बुनियादी स्वास्थ्य ढांचे का जर्जर गुजरात मॉडल

राज कुमार, न्यूज क्लिक | 29 Nov 2022

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर गुजरात में 10 लाख रुपये तक के मुफ़्त इलाज की बात कर रहे हैं लेकिन ये नहीं बता रहे कि जिन अस्पतालों में इलाज होना है वहां की स्थिति क्या है?

गुजरात चुनाव प्रचार में भाजपा विभिन्न योजनाओं के बजट और लाभार्थियों आदि के भारी-भरकम आंकड़े तो बता रही है लेकिन ये नहीं बता रही कि ग्रामीण गुजरात में ज़मीनी स्तर पर बुनियादी सुविधाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थिति क्या है।

इसी तर्ज़ पर तरह-तरह के दावे और घोषणाएं स्वास्थ्य के क्षेत्र में की जा रही है। 27 नवंबर 2022 को केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में “स्वस्थ गुजरात” की बात की। कहा कि आयुष्मान भारत की तर्ज़ पर जन आरोग्य के लिए अब 5 लाख रुपये नहीं बल्कि 10 लाख रुपये तक का इलाज बिल्कुल मुफ्त में किया जाएगा। किसी को भी अपनी जेब से पैसा खर्च नहीं करना पड़ेगा।

अनुराग ठाकुर 10 लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की बात कर रहे हैं लेकिन ये नहीं बता रहे कि जिन अस्पतालों में इलाज होना है वहां की स्थिति क्या है?

दो दशक से ज्यादा समय से गुजरात में भाजपा का शासन है। कायदे से उन्हें बताना चाहिये कि स्थिति क्या है? भाजपा गुजरात में दावा कर रही है कि भाजपा के सुशासन में लोंगों को बेहतर इलाज मिल रहा है। क्या ये दावा सही है? सवाल उठता है कि सच्चाई क्या है?

गौरतलब है कि पर्याप्त स्वास्थ्य ढांचे, स्टाफ, नर्स, डॉक्टर, एएनएम, जीएएनएम, लैबोरेट्री, तकनीशियन, मशीनरी, विशेषज्ञ और प्रशासनिक स्टाफ आदि के बिना बेहतर इलाज मुहैया नहीं कराया जा सकता। तो क्या गुजरात के सब-सेंटर, पीएचसी और सीएचसी में ये सब सुविधाएं हैं? क्या स्वास्थ्य का बुनियादी ढांचा मानकों के अनुरूप है और पर्याप्त है? आइये, इसकी पड़ताल करते हैं। पड़ताल का आधार गुजरात के ग्रामीण क्षेत्र में उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं को बनाते हैं।

सबसे पहले देख लेते हैं कि गुजरात में बुनियादी स्वास्थ्य ढांचे की स्थिति क्या है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की वर्ष 2021 की रिपोर्ट के अनुसार गुजरात में 9,162 सब-सेंटर, 1477 प्राइमरी हैल्थ सेंटर और 333 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं।

गुजरात के 9,162 सब-सेंटर में से मात्र 5,956 सब-सेंटर के पास ही सरकारी भवन है। बाकी के 3,206 सब-सेंटर किराये के भवन या पंचायत व अन्य किसी संस्था द्वारा बिना किराया उपलब्ध कराए गये भवन आदि में चल रहे हैं।

गुजरात के 1,477 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में से मात्र 1189 केंद्र के पास ही सरकारी भवन है। इसी प्रकार 333 सामुदायिक केंद्रों में मात्र 293 सामुदायिक केंद्रों के पास ही खुद का सरकारी भवन है।

दो दशकों से ज्यादा शासन करने वाली भाजपा सभी स्वास्थ्य केंद्रों के लिए सरकारी भवन तक नहीं बना पाई है।

1,560 सब-सेंटर ऐसे हैं जिनमें पानी की रेगुलर सप्लाई नहीं है। 1,095 सब-सेंटर ऐसे हैं जिनमें बिजली की सप्लाई नहीं है।

20% प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में प्रसूति के लिये लेबर-रूम नहीं है। 24% पीएचसी ऐसे हैं जिनमें चार बेड तक नहीं हैं।

89% प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में आपरेशन थियेटर नहीं हैं। दो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में बिजली नहीं है। 34 में रेगुलर पानी की सप्लाई नहीं है।

12% प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में टेलीफोन नहीं है। 24% सीएचसी ऐसे हैं जिनमें एक्स-रे मशीन नहीं है।

50% सब-सेंटर ऐसे हैं जिनमें महिलाओं व पुरुषों के लिए अलग-अलग टॉयलेट नहीं हैं। 13% प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में महिला मरीज़ों के लिए अलग से टॉयलेट नहीं हैं।

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डॉक्टरों की भारी कमी

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 333 सर्जनों की आवश्यकता है, लेकिन मात्र 134 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 94 पद खाली पड़े हैं।

इसी प्रकार 333 प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञों की आवश्यकता है, लेकिन 100 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 56 पद खाली हैं।

सामुदायिक केंद्रों में 333 फिज़िशियन की आवश्यकता है लेकिन 67 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 48 पद खाली पड़े हैं।

333 बाल रोग विशेषज्ञों की आवश्यकता हैं, लेकिन 65 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 33 पद खाली पड़े हैं।

स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार गुजरात में सर्जन, प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ, फिज़िशियन और बाल रोग विशेषज्ञ आदि के 1,332 विशेषज्ञ डॉक्टरों की आवश्यकता है लेकिन कुल 366 स्वीकृत पद हैं जिनमें से 231 पद खाली पड़े हैं। यानी 63% पद खाली पड़े हैं।

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों के 224 पद खाली पड़े हैं। 333 आंखों के सर्जनों की ज़रूरत है लेकिन मात्र 32 पद ही स्वीकृत हैं जिनमें से भी 27 पद खाली पड़े हैं।

भाजपा गुजराती लोगों के बेहतर इलाज का दावा कर रही है। इन स्वास्थ्य केंद्रों से आप कितने बेहतर इलाज की उम्मीद कर सकते हैं ये आप खुद ही सोचिये।

नर्स, तकनीशियन, एएनएम एवं सहायक स्टाफ की स्थिति

गुजरात में महिला स्वास्थ्यकर्मी एएनएम के 11,618 स्वीकृत पद हैं, जिनमें से मात्र 10,023 पदों पर भर्ती की गई है और 1,595 पद खाली पड़े हैं।

इसी प्रकार गुजरात में 333 रेडियोग्राफर की आवश्यकता है लेकिन मात्र 26 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 18 पद खाली पड़े हैं। यानी गुजरात का समस्त बुनियादी स्वास्थ्य ढांचा मात्र 8 रेडियोग्राफर के भरोसे है।

फार्मासिस्ट के 1,810 स्वीकृत पद हैं जिनमें से 184 पद खाली पड़े हैं।

लैब तकनीशियन के 125 पद खाली पड़े हैं। स्टाफ नर्स के 511 पद खाली पड़े हैं।

गुजरात के सब-सेंटर्स में पुरुष स्वास्थ्य कार्यकर्ता के 879 पद खाली पड़े हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में हैल्थ असिस्टेंट के 470 पद खाली पड़े हैं। 333 एनेस्थेटिस्ट की आवश्यकता है लेकिन मात्र 48 पद ही स्वीकृत हैं जिनमें से भी 34 खाली पड़े हैं।

उपरोक्त आंकड़े गुजरात के ग्रामीण एवं बुनियादी स्वास्थ्य ढांचे के हैं। जिसके भरोसे गुजरात के 19,033 गांव हैं। गुजरात की आधी से ज्यादा आबादी यानी 3,65,0600 ग्रामीणों के लिए गुजरात की भाजपा सरकार द्वारा स्वास्थ्य का उपरोक्त इंतज़ाम है।

ग्रामीण इलाको में बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता और गुणवत्ता आमतौर पर चुनावी चर्चा से बाहर रहती हैं। जबकि अगर भौगोलिक दृष्टि से देखें तो गुजरात का 96.23% इलाका ग्रामीण है।

गुजरात को मॉडल की तरह पेश करने वाली भाजपा के पास बीस साल से ज्यादा समय तक शासन करने के बावजूद एक स्वास्थ्य केंद्र भी ऐसा नहीं है जिसे वो मॉडल की तरह पेश कर पाए।

नोटः सभी आंकड़े स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट से लिये गए हैं। आंकड़े 31 मार्च 2021 तक के हैं।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं।)