आईएनएसटी मोहाली द्वारा विकसित कंप्यूटर आधारित नैनो सामग्री में है ,नैनो-इलेक्ट्रॉनिक्स के भविष्य की संभावनाएं

Computer based nano materials by INST Mohali can show the future of nano-electronics

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान मोहाली स्थ्ति इंस्टीट्यूट ऑफ नैनो साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईएनएसटी),  के शोधकर्ताओं ने , सुपरहाई पीजोइलेक्ट्रिसिटी के साथ नैनो-सामग्री के कंप्यूटर आधारित डिजाइन बनाए हैं जो भविष्य में अगली पीढ़ी के अल्ट्राथिन  नैनो-ट्रांजिस्टरों से युक्त बेहद छोटे आकार के बिजली उपकरणों के बुनियादी तत्व  साबित हो सकते हैं।

दाब में उत्पन्नन होने वाली बिजली को पीजियोइेलेक्ट्रिसिटी कहते हैं। इसके अनुप्रयोगों ने लाइटर, प्रेशर गेज, सेंसर आदि के माध्यम से हमारे दैनिक जीवन को आसान बना दिया है।

दो आयामी सामग्रियों में पीजोइलेक्ट्रिसिटी के इस्तेमाल के बारे में पहली बार 2012 में सैद्धांतिक रूप से परिकल्पना की गई थी।  बाद में 2014 में इसका प्रयोग वास्तविक रूप से मोनोलेयर में किया गया।  तब से, ग्राफीन जैसी दो-आयामी (2 डी) सामग्रियों में पीजोइलेक्ट्रिसिटी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने  दिशा में अनुसंधान में वृद्धि हुई है,. हालाँकि, अब तक की अधिकांश दो आयामी सामग्रियों में मुख्य रूप से इन-प्लेन पीजोइलेक्ट्रिसिटी ही दिखाई देती है,पर उपकरण-आधारित अनुप्रयोगों के लिए, आउट-ऑफ-प्लेन पीज़ोइलेक्ट्रिकिटी वांछित है और इसकी मांग भी है।

प्रोफेसर अबीर डी सरकार और उनके तहत अनुसंधान कर रहे छात्र मनीष कुमार मोहंता ने अपने नैनोस्केल और अमेरिकन केमिकल सोसाइटी में हाल में प्रकाशित अपनी शोध रिपोर्ट में दो आयामी नेनोस्ट्रक्चर में एक मोनोलेयर को दूसरे पर चढ़ाने के माध्यम से सुपर-आउट-ऑफ-प्लेन पीजोइलेक्ट्रिकिटी के अनुप्रयोग की नई तकनीक प्रदर्शित की है।

पीजोइलेक्ट्रिसिटी का ऐसा प्रयोग  आयामी वैन डेर वाल्स हेटरोस्ट्रक्चर तकनीक पर आधारित है जिसमें दो आयामी मोनोलयर शामिल किए जाते हैं। नैनो साम​ग्रियों के डिजाइन की यह एक नयी तकनीक है, जहां परस्पर पूरक गुणों  वाले विभिन्न मोनोलेयर्स को एक साथ जोड़कर उनकी आंतरिक सीमाओं को विस्तार दिया जाता  है।पीजोइलेक्ट्रिसिटी का ऐसा प्रयोग  दो आयामी वैन डेर वाल्स हेटरोस्ट्रक्चर तकनीक पर आधारित है जिसमें दो आयामी मोनोलयर  शामिल किए जाते हैं। नैनो साम​ग्रियों के डिजाइन की यह एक नयी तकनीक है जहां परस्पर पूरक गुणों  वाले विभिन्न मोनोलेयर्स को एक साथ जोड़कर उनकी आंतरिक सीमाओं को विस्तार दिया जाता है। इस प्रक्रिया में विभिन्न कारक इलेक्ट्रॉनिक गुणों को प्रभावित करते हैं। परिणामस्वरूप इनमें आउट-ऑफ-प्लेन पीजोइलेक्ट्रिसिटी के इस्तेमाल को देखा जा सकता है।

नैनोमिशन औरवैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के तहत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वित्त पोषित अपने अनुसंधान कार्यों में इन्होंने  भविष्यवाणी की है कि उनके द्वारा डिज़ाइन की गई सामग्रियों के आउट-ऑफ-प्लेन पीजोइलेक्ट्रिक तत्व 40.33 pm / V के  उच्च स्तर तक पहुंच सकते हैं जो आमतौर पर उद्योगों में उपयोग किये जाने वाले wurziteAlN (5.1 pm / V) और GaN (3.1 pm / V) की तुलना में बहुत ज्यादा हैं। ​छोटे आकार के बिजली उपकरणों के बढ़ते चलन के कारण सुपरफास्ट अल्ट्राथिन नैनो उपकरण और नैनो ट्राजिस्टरों की मांग में लगातार तेजी आ रही है। ऐसे में भविष्य में अति छोटे आकार के बिजली उपरणों के लिए ये बुनियादी सामग्री बन सकते हैं।

. कंप्यूटर और लैपटॉप के मदर बोर्ड में उपयोग किए जाने वाले ट्रांजिस्टर समय बीतने के साथ और पतले हो रहे हैं। ऐसे में पीजोइलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक्स के बीच समन्वय के माध्यम से, इन अल्ट्राथिन, अगली पीढ़ी के नैनो-ट्रांजिस्टर में पाईज़ोइलेक्ट्रिक नैनोमैटेरियल्स का उपयोग किया जा सकता है।