महोदय,
आप 3 बार गुजरात के मुख्यमंत्री रहे हैं और अभी देश के प्रधानमंत्री हैं और ये एक संवैधानिक पद है| आप ने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बनते समय शपथ ली थी कि आप इस देश के संविधान का पालन करेंगे लेकिन हमें आपको ये बताते हुए बहुत अफ़सोस हो रहा है कि आप अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियां सही से नहीं निभा पाए व आप तो अंतर्राष्ट्रीय संधियों का भी अनादर करते हुए दिखाई दे रहें हैं|
गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए आपने नारा दिया सब का साथ और सबका विकास लेकिन आप अल्पसंख्यकों का विकास करना भूल गए इतना ही नहीं आपने अल्पसंख्यकों को और भी हाशिये में धकेल दिया|
महोदय आपने पूरी कोशिश की कि समाज संविधान की मूल भावना ‘राज्य का कोई धर्म नहीं होगा’ से हट कर हिन्दू बनाम मुस्लिम हो जाये लेकिन हम को आपको बताते हुए ख़ुशी हो रही है कि भारत का नागरिक अब जाग चुका है और अपने संवैधानिक अधिकारों की आवाज उठाने लगा है|
दिनांक 17/ 01/19 को हम आपको ये बताना चाह रहे थे व याद दिलाना चाह रहे थे की आप जिस पद पर हैं उसकी गरिमा को आप निभाए व अंतर्राष्ट्रीय संधियों का पालन करें लेकिन आपने इसको अपना विरोध समझ लिया और एक बार फिर से नागरिकों का प्रदर्शन करने का संवैधानिक अधिकार को छीन लिया और हमको हमारे घर से ही उठा लिया व पूरा दिन थाने में बैठाया ये आप के पद की गरिमा को शोभा नहीं देता.
इस लिए आज हमको ये खुला पत्र लिखना पड़ रहा है कि आप अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकार जो की अनुच्छेद 14,15(2),15(4),16(1),16(2),16(4), 25(1),26,27, 28,29(1), 29(2),30(1,30(2),347, 350(A),350(B),37,38(2),46,51(A),51(C) में स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि विधि के समक्ष समता, राज्य, किसी नागरिक के विरुद्ध के केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा, ‘नागरिकों के किसी भी सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के उन्नयन के लिए विशेष प्रावधान करेगा, अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण जिसकी अपनी विशेष भाषा, लिपि या संस्कृति है, उसे बनाए रखने का अधिकार होगा, जिसका आप गुजरात में अमल नहीं कर रहे हैं|
10 दिसम्बर 1948 को मानवाधिकारों का सार्वभौम घोषणापत्र के अनुछेद 2,6,7,8,26 में अल्पसंख्यकों के विकास एवं रक्षण के लिए विशेष ध्यान देने की संधि पर भारत ने हस्ताक्षर कियें हैं, वहीँ 18 दिसम्बर 1992 को “राष्ट्रीय या जातीय, धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों से संबंधित व्यक्तियों के अधिकारों की घोषणा” पर भी भारत के हस्ताक्षर हें और सबसे नयी संधि जो की आपकी सरकार में आई हे 2015 में संयुक्तराष्ट्र संघ के सतत विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals) जिसके लक्ष्य नंबर 10 व 16 में भी अल्पसंख्यकों पर विशेष ध्यान देने की बात कही गयी है|
भारत इन सभी अंतर्राष्ट्रीय समझौतों को स्वीकार कर चुका है| लेकिन इनका अमल गुजरात में ही नहीं हो रहा है|
माइनॉरिटी को ओर्डिनेशन कमिटी (MCC) के आपसे कुछ सवाल हें हमें उम्मीद हे किसी न किसी पूर्व नियोजित प्रेस वार्ता में आप इन सवालो को भी शामिल करेंगे तो हमें ख़ुशी होगी|
जैसा कि आप जानते हैं कि किसी भी समाज के विकास की योजनाओं को चलाने के लिए एक विभाग की ज़रुरत होती है, 2006 में अल्पसंख्यक समाज पर विशेष ध्यान देने के लिए केंद्र में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय बना, देश के दूसरे राज्यों में भी है तो गुजरात में क्यों नहीं?
विकास की योजनाओं के लिए केंद्र के बजट में इस साल लगभग 4700 करोड़ है, देश के दूसरे राज्यों में अलग से बजट आवंटन है तो गुजरात में क्यों नहीं?
अल्पसंख्यक समुदाय की शिकायतों के निवारण के लिए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग व देश के 18 राज्यों राज्य अल्पसंख्यक आयोग बने हैं तो अभी तक गुजरात में क्यों नहीं?
गुजरात में प्राथमिक शिक्षा में सामान्य लड़कियों की ड्रॉपआउट दर 1.67% है वहीँ मुस्लिम लड़कियों की दर 10.58% है ऐसा गुजरात में क्यों?
गुजरात के अल्पसंख्यक बहुल विस्तारों में हायर सेकण्ड्री स्कूलों की भारी कमी है ऐसा क्यों?
देश के दूसरे राज्यों में अरबी, फारसी, उर्दू पढने वाले बच्चों को राज्य की भाषा के समकक्ष मान्यता दी गयी है, ये देश के दूसरे राज्यों में है तो गुजरात में क्यों नहीं?
सरकार के सभी कमेटी, कमीशन की रिपोर्ट बताती हैं कि अल्पसंख्यक समाज मुख्य धारा से पीछे है तो इनको बराबरी में लाने के लिए विशेष आर्थिक पैकेज घोषित किया जाये, गुजरात में दूसरे समुदायों को पिछड़ेपन के आधार पर पैकेज दिया गया है तो अल्पसंख्यकों को क्यों नहीं?
गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा से विस्थापित हुए हजारों परिवार हें इन लोगों के पुनर्स्थापन के लिए गुजरात सरकार ने अभी तक कोई पालिसी क्यों नहीं बनायी?
सच्चर कमेटी की सिफारिश के बाद केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री का नया 15 सूत्रीय कार्यक्रम का दुसरे राज्यों में ठीकठाक अमल हो रहा हे लेकिन गुजरात में अमलीकरण लगभग न के बराबर है, ऐसा क्यों?
उम्मीद है कि आप हमारे इन सवालों का जवाब देंगे व् भारत के संविधान, अंतर्राष्ट्रीय संधियों को सही में लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाएंगे|
दिनांक: 18/01/19