भारत से जीवित पशु निर्यात अनुमति क्यों?

वाणिज्य मंत्रालय द्वारा 25 जून को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गयी जिसमे विदर्भ किसानों की सहायता के नाम पर अगामी 3 महीनो में नागपुर एअरपोर्ट से पहली बार शारजाह 1 लाख जीवित बकरे व भेड़ को निर्यात किये जाने और इस योजना का शुभारम्भ नागपुर एअरपोर्ट से 30 जून को 3 केन्द्रीय मंत्रियों व महाराष्ट्र मुख्यमंत्री की उपस्तिथि में किया जाना था लेकिन देश के जीवदया प्रेमियों के विरोध के चलते यह योजना रद्द की गयी!

एबीपी माझी न्यूज चैनल व टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा 2 जुलाई को प्रकाशित समाचार के अनुसार नासिक एअरपोर्ट से शारजाह 1500 बकरों को भेजे जाने और यही से पूर्व सप्ताह में 2 अन्य फ्लाइट में 3000 पशु भेजे जाने के समाचार ने देश के समस्त जीवदया प्रेमियों की नींद उड़ा दी क्योंकि शारजाह के लोगो के भोजन हेतु इस प्रकार से भारी संख्या में जीवित पशुओं के निर्यात किये जाने की जानकारी आज तक वाणिज्य मंत्रालय के अंतर्गत निर्यात हेतु लाइसेंस जारी करने वाले कृषि निर्यात विकास प्राधिकरण द्वारा अपनी वेब साईट पर आज तक प्रकाशित नही की क्युकी जीवित पशु निर्यात का कोड ही नहीं है और पशुओं को हवाई जहाज में पिंजरों में ले जाने, प्लेन के शोर में यात्रा करने व हवा के दबाब में सांस लेने सम्बन्धी कोई भी मानक कही प्रकाशित ही नही है!

विश्व जैन संगठन के अध्यक्ष श्री संजय जैन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा 2014 की चुनावी रैलियों व पूर्व में भी चंद रुपयों के लोभ में किसान द्वारा पशु बेचने के कारण बढ़ते मटन निर्यात से देश में घटते पशुधन पर चिंता व्यक्त की जाती थी लेकिन वर्तमान में ईद से पहले जीवित पशु निर्यात योजना आरम्भ किये जाने से ऐसा प्रतीत होता है कि चंद मांसनिर्यातकों को लाभ पहुचाने हेतु विदर्भ किसान से 3000 रूपये में बकरे को खरीदकर अगस्त में ईद पर कुर्बानी हेतु भारतीय बकरों की भारी मांग के चलते 30000 रूपये तक में बेचकर कमाई में बन्दरबाँट हेतु एक समूह पुरजोर तरीके से प्रयास कर रहा है क्योंकि प्रधानमंत्री ऐसी योजना की इजाजत कभी दे ही नहीं सकते!

उन्होंने कहा कि विदर्भ में इन मांसव्यापारियों की नजर पशुधन पर है क्युकी 1 लाख पशुओ में यदि 1 पशु की कीमत 3000 व ले जाने का खर्च 10000 भी हो तो कमाई 13000 से भी जोड़े तो 130 करोड़ की कमाई के चलते इन लोगो द्वारा जीवदया प्रेमियों के खिलाफ भोले भाले किसानो को भड़काया जा रहा है और इस पाप की कमाई को व्यवसाय कह रहे है जिसे प्रधानमंत्री जी भी स्वीकार नही करेंगे!

श्री संजय जैन ने जानकारी दी कि वाणिज्य मंत्रालय द्वारा उन्हें लिखित रूप में दिया गया कि नागपुर से पशु नही भेजे गये लेकिन नासिक से पशु भेजे जाने के विषय में नही बताया गया क्युकी यह 1 लाख पशु भेजे जाने का हिस्सा है अत: देश के सभी धर्मों व जीवदया हेतु कार्यरत जीव प्रेमियों व संस्थाओं द्वारा 15 जुलाई को दिन में 12 बजे से सांकेतिक शांतिपूर्ण देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया जायेगा और यदि किसानों की आय के नाम पर देश के पशुधन को मांस और जीवित निर्यात करने से तुरंत नही रोका गया तो और बड़ा आन्दोलन होगा!

उन्होंने यह भी कहा कि नवम्बर 2014 में 5 वर्षों में आयोजित होने वाले नेपाल के प्रसिद्ध गढ़ीमाई उत्सव में दी जाने बलि हेतु भारत से अनाधिकृत रूप से ले जाये जाने वाले 4 लाख पशुओं के निर्यात पर गृह मंत्रालय ने सीमा सुरक्षा बल को आदेश जारी किये थे तो 1 लाख निर्दोष पशु अरब क्यों भेजे जा रहे है!

संगठन के महामंत्री अधिवक्ता श्री अमित जैन व जीवरक्षा हेतु कार्यरत अधिवक्ता श्री खिल्लीमल जैन ने कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट और उत्तराखंड हाई कोर्ट ने अपने महत्वपूर्व निर्णयों में संबिधान अनुच्छेद 21 में पशुओं को मनुष्यों के समान सम्मान के साथ जीवन जीने का अधिकार और अनुच्छेद 51ए(जी) में प्रतिएक नागरिक को प्राणिमात्र के प्रति दया व जिम्मेबारी हेतु मौलिक कर्तव्य हेतु वर्णित किया!

संगठन की महिला प्रकोष्ठ की संयोजिका श्रीमती रूचि जैन और दिल्ली में जीवरक्षा हेतु कार्यरत श्री नीलमकान्त जैन व मुम्बई के श्री राहुल पाण्ड्य ने कहा कि सोने की चिड़िया कहलाने वाले भगवान श्री राम, कृष्ण, महावीर व गुरुनानक जी और महात्मा गाँधी जी के भारत से विदेशी लोगो का भोजन बनाने और चंद मांसव्यापारियों द्वारा किसानों की आय के नाम पर अपनी तिजोरिया भरने हेतु अपने देश का पशुधन भेजने की अनुमति देना भारतीय संस्कृति नही अत: जीवित पशु निर्यात रद्द कर मूक पशुओं की रक्षा करें!

भारत से जीवित पशु निर्यात आरम्भ किये जाने के विरोध में देशव्यापी विरोध प्रदर्शन रविवार, दिनांक 15 जुलाई 2018 (दोपहर 12 से 2 बजे तक) समग्र भारत में किया जाएगा.  मुख्य स्थल इंडिया गेट, राजपथ, नई दिल्ली में किया जाएगा. आयोजन में भारत के समस्त जीवदया प्रेमी जुडेंगे