1966 से गुजरात सरकार ने कच्छ जिला के मांडवी तहसील के भालीया और तरगाडी गांव के किसाननो को जमीन दी थी। मगर अब ऐ जमीन उद्योगपति को दे दी है । इसीलिए पुलिस के साथ कलेक्टर किसानों की जमीन पर कब्जा करने के लिए ऐसे दहशतगर्द पर हमला करने के लिए पुरा फोर्स के साथ रातको गई थी ।
10 एकड़ जमीन 35 किसानों को 1966 में दी थीं । 350 ऐकड जमीन किसानो को दी थी।
किशान कह रहे है ओर मांग करते है हमे अपनी जमीनो पे खेती करने दो और सरकार कह रही है ये जमीनों उद्योगपातियो को दे दो। कच्छ के मांडवी तहसील के नाना भाड़िया के किशानो को खेत से बेदखल करने के लिए सरकार जी जान से महेनत कर रही वही दूसरी ओर किशान अपनी जमीनों बचने के लिए जान की बाजी लगाने के लिए तैयार है। स्थानीय वहीवटी तंत्र जिसमे कलेक्टर ओर DSP कह रहा है कि हमारी ऊपर PM ओर CM कार्यालय से ये जमीने कपनी के प्रॉजेक्ट केलिए संपादित करने का दबाव है। इतनी ईमानदारी और पुलिस फ़ोर्स किशानो के डराने के लिए उपयोग करने की बजाए सरहद पे खड़ी करते तो एक भी आतंकवादी नही आ सकते।
आखिर सरकार का इरादा क्या है जो इतनी तानाशाही कर रही हैं, नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने कहा था तुम मुझे खुन दो मैं तुम्हे आजादी दुगा
नरेन्द्र मोदी ने कहा तुम मुझे अपना वोट दो मैं तुम्हें लुंट दुगा.
जोर जुर्म की टक्कर में संगर्ष हमेरा नारा है।
आखिर ये सरकार किशानो की विरोधी क्यों है ? हम किशान इस जमीनों पे खेती करते है फिर भी PM ओर CM कार्यलय ये जमीनो किशानो से छीन के उद्योगपातियो को क्यों देना चाहते है ? आज की लड़त सफल रही। लेकिन आज से फिर एकबार अपनी लड़त तेज होगी।