मोदी और भारत का लगातार अपमान कर पाकिस्तान की मदद कर रहे ट्रंप और अमेरिका
मोदी की ट्रंप भक्ति और विदेश नीति विफल, नहीं तो ट्रंप से वसूलें खर्च
दिलीप पटेल
अहमदाबाद, 03 जून 2025
फरवरी 2020 में अहमदाबाद को नमस्ते ट्रंप के नाम पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के 3 घंटे के दौरे के लिए सजाया गया था। मोदी द्वारा दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम में ट्रंप का जबरदस्त स्वागत कर उन्हें अंतरराष्ट्रीय सम्मान दिए जाने के बावजूद ट्रंप मोदी की प्रचार राजनीति को कचरा मानते हुए 2025 तक लगातार मोदी का अपमान करते आ रहे हैं। भारत की मदद करने के बजाय ट्रंप का अमेरिका पाकिस्तान की मदद कर रहा है।
2020 में ट्रंप ने अहमदाबाद में कहा था, ‘भारत हमारे साथ अच्छा व्यवहार नहीं करता लेकिन मुझे नरेंद्र मोदी पसंद हैं।’ इस तरह भारत का लगातार अपमान करने के बावजूद मोदी उन्हें स्पष्ट जवाब देने को तैयार नहीं हैं।
गुजरात सरकार के अधिकारियों ने 2020 में घोषणा की थी कि ट्रंप अहमदाबाद में तीन घंटे रुकेंगे और इस पर 85 करोड़ रुपये खर्च हुए। लेकिन अगर सभी खर्चों को गिना जाए तो अनुमान है कि ट्रंप को प्रभावित करने और गुजराती नागरिकों से अमेरिका में उनके लिए वोट करवाने के लिए 800 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए। पूरा आयोजन एक राजनीतिक आयोजन था और जनता का पैसा बर्बाद किया गया। हालांकि, इस पर हुए संयुक्त खर्च की घोषणा मोदी और उसके बाद गुजरात की 3 भाजपा सरकारों ने जून 2025 तक नहीं की है।
सुरक्षा के लिए करीब 12 हजार पुलिस अधिकारी तैनात किए गए थे। इनमें 25 आईपीएस अधिकारी, 65 एसीपी स्तर के अधिकारी, 200 पुलिस निरीक्षक, 800 पुलिस उपनिरीक्षक और करीब 10,000 पुलिसकर्मी थे। इनका वेतन भत्ता प्रतिदिन 5 करोड़ रुपये था।
सजावट में इस्तेमाल किए गए फूलों पर करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये खर्च किए गए।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम का उद्घाटन किया और बाद में मोदी के आदेश पर स्टेडियम का नाम बदलकर मोदी स्टेडियम कर दिया गया। राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप पहली बार भारत आए थे। जिस सड़क से ट्रंप को निकलना था, उस पर झुग्गियों को ढकने के लिए करोड़ों की दीवार बनाई गई। शिवसेना ने लिखा कि ट्रंप से गरीबी छिपाने के लिए 100 करोड़ रुपए खर्च किए गए। खर्च को लेकर विवाद भी हुआ, जो 2025 में भी चर्चा में है, क्योंकि ट्रंप ने बार-बार मोदी और भारत का अपमान किया है। मोदी के 25 साल के शासन में गुजरात बेरोजगारी, स्वास्थ्य समस्याओं, किसानों की समस्याओं, कुपोषण से त्रस्त रहा है। गुजरात में समानता है, जिसे खत्म किया जाना चाहिए। इसके बजाय मोदी ट्रंप को बढ़ावा देकर और फैलाकर अपनी खुद की राजनीतिक मंडी बना रहे थे। जिसकी अब पाकिस्तान की घटना के बाद कड़ी आलोचना हो रही है। गुजरात और भारत सरकार ने 2025 तक ट्रंप के दौरे से पहले और बाद में कितना खर्च हुआ, इसका ब्योरा जनता के सामने नहीं रखा है। गुजरात के लोगों, देश के लोगों की गाढ़ी कमाई को लूटने का नेताओं को कोई अधिकार नहीं है, जिसे हम टैक्स के जरिए सरकार में जमा करते हैं। अगर आप जनता के सच्चे सेवक हैं तो हिसाब बताइए।
मोदी ने मार्केटिंग के लिए ट्रंप को बुलाया था। उसी बहाने मोदी ट्रंप के प्रचारक बन गए।
जब आम आदमी की तनख्वाह हजारों-लाखों रुपए में हो तो उसे यह खर्चा बहुत ज्यादा लगता है। शहर की सड़कें साफ कर दी गईं।
‘नमस्ते ट्रंप’ अनौपचारिक कार्यक्रम को नई तरह की विदेश नीति माना गया, जिसे पाकिस्तान से विवाद के बाद ट्रंप ने मोदी की नीतियों को बहुत अपमानित करके विफल साबित कर दिया, लेकिन मोदी चुप हैं।
चीनी राष्ट्रपति के अहमदाबाद दौरे के बाद चीन ने भी मोदी की नीति को विफल कर दिया है। मोदी के राज में चीन ने भारतीय जमीन पर अतिक्रमण किया है और कई बार सैन्य हमले किए हैं और पाकिस्तान की मदद करता रहा है।
टेक्सास में प्रधानमंत्री मोदी का ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम भारतीयों के खर्च पर हुआ। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति का कार्यक्रम सरकार के खर्च पर हुआ। ट्रंप ने बहुत बड़ा विश्वासघात किया है।
अहमदाबाद नगर निगम आयुक्त विजय नेहरा ने दावा किया कि रोड शो में दो लाख लोग जुटे थे।
दावा किया गया कि अहमदाबाद के लोग देश के ब्रांड एंबेसडर बन गए हैं।
क्रिकेट स्टेडियम के आसपास की सड़कों को चौड़ा करने और निर्माण में 30 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
सजावट पर 6 करोड़ रुपये खर्च किए गए। 18 सड़कों को चौड़ा किया गया।
इसे दुनिया के लिए एक यादगार कार्यक्रम बनाने की योजना बनाई गई थी। नरेंद्र मोदी और ट्रंप ने यहां एयरपोर्ट से 22 किलोमीटर लंबा रोड शो किया।
दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम में एक लाख लोग जुटे थे। अनुमान लगाया गया था कि उनके वाहन पर 5 करोड़ का डीजल और पेट्रोल खर्च हुआ था। डोनाल्ड ट्रंप के अलावा उनकी सुरक्षा टीमें, पत्रकार, व्यापारिक-राजनीतिक प्रतिनिधिमंडल और बड़ी संख्या में विदेश से लोग उस समय अहमदाबाद आए थे। पूरे गुजरात से एक लाख से ज्यादा लोगों को बसों में भरकर अहमदाबाद स्टेडियम में बैठाया गया था। अहमदाबाद एयरपोर्ट से स्टेडियम तक के रास्ते में भी बड़ी संख्या में लोग उनके स्वागत के लिए सड़क पर खड़े रहे। कोरोना काल में नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन का उल्लंघन करके किया गया। जिसके कारण कोरोना बढ़ा और फिर देखते ही देखते गुजरात में कोरोना से 400 लोगों की मौत हो गई। करीब 6 हजार कोरोना पॉजिटिव केस हैं। जिनके लिए अस्पताल, दवा या पर्याप्त संसाधनों की कोई व्यवस्था नहीं है। लॉकडाउन के कारण सभी को आर्थिक तबाही झेलनी पड़ी है। अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। प्रवासी लोग अपने वतन लौटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। खेती में नुकसान हो रहा है। जिसके लिए नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम जिम्मेदार है।
नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम के कारण सामुदायिक संक्रमण के कारण अहमदाबाद और गुजरात में कोरोना संक्रमण की स्थिति व्याप्त हो गई थी। मोदी ने लोगों की जान जोखिम में डाल दी थी। नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम के कारण लोगों को परेशानी में डालने वाली डोनाल्ड ट्रंप स्वागत समिति, गुजरात क्रिकेट संघ और गुजरात सरकार की आपराधिक लापरवाही का स्पष्ट असर हुआ। ट्रंप ने 2020 में अमेरिका में कहा था, चीन को देखो, रूस और भारत को भी देखो, वहां वायु प्रदूषण कितना गंभीर है। जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में भारत, रूस और चीन का रिकॉर्ड बहुत खराब रहा है। कोरोना में ट्रंप कार्यक्रम के कारण गुजरात को जो नुकसान उठाना पड़ा, उसकी भरपाई किसी भी तरह से नहीं की जा सकती, लेकिन इसकी कीमत अमेरिका से वसूल की जानी चाहिए। अब समय आ गया है कि मोदी ट्रंप को 800 करोड़ रुपये का बिल भेजकर वसूल किया जाए, अगर वह इसे वसूलना नहीं चाहते हैं तो मोदी को यह खर्च व्यक्तिगत रूप से गुजरात की जनता को वापस करना चाहिए, क्योंकि ट्रंप ने मोदी की विदेश नीति को खारिज कर दिया है और वह लगातार भारत का अपमान करते रहे हैं। ट्रंप बार-बार कह रहे हैं कि उन्होंने पाकिस्तान के साथ युद्ध रोक दिया। जिसका जवाब मोदी ऑपरेशन सिंदूर के जरिए देने को तैयार नहीं हैं।