कांग्रेस ने आज गंभीर आरोप लगाया कि फ्रांस से लड़ाकू विमान राफेल खरीदने का सौदा पारदर्शी तरीके से नहीं किया गया है और इसकी कीमत को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। इस मामले पर जहां कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा है कि राफेल डील के लिए मोदी जी खुद पेरिस गए थे। मनमोहन सिंह सरकार के दौरान 126 राफेल विमान खरीदने का सौदा प्रति विमान 526 करोड़ रुपए की दर से तय हुआ था जबकि उन्हें सूचना मिली है कि अब एक विमान की कीमत 1570 करोड़ रुपए तय की गई है।
कोंग्रेस के स्पोक मेन शक्तिसिंह गोहिल ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे देश के जवान जान हथेली पर लेकर देश की सुरक्षा के लिए काम कर रहे हैं। अब जो उनके लिए सामान, हथियार या जो कुछ खरीदारी होती है, उसमें घपले नहीं होने चाहिएं। जब हम पॉवर में थे, कांग्रेस पार्टी ने भ्रष्टाचार के आरोपियों को कभी बचाने की कोशिश नहीं की। बोफोर्स के नाम पर बीजेपी ने पूरे देश में मुहिम चलाई और Mr. Clean जिन्हें जाना और माना जाता था, उनको भी बदनाम करने की कोशिश की। कहा करते थे कि सात दिन दे दो, सारे सबूत ला देंगे। सात दिन तो छोड़ो सात साल से ज्यादा वक्त वो पॉवर में रहे, बोफोर्स में कुछ नहीं मिला। पर कारगिल का युद्ध जीतने के बाद, उस युद्ध में भाग लेने वाले एक ऑफिसर ने अंग्रेजी न्यूज पेपर में एक आर्टिकल लिखा जिसमें उन्होंने बताया कि कारगिल हम बोफोर्स के कारण जीते। उस हाईट और ठंड में और कोई वेपन काम नहीं करता था, सिर्फ बोफोर्स ही काम आई और भारत की जीत हुई। बीजेपी के टेन्योर (tenure) के दौरान भी अपर ज्यूडिशरी ने कहा कि राजीव जी के खिलाफ एक छोटा सा भी एविडेंस नहीं है।
डिफेंस में कुछ चीजें ऐसी हैं जिसको थोड़ा सा शेल्टर मिल जाता है। अक्सर कहा जाता है कि मोदी जी करोड़ों से कम खाते नहीं और ‘सेफ करप्शन’ में महारत है। ऐसा आपने कभी देखा नहीं होगा, आज तक के देश के इतिहास में एक ही सरकार, एक ही प्रधानमंत्री और चार साल में तीन रक्षा मंत्री। मोदी जी के टेन्योर में चार साल में तीन रक्षा मंत्री आ चुके हैं। अरुण जेटली जी आए, उन्होंने देखा कि मोदी जी मेरे कंधे पर गन रख रहे हैं, बच गए, निकल गए, मनोहर पर्रिकर जी आए, मौका ढूंढा, अपने राज्य में चले गए, अपने बलबूते पर सरकार बन सके, इसके हालत भी नहीं थे, फिर भी रक्षा मंत्रालय छोड़ा, चले गए गोवा के मुख्यमंत्री बनने। और अभी बड़ा राजनीतिक अनुभव नहीं है, निर्मला जी के कंधे पर गन नहीं, तोप रखकर मोदी जी राफेल का करप्शन करवाने जा रहे हैं। ग्रेंड मदर ऑफ ऑल दी करप्शन, वो राफेल डील है।
अब रक्षा मंत्री से बुलवाया जा रहा है कि दसॉल्ट की किसके साथ पार्टनरशिप हुई, हमें ज्ञान नहीं है। मैं सिर्फ इनवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म करने वाले पत्रकार दोस्तों से भी कहूंगा कि आप जो फाउंडेशन स्टोन, जिसमें नितिन गडकरी जी, और उस मौके पर भारत सरकार के मंत्री मौजूद थे, वहाँ कौन-कौन था और क्या-क्या बोला था, इतना ही आप देख लो तो आपको पता चलेगा कि अनिल अंबानी और दसॉल्ट वो पार्टनर हैं। वहीं से आपको पूरा सबूत मिल जाएगा।
आपने देखा होगा कि रिलायंस का नारा था, कर लो दुनिया मुठ्ठी में। मोदी जी को मुठ्ठी में कर लिया और राफेल डील हो गई। रक्षा का इतना बड़ा सौदा, क्या आप देखोगे नहीं कि वो क्या है? आज जो एक नया डॉक्यूमेंट हम आपको देने जा रहे हैं, रिलायंस नवल का आउटस्टेंडिंग अमाउंट, जो पिपावा डिफेंस की ओर से आया और वो भी किसी और की नहीं, आई.एफ.सी.आई. सीधी तरह से आप कह सकते हैं कि गवर्मेंट का जिसके ऊपर असर है, वहाँ से लिए हुए पैसे जिन्होंने नहीं दिए, सिर्फ पैसे नहीं दिए, इतना ही नहीं, वो दिवालिया होने पर एन.सी.एल.टी. में उसका केस चल रहा है। अब उनको आप राफेल का सौदा, राफेल का काम दे रहे हो, जिसकी एक हिस्ट्री रही है, नेवल ने ऑर्डर दिया था, हमारी नेवल विंग ने। जिसमें इनको बोटस बनानी थी, नेवी के लिए और वो भी वहीं देती, पिपावा में, जहाँ का एड्रेस दिया गया था, वहाँ का। उस सीपीआर में कोस्टल सिक्योरिटी का भी बनना था और डिफेंस में नेवल विंग की भी पाँच बोट बनानी थी, टाईम लिमिट थी। एक भी बोट टाईम लिमिट में बना कर नहीं दी है और नेवल विंग आज बहुत ही गड़बड़ाई हुई है, क्योंकि उनको जिस प्रोजेक्ट के लिए ये वेसल चाहिए थे, वो वेसल ये बना कर नहीं दे पाए। अब आप इनके साथ राफेल का सौदा कर रहे हैं।
मैं खुद गुजरात से आ रहा हूं, पिपावा बहुत बार गया हूं और मैं खुद वहाँ विजिट करके आया हूं, ये वही बीपीएल इंडस्ट्रलिस्ट है, कि तीन महीने से वहाँ स्ट्राईक चल रही है और छोटे-छोटे लोग हैं, मजदूर के सप्लायर हैं। उनको भी पैसे नहीं दिए हैं और तीन महीने से स्ट्राईक चल रही है। ऐसे लोगों को ब्लैकलिस्ट करना चाहिए, ना कि राफेल के सौदे में पार्टनर बनाना चाहिए। तो ये जो कहते हैं कि मैं खाता नहीं और खाने देता नहीं, मतलब साफ है कि करोडों से कम खाते नहीं, सच बोलने वाले को चैन की रोटी खाने देते नहीं। ये सच्चाई है।