मुस्लिम युवा सुरतमें निकाल रहे है देशका एक मात्र संस्कृत में समाचारपत्र

26 अगस्त संस्कृत दिवस पर विशेष…

परेश टापणिया
एक ओर जहां अंग्रेजी भाषा का चलन बढ़ते जा रहा है और संस्कृत भाषा लुप्त होने के कगार पर
खड़ी है वहीं दूसरी ओर सूरत के दाऊदी बोहरा समाज के दो मुस्लिम युवकों का संस्कृत भाषा का प्रेम
अखबार के रूप में उभर कर सामने आया है। यह अखबार सूरत से पिछले आठ वर्षों से नियमित रूप से
प्रकाशित हो रहा है। इस अखबार के वाचक देश के विविध राज्यों में फैले हुए है साथ ही विदेश में
रहनेवाले संस्कृत प्रेमी भी डिजीटल के माध्यम से इसका लाभ ले रहे है। संस्कृत भाषा के समाचार पत्र के
प्रकाशन के साथ-साथ इसमें साम्प्रदायिक सौहार्द की झलक भी खूब देखने को मिलती है और उसकी
वजह यह है कि इसके संचालक दाउदी व्होरा समाज के दो युवा मुस्लिम है।
श्रावण पूर्णिमा के मौके पर 26 अगस्त को जहां रक्षाबंधन का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा
वहीं, इस दौरान विश्व संस्कृत दिवस भी मनाया जाएगा और संस्कृत भाषा को जन-जन तक समाचार-पत्र
के रूप में पहुंचाने का महती कार्य सूरत के दाउदी बोहरा समाज के दो मुस्लिम युवक कर रहे है। इस
संबंध में जानकारी देते हुए गुजरात सरकार के सूचना विभाग ने बताया कि विश्वस्य वृतांतम् नामक
संस्कृत अखबार का नियमित प्रकाशन वर्ष 2011 से सूरत में जारी है और देश-दुनिया में बैठे संस्कृत
प्रेमी डिजीटल माध्यम से इसका वाचन कर रहे है। संस्कृत भाषा में समाचार-पत्र विश्वस्य वृतांतम् के
संचालक हिन्दू नहीं बल्कि दाउदी व्होरा समाज के दो मुस्लिम युवक सैफी संजेलीवाला व मुर्तुजा
खंभातवाला है, जो कि सौहार्द की मिसाल देशभर के समक्ष पेश कर रहे है।
देवभाषा संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है और भारत की ओर से विश्व को अमूल्य देन भी है,
लेकिन यह ज्यादातर पुस्तकों तक ही सीमित रह गई है। एक वक्त ऐसा भी था जब बोलचाल की भाषा

के रूप में संस्कृत का प्रयोग होता था मगर आज संस्कृत का उपयोग केवल शास्त्रोक्त विधिविधान के
लिए ही रह गया है और इस दिशा में सक्रिय रूप से भारती प्रकाशन, सूरत संस्था ने संस्कृत भाषा में
समाचार-पत्र संचालन का जिम्मा उठाया है।
अखबार के संचालक सैफी संजीलेवाला ने बताया कि हिन्दू-मुस्लिम एकता के सेतु के रूप में
विश्वस्य वृतांतम् संस्कृत अखबार कार्य कर रहा है। गुजरात समेत बिहार, उड़ीसा, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश,
उत्तरांचल, हरियाणा, जम्मु-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, दिल्ली के अलावा विदेशों में भी
डिजीटल रूप से ई-पेपर के माध्यम से वाचक इसका लाभ ले रहे है।
अखबार के मैनेजिगं सम्पादक मुर्तजा का कहना है कि लोगों को संस्कृत भाषा पढ़ना कठिन
लगता है इसलिए लोगों का रुझान दूसरी भाषा की ओर बढ़ गया है लेकिन हमने इस अखबार को पढ़ने
में लोगों को सरलता हो इस शैली में पेश किया है। इस अखबार को टेब्लोइड रुप में नहीं बल्कि बड़ी
साइज में प्रकाशित किया जाता है। उन्होंने बताया कि वह खुद संस्कृत भाषा के चाहक रहे है। अभ्यास
काल के दौरान 40 विद्यार्थियों में से मात्र उन्होंने ही संस्कृत विषय पसंद किया था। आज विश्वस्य
वृत्तान्तम् अखबार संस्कृत भाषा के विद्यार्थियों ओर रिसर्च स्कालरों के लिए प्लेटफार्म बन गया है। यह
अखबार नहीं लेकिन संपूर्ण जानकारी का स्त्रोत है जिसमें देश-विदेश की घटनाएं, राजकीय समाचार, खेल-
कूद के समाचार, मनोरंजन, राजनेताओं के लिए राजनेता उवाच, पाठक मंच, हास्यरस, गांधीनगर
सचिवालय वार्ता, जन्मदिन विशेष, व्यक्ति विशेष, बाल विशेष, छात्र लेखनी, प्रधानमंत्रीश्री की मन की
बात, सूचना विभाग के समाचार के साथ देशभर में संस्कृत के प्रचार के लिए चल रहे कार्यक्रमों को
स्थान दिया जाता है। इसके अलावा फेसबुक के माध्यम से ओनलाईन संस्कृत स्पर्धा कर विजेताओं को
इनाम देकर प्रोत्साहित किया जाता है।
संस्कृत भाषा के प्रति प्रेम व्यक्त करते हुए मुर्तजा ने बताया कि संस्कृत भाषा का प्रसार देश में
लुप्त हो रहा है वहीं विदेशों में बढ़ रहा है। आज विदेशी भी इस भाषा के महत्त्व को समझने लगे हैं।
अंग्रेजों ने भारतीयों की इस गौरवपूर्ण भाषा को भुलाने के लिए इसे मृतभाषा के तौर पर घोषित कर दिया
हो लेकिन हम युवोओं को ही इस भाषा को जीवित करने का बेड़ा उठाना पड़ेगा। हमने पिछले आठ वर्ष
से नियमित तौर पर अखबार को बिना विक्षेप प्रकाशित किया है।
अखबार के सह संपादक डा. धनंजय भंज संस्कृत में पीएचडी करने वाले विद्वान शिक्षक है। मूल
ओडिसा के रहने वाले और हाल सूरत में स्थायी श्री भंज का कहते है कि एसा माना जाता है कि संस्कृत
भाषा लुप्त हो रही है और इसे पढ़ने वाले वाचक नहीं मिलेंगे लेकिन हमने इस भ्रांति को तोड़ा है। यदि

किसी कारण से किसी दिन अखबार ओनलाइन अपलोड नहीं कर पाते तो लोग फोन कर शिकायत करने
लगते है।
गुजरात सरकार ने राज्य में सोमनाथ संस्कृत युनिवर्सिटी कार्यान्वित की है यह एक अच्छी पहल
है। देश में संस्कृत के 20 से ज्यादा विश्व विद्यालय है और 100 से ज्यादा संस्कृत कालेज है और
अनेकों संस्कृत पाठशालाएं है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक संस्कृत की झलक दिखती है। डा. भंज का
कहना है कि संस्कृत एक सरल वैज्ञानिक भाषा है जिसमें कर्ता, कर्म और क्रियापद के नियम नहीं है।
उदाहरण के तौर पर अहम गृहम् गच्छामि अर्थात कि मैं घर जा रहा हूँ इस शब्द को हम गृहम् अहम्
गच्छामि या गच्छामि अहम् गृहम् ढंग से भी लिख सकते है। यह भाषा अपने आप में अनूठी है जैसे कि
– कं बलवंतं मा बाधितं शीतं? अथार्त कि किस बलवान को ठंडी नहीं लगती? इस सवाल में ही इसका
जवाब छिपा है – कंबलवंतं मा बाधितं शीतं यानि कंबल ओढ़ने वाले को ठंडी नहीं लगती।
26 अगस्त को विश्व संस्कृत दिन के तौर पर भारतवासी संस्कृत दिन मना रहे है इस अवसर
पर जबकि पूरा देश अंग्रेजी भाषा की गुलामी झेल रहा है एसे में संस्कृत भाषा के प्रति मुस्लिम युवकों
का यह लगाव हम सभी के लिए प्रेरकरूप उदाहरण के समान है।