अहमदाबाद, 20 सितंबर, 2025
राज्य सरकार द्वारा मूंगफली समेत अन्य कृषि फसलों को समर्थन मूल्य पर खरीदने के कार्यक्रम में अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। कांग्रेस नेता मनहर पटेल ने सरकार पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा, “एमएसपी देने की कोई मंशा नहीं है, भाजपा नेताओं के लिए यह भ्रष्टाचार करने का एक बड़ा मौका है।”
सरकार ने नैफेड के माध्यम से मूंगफली, मूंग, मट्ठा और उड़द को एमएसपी के अनुसार बेचने के लिए 1 से 15 सितंबर तक ई-ग्राम केंद्रों पर किसानों का पंजीकरण कराने का फैसला किया था। बाद में इस तिथि को बढ़ाकर 22 सितंबर कर दिया गया। सरकार के अनुसार, अब तक 9.50 लाख किसानों ने ऑनलाइन पंजीकरण कराया है, जो पिछले साल की तुलना में 200 प्रतिशत अधिक है।
लेकिन कृषि विभाग की अतिरिक्त सचिव डॉ. अंजू शर्मा के अनुसार, डिजिटल फसल सर्वेक्षण में पंजीकृत किसानों में से लगभग 85 हजार किसानों के खेतों में मूंगफली नहीं दिखी। उन्हें एसएमएस के माध्यम से इसकी सूचना दी गई। इसके बाद किसानों में काफ़ी रोष है और सर्वेक्षण की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि ग्राम सेवक किसानों के खेतों में जाकर भौतिक सत्यापन करेंगे। लेकिन किसानों और विपक्ष ने कई सवाल उठाए हैं—
ग्राम सेवक 85 हज़ार खेतों का सत्यापन कितने दिनों में करेंगे?
जब सितंबर में फसल की कटाई पूरी हो जाती है, तो खेत में सत्यापन कैसे संभव है?
22 लाख हेक्टेयर मूंगफली की खेती के आँकड़े किस आधार पर घोषित किए गए?
जब हर गाँव के तलाटी पानी पटराट में फसल का ब्यौरा रखा जाता है, तो डिजिटल सर्वेक्षण के खर्च की क्या ज़रूरत है?
मनहर पटेल ने कहा, “सरकार को अपनी ही व्यवस्था पर भरोसा नहीं है, इसलिए उसने किसानों को बेवकूफ़ बनाने के लिए डिजिटल सर्वेक्षण और एसएमएस का सहारा लिया है। इससे साफ़ है कि एमएसपी देने की कोई मंशा नहीं है।”