गुजरात के व्यापारियों को कर्ज पर राहत, टैक्स में कोई राहत नहीं

गांधीनगर, 15 मई 2020
मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने “आत्मानिभर गुजरात सहाय योजना” की घोषणा की है। ढाई महीने (वास्तव में 53 दिन) लॉकडाउन का छोटे व्यापारियों, व्यवसाय-नियोजित कारीगरों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। योजना वसूली में तेजी लाने और राज्य की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए है।

सरकार ने कर्ज पर ब्याज में छूट दी है, लेकिन व्यापारियों को कोई कर राहत नहीं दी है। व्यापारी कर में राहत की मांग कर रहे हैं। कई व्यापारी दो महीने में दुकान में खराब हुए माल के मुआवजे की मांग कर रहे थे। लेकिन अब व्यापारियों को एक ऋण लेना होगा और एक छोटे से ब्याज और किस्त का भुगतान करना होगा।

राज्य में 10 लाख से अधिक छोटे व्यवसाय-नियोजित पेशेवर शामिल हैं, जिनमें लॉन्ड्रेस, नाई, इलेक्ट्रीशियन, छोटी किराना दुकानें आदि शामिल हैं। इस तरह की कक्षाओं के लिए राज्य सहकारी बैंकों, जिला हाकरी बैंकों और क्रेडिट सोसायटी द्वारा 2% प्रति वर्ष की ब्याज दर पर 1 लाख रुपये तक का ऋण प्रदान किया जाएगा।

6 प्रतिशत ब्याज राज्य सरकार वहन करेगी। लाभार्थी को 3 वर्षों के लिए इस तरह की ऋण सहायता के लिए कुल ब्याज दर 20 प्रतिशत के बजाय केवल 6 प्रतिशत का भुगतान करना होगा। शेष 18 प्रतिशत ब्याज का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा।

यदि सभी व्यापारी बैंक ऋण लेते हैं, तो उन्हें 10,000 रुपये के कर की आवश्यकता होगी। अगर 10 लाख व्यापारी कर्ज लेते हैं, तो सरकार 600 करोड़ रुपये का ब्याज देगी। जो वास्तव में 20 करोड़ से अधिक नहीं है।

कोई किस्त या ब्याज का भुगतान 6 महीने के दौरान नहीं करना होगा अर्थात अधिस्थगन अवधि।

इस तरह के ऋण राज्य के 220 शहरी सहकारी बैंकों की 1000 शाखाओं, 18 जिला सहकारी बैंकों की 1400 शाखाओं और तीन वर्षों की अवधि के लिए क्रेडिट सोसायटी द्वारा प्रदान किए जाएंगे। ऋण प्राप्त करने की पूरी व्यवस्था नि: शुल्क होगी यानी लाभार्थी को आवेदन पत्र की राशि या किसी अन्य शुल्क का भुगतान नहीं करना होगा। एक शाखा से 100 व्यापारियों को ऋण दिया जा सकता है।

सरकार का मानना ​​है कि कुल 5,000 करोड़ रुपये तक के ऐसे ऋण प्रदान किए जाएंगे। तदनुसार, सरकार को 3 वर्षों में ब्याज सहायता में 900 करोड़ रुपये से अधिक नहीं मिलेगा।

लेकिन सवाल यह है कि क्या इस साल सरकार को अनुमानित 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने की संभावना है? सरकार इसके लिए योजना नहीं बना सकती है। अब ब्याज दिया जा रहा है।