मुंबई में गुजराती मतदाताओं की वडी ताकत है

– मयुर परिख

March 22, 2019
मुंबई की राजनीति मे गुजराती वोटों की हैसियत

ईशान्य मुंबई के घाटकोपर इलाके के कांग्रेसी नेता प्रवीण छेड़ा ने बीजेपी का दामन थाम लिया। यह कोई खबर नहीं लगती है। लेकिन प्रवीण छेड़ा का बीजेपी मे प्रवेश मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की हाजिरी में हुआ। यह नोट करने वाली बात है। इसके मायने कांग्रेस के लिए कहीं अधिक है। प्रवीण छेड़ा की विदाई के साथ ही कांग्रेस पार्टी के पास अब मुंबई शहर में एक भी गुजराती चेहरा नहीं बचा है।

कांग्रेस पार्टी ने मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान बिहारी बाबू संजय निरुपम के हाथों में सौंपी, संजय निरुपम ने भरपूर कोशिश करके बीजेपी के कॉरपोरेटर लेवल के वरिष्ठ कार्यकर्ता और नेताओं को कांग्रेस में लाने की शुरुआत की। कुछ एक हद तक उनकी राजनीति सफल होती हुई दिखाई दी। लेकिन चुनाव आते-आते कांग्रेस पार्टी अपने इन आयाती गुजरातियों को नहीं संभाल पाई। एक जमाना था जब मुंबई शहर में गुजराती कम्युनिटी कांग्रेस पार्टी को वोट करती थी। पी. यू. मेहता जैसे विधायक को हराना मुश्किल था। रजनी पटेल जैसे थोर कांग्रेसियों की वजह से मुंबई कांग्रेस की तूती दिल्ली तक बोलती थी। यह वह दौर था जब कांग्रेस पार्टी में कई सारे गुजराती कॉरपोरेटर थे। लेकिन कांग्रेस पार्टी इन कॉरपोरेटरो को विधायक नहीं बना पाई।

मुंबई की राजनीति में गुजरातियों का बड़ा अहम रोल है। यह कम्युनिटी राजनीति में ज्यादा हस्तक्षेप नहीं करती लेकिन वोटों की संख्या के लिहाज से इनकी अवगणना करने का मतलब है मुंबई में हार का मुंह देखना। मुंबई शहर में करीब 18 फीसद वोट गुजरातियों के हैं। लेकिन खास बात यह है कि तमाम गुजराती मुंबई के निश्चित इलाकों में बहुत बड़ी संख्या में रहते हैं। बोरीवली, कांदिवली, मलाड, विले पार्ले, दहिसर, मालाबार हिल, मुलुंड, घाटकोपर, विक्रोली और अन्य छोटे-मोटे पॉकेट्स में गुजराती बड़ी संख्या में रहते हैं। यही वजह है की लोकसभा की उत्तर मुंबई और ईशान्य मुंबई की सीट गुजराती तय करते हैं।

इसी जगह पर बीजेपी का मामला फिट है जबकि शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी मात खा रही है। जनप्रतिनिधियों के रूप में  बात करें तो पूरे महाराष्ट्र में सिर्फ दो गुजराती विधायक हैं। यह दोनों गुजराती विधायक भारतीय जनता पार्टी के हैं। महाराष्ट्र से सांसद पद की बात करें तो सिर्फ दो सांसद गुजराती है। ईशान ने मुंबई से किरीट सोमैया बीजेपी से सांसद हैं जबकि विदर्भ की गोंदिया सीट से प्रफुल पटेल एनसीपी के सांसद हैं। प्रफुल पटेल का गुजरातियों के बीच कोई खास रसूख नहीं है। वह मराठी ओं के वोटों पर जीते हैं। जबकि किरीट सोमैया के वोटों में गुजरातियों का योगदान बहुत ज्यादा है।  मुंबई महानगर पालिका में 25 जितने कॉरपोरेटर गुजराती हैं जिनमें से 20 जितने कॉरपोरेटर भारतीय जनता पार्टी के हैं। मतलब साफ है कि गुजरातियों की वोट बैंक सीधे-सीधे भारतीय जनता पार्टी के पाले में जाती है। यही वजह है मुंबई में एक भी बड़ा मराठी चेहरा ना होने के बावजूद बीजेपी वोटों के मामले में अन्य पार्टियों को टक्कर दे देती है। दक्षिण मुंबई, उत्तर मुंबई और ईशान्य मुंबई यह तीनों सीटें बीजेपी के लिए कंफर्टेबल है।