हरा अकाल – गुजरात सरकार ने उच्च उत्पादन अनुमान लगाया, लेकिन खेतों में मूंगफली, कपास, अनाज, दालों की फसलो मे 50 प्रतिशत नुकसान

गांधीनगर, 7 सितंबर 2020

मानसून खतम होके को है, कृषि विभाग ने उत्पादन अनुमानों की घोषणा करके किसानों की नींद उड़ा दी है। कंई फसलों में हरे हरा सूखा जैसी स्थिति है। 10 से 30 दिनों तक लगातार बारिश के कारण, गुजरात के आधे खेतों में तैयार फसलें सूख गई हैं। यह मानते हुए कि इसका उत्पादन होने वाला है, कृषि विभाग ने अनुमान जारी किया है। ज्यादा उत्पादन का अनुमान के कारण व्यापारी समूदाई  किसानों को कीमतों में कटौती करेंगे। किसानों को पर्याप्त कीमत नहीं मिलती है। किसानो को कुदरतने मारा अब गुजरात की भाजपा सरकार मार रही है।

मूंगफली, कपास का कुल रोपण का 50 प्रतिशत रोपन हुंआ

गुजरात में कुल खेती का हिस्सा लगभग 50% कपास और मूंगफली का है। इस बार बारिश से दोनों फसलों को भारी नुकसान हुआ है। किसान नेताओं के अनुसार मूंगफली और कपास की पैदावार 50 फीसदी तक कम होगी।

मूंगफली उत्पादन की उच्च धारणा

कृषि विभाग का अनुमान है कि मूंगफली की खेती 20.72 लाख हेक्टेयर में है। जिसमें से 54.65 लाख टन का उत्पादन किया जाएगा। वास्तव में, मूंगफली के खेतो अब तक लगभग 50 प्रतिशत खो दिया है। अभी भी नुकसान हो रहां है। क्योंकि दो दिनों से सूरज की तपिश खेतों में पड़ रही है। गर्मी के कारण मिट्टी में पानी गर्म हो रहा है। गर्मी अब कवक के एक भयानक आक्रमण को शुरू करने वाली है। फिर कवक फसल को नष्ट कर देगा।

इस प्रकार मूंगफली में 50 प्रतिशत से कम पैदावार मिलेगी। किसानों का मानना है कि उत्पादन 20 से 22 लाख टन तक नहीं बढ़ेगा। उनका मानना ​​है कि भले ही सरकार ने 2637.34 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर का उत्पादन लक्ष्य निर्धारित किया है, लेकिन खेतों पर स्थिति अलग है। ये अनुमान खेत से नहीं हैं बल्कि गांधीनगर के वातानुकूलित कार्यालय में बैठे हुए तैयार किए गए प्रतीत होते हैं।

कपास का उत्पादन उम्मीद के मुताबिक नहीं होगा

कपास में भी, सरकार ने उच्च उत्पादन के बदले में किसानों को व्यापारियों के हाथों काट दिया है। 22.81 लाख हेक्टेयर में रोपण की उम्मीद के साथ 82.39 लाख गांठ (170 किलोग्राम प्रति बेल) का कपास का उत्पादन होने की उम्मीद है। प्रति हेक्टेयर लगभग 613 किलोग्राम कपास का उत्पादन मीलेगा । लेकिन ये अनुमान सही नहीं होंगे, क्योंकि किसानों ने इस बार कपास की खेती कम की है।

और दूसरी बात, कपास सूख गई है क्योंकि कुछ क्षेत्रों में अभी भी खेतों में पानी भरा है। जो बचा है उसके विकास पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ेगा। इसलिए सरकार के अंदाज – उम्मीद के मुताबिक कपास का उत्पादन नहीं होगा। सरकार ने आलोचना और कृषि सहायता से बचने के लिए ऐसे झूठे अनुमान तैयार करके किसानों को फावड़े से मारा है। भाजपा की विजय रूपानी की सरकार की क्रूरता अब देखी जा रही है, जहाँ प्रकृति की भी दया नहीं है।

अनाज अच्छी स्थिति में नहीं हैं

अदद और मग जैसी फसलों से 4.35 लाख हेक्टेयर में 4 लाख टन उत्पादन की उम्मीद है लेकिन दालों को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। लगभग 80 प्रतिशत फसल साफ हो चुकी है। 29 लाख टन और 2100 किलोग्राम की उत्पादकता के साथ 13.83 लाख हेक्टेयर में अनाज उत्पादन का अनुमान है। लेकिन हरे अकाल ने अनाज को मिटा दिया है।