गांधीनगर, 27 नवम्बर 2020
गुजरात के वैज्ञानिक डॉ। मुकेश हरिलाल शुक्ला जिन्होंने एचआईवी के इलाज के लिए एक दवा की खोज की है। 12 साल बाद भारत में मंजूरी का पहेला स्टेज पास कीया है। राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण द्वारा मंजूरी दे दी है। स्वीकृति पत्र एनबीए सचिव जस्टिन मोहन ने 4 नवंबर, 2020 को को भेजा है।
राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण द्वारा लिखित पत्र में कहा गया है कि आईपीआर की मंजूरी जैव विविधता अधिनियम, 2002 के मुताबीक है।
शुक्लाका का आवेदन 17 नवंबर 2018 को प्राप्त हुआ था। जिसमें एचआईवी के उपचार के लिए बायोएक्टिव संदर्भ में दिए गए विषय पर उद्धृत आईपीआर (1/9 / एमयूएम / 200) के उत्पादन की विधि को भी अनुमोदित करने के लिए कहा गया था। तो आपकी दवा की अनुमति है।
खोज क्या है?
एचआईवी / एड्स के उपचार के लिए एक बायोएक्टिव कंपोजिटर है। HIV हर्बल रचनाओं से संबंधित। ग्लाइकोप्रोटीन को बाधित कर सकता है। एड्स ग्लाइकोप्रोटीन द्वारा प्रेषित होता है। यह दवा इसे रोकने का काम करती है।
एड्स रोगियों में दवा की प्रभावशीलता का पता लगाने के लिए एक पायलट अध्ययन किया गया था। रोगियों में रचना के स्वैच्छिक नैदानिक परीक्षण किए गए थे। रोगियों के स्वैच्छिक नैदानिक परीक्षणों की निगरानी और पहल की जा रही है।
500 मिलीग्राम हार्ड जिलेटिनप्लस की खुराक के रूप में सूत्रीकरण 3 महीने की अवधि के लिए दिन में 2 बार 2 कैप्सूल की खुराक अनुसूची में दिया जाता है। दवा सुरक्षित है और मधुमेह मेलेटस के मामले में भी महत्वपूर्ण प्रभावकारिता है।
December 1 is #WorldAIDSDay! Use @CDCgov’s toolkit to reach out to your community and let them know how they can get involved in the fight against HIV/AIDS and protecting the health of their community. #WAD2020 https://t.co/r5qIGTrt02 pic.twitter.com/1ioZBlk582
— CDC NPIN (@CDCNPIN) November 24, 2020
गुजरात में एईड्झ कितना देखे
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उनके आविष्कार के लिए पेटेंट आवेदन संख्या 1899-MUM-2008 है।