।
क्यों पीटा?
जो भी कांग्रेस को धोखा दे सकता है वह बीजेपी के साथ ऐसा कर सकता है। अल्पेश विद्रोही स्वभाव का हैं। इसलिए अमित शाह को पता था कि भले ही वह भाजपा में आए और मंत्री बने, लेकिन वह पार्टी की मदद करने के बजाय खुद की स्थिति स्थापित करेंगे। बगावत करेंगे। दूसरा शंकर सिंह और तीसरा केशुभाई पटेल हो सकता है। इसलिए पार्टी में जाते ही उनकी हार तय हो गई।
ठाकोर सेना
अल्पेश ठाकोर भाजपा में मात्र कार्यकर्ता हैं। वह सक्रिय कार्यकर्ता भी नहीं है। इसकी अपनी ठाकोर सेना है। भाजपा का कोई समानांतर संगठन नहीं हो सकता। हालांकि, अल्पेश ठाकोर को ठाकोर सेना को चलाने की अनुमति दी गई थी। इसे बंद नहीं कहा गया था। इस प्रकार, भाजपा ने पहले ही तय कर लिया था कि ठाकोर सेना प्रमुख नहीं जीतेंगे।
इस प्रकार, धवल ज़ाला जीतने वाले थे लेकिन वह हार गए हैं।
मुख्यमंत्री का शक
अल्पेश ठाकोर को गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी और भाजपा मंत्री शंकर चौधरी ने राजनीतिक रूप से सहायता प्रदान की। अपने समर्थन को व्यक्त करने के लिए दोनों अल्पेश ठाकोर के साथ आए। अल्पेश ठाकोर दोनों नेताओं से अक्सर मिलते थे। उनके साथ राजनीतिक दरार थी। लेकिन यह उन्हें समाप्त करने की साजिश का हिस्सा था। जिस तरह अमित चावड़ा ने कांग्रेस में शामिल किया, अल्पेश ठाकुर को धोखा दीया, उसी तरह अल्पेश ठाकुर की पीठ के नीचे भाजपा के नेताओं ने धोखा दिया ।
चुनाव चल रहा था और मुख्यमंत्री विजय रूपानी विदेश जा रहे थे। उन्होंने भारत पर शासन करने वाले मुस्लिम मुगलों के देश जाते हुए गुजरात के व्यापार के बारे में बात की। लेकिन आल्पेश को जीतने की कोशिश करने के बजाय, वह गुजरात से बाहर जा रहे थे।
शंकर चौधरी विरोध करने क्यों गए
भाजपा की योजना थी कि कैसे अल्पेश ठाकोर को हराया जाए। यह योजना शंकर चौधरी के लिए तैयार की गई थी। हार के फौरन बाद, अल्पेश ठाकोर ने बिना नाम लिए शंकर चौधरी पर हमला किया।
शंकर चौधरी पार्टी के फैसले के खिलाफ कभी नहीं गए। शंकर चौधरी ने भाजपा के अल्पेश ठाकोर को हराने के लिए काम किया है। इसके अलावा, प्रदीप सिंह जडेजा राधनपुर में कभी भी अमित शाह के सभी राजनीतिक कार्यों को करने के लिए ठाकोर को जीतने नहीं गए। शंकर चौधरी प्रचार में नहीं गए। उनके समर्थक नोटा में वोट की अपील करने के बावजूद, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष जीतू वाघानी ने पार्टी के एक भी कार्यकर्ता के सामने एकश्कोन नहीं लीया । अल्पेश ठाकोर को हराने और नोटा में अपना वोट डालने के लिए प्रचार करने वाले भाजपा कार्यकर्ताओं के सबूत हैं।
अल्पेश ठाकोर ने कहा कि चाती वादी कारकों ने हराया
शंकर चौधरी के जातिवादी आंदोलन पर उंगली उठाते हुए अल्पेश ठाकोर ने घोषणा की कि जातिवाद की राजनीति हुई कि मैं हार गया। यह आने वाले लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। भविष्य में, मुझे जहां भी लड़ना है, अधिकारों के लिए लड़ूंगा, मुझे वह काम करना होगा जो करने की जरूरत है। यह गरीबों को कुछ न देने की साजिश थी।
इस प्रकार वे भाजपा नेताओं को षड्यंत्रकारी कह रहे हैं। वह शंकर चौधरी पर उंगली उठाता है। लेकिन शंकर चौधरी अमित शाह के इशारे पर काम कर रहे थे।
शंकर चौधरी की ओर उंगली फिर से उठी
अल्पेश ठाकोर ने आरोप लगाए हैं जो शंकर चौधरी पर लागू होते हैं। अल्पेशने यह नहीं कहा कि वह कांग्रेस उम्मीदवार के कारण हार गए, लेकिन जाति बहस में बदल रही है। राधनपुर में केवल शंकर चौधरी की जातिवाद चली है। अल्पेश ने हार के बाद घोषणा की, कि मैं फिर से नई ऊर्जा के साथ लौटूंगा। हार का कारण जातीवादी कारक हैं। यह लोगों को डराने और बहकाने के लिए किया गया है। हमेशा सच्चाई की जीत होती है, मैं लड़ता रहता हूं। यह पक्षपात के बजाय लोगों के अधिकारों की बात है; यह उन लोगों के लिए दुख की बात है, जिन्होंने हमेशा कट्टरवाद और जातीवाद से आने में मदद की है। ठाकोर समाज के लिए लड़ रहे हैं और अगर लोग जातिवाद को देखते हैं तो यह दुख होता है। हमें शरारती कहा जाता था। भले ही मैंने सभी समाजों के लिए लड़ाई लड़ी, लेकिन इसे चातीवादी कहा जाता है। मैं इसे खोने के आसपास बैठने के लिए नहीं जा रहा हूं, लेकिन मैं फिर से आऊंगा।
राधानपुर के विकास के साथ आया सपना राधनपुर को शायद पसंद नहीं आया। (मूल गुजराती रिपोर्ट ईसी वेबसाईट पे देखे)