Written by Girish Malviya | Sabrang
मोदी सरकार के ‘अच्छे दिनों’ से बेहतर तो मनमोहन सिंह की UPA सरकार के तथाकथित बुरे दिन थे….
मोदी सरकार के ‘अच्छे दिनों’ से बेहतर तो मनमोहन सिंह की UPA सरकार के तथाकथित बुरे दिन थे. जीडीपी श्रृंखला पर आधारित आये आधिकारिक आंकड़े यह साबित करते है कि यूपीए शासन के दौरान (औसतन 8.1 प्रतिशत) की वृद्धि दर मोदी सरकार के कार्यकाल की औसत वृद्धि दर (7.3 प्रतिशत) से अधिक रही थी इस रिपोर्ट को आज मोदी सरकार ने शर्मिंदा महसूस करते हुए वापस ले लिया.
सबसे कमाल की बात तो यह हैं कि यह रिपोर्ट सरकार द्वारा समर्थित पैनल और अर्थशास्त्री सुदीप्तो मंडल की अध्यक्षता में तैयार की गई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग द्वारा गठित ‘कमेटी आफ रीयल सेक्टर स्टैटिक्स’ ने पिछली श्रृंखला (2004-05) के आधार पर जीडीपी आंकड़ा तैयार किया ओर इस रिपोर्ट में यह स्वीकार किया गया कि साल 2010-11 में जब डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार सत्ता में थी, तब देश की जीडीपी 10.8 प्रतिशत थी। वहीं मौजूदा सरकार में यह जीडीपी ताजा वित्तीय वर्ष में 6.7 आंकी गई है ओर यूपीए के 10 सालों के शासन में भारत की जीडीपी औसतन 8 प्रतिशत के आसपास रही थी.
मिनिस्टरी ऑफ स्टेटिक्स एंड प्रोग्राम इम्पलीमेंटेशन की वेबसाइट से रिपोर्ट को हटा दिया है। यह बैक सीरीज जीडीपी ग्रोथ रिपोर्ट बीती 25 जुलाई को मंत्रालय की वेबसाइट पर पब्लिश की गई थी, जीडीपी की बैक सीरीज की गणना से यह बात साबित हो गई है कि यूपीए के 2004-2014 तक के शासनकाल में अर्थव्यवस्था के सबसे अच्छे साल रहे हैं.
इसके अलावा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के इकॉनोमिक रिसर्च डिपार्टमेंट ने भी एक क्विक डाटा एनालिसिस रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में भी कहा गया है कि भारत की विकास दर सबसे ज्यादा 10.8 प्रतिशत साल 2010-11 में रही है.