काकरापार नहर – गुजरात सरकार ने 50 हज़ार किसानों को संकट में छोड़ा

काकरापार नहर के अचानक बंद होने से बहुमूल्य फसलों को खतरा, विरोध प्रदर्शन

दिलीप पटेल

12-13 सितंबर 2025

सूरत सिंचाई मंडल के अधीक्षण अभियंता द्वारा काकरापार दाएँ तट खंड की नहरों में 1 दिसंबर 2025 से 28 फ़रवरी 2026 तक 90 दिनों के लिए सिंचाई जल प्रवाह रोकने के निर्णय का विरोध हो रहा है। कंकरापार दाएँ तट नहरों की मरम्मत और नवीनीकरण के लिए नहर बंद की जाएगी।
सिंचाई जल बंद होने से गन्ना, धान, सब्ज़ियाँ, कपास और पशुपालन करने वाले किसानों को भारी नुकसान होगा। नुकसान के प्रभावों का विस्तार से अध्ययन कर एक रिपोर्ट तैयार करना बेहद ज़रूरी है। जो अभी तक नहीं हुआ है।

सूरत जिले के मांडवी तालुका के काकरापार गाँव के पास 88 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र से सिंचाई के लिए पानी इकट्ठा करने हेतु, 1954 में कांग्रेस सरकार के दौरान तापी नदी पर 24 करोड़ रुपये की लागत से 15.48 मीटर ऊँचा और 633 मीटर लंबा जवाहर लाल नहर बाँध बनाया गया था।

इससे 886 गाँवों के किसानों को सिंचाई मिलती है।
किसानों के खेतों तक पानी पहुँचाने के लिए तापी नदी के दोनों ओर 64 किलोमीटर लंबी दो नहरें बनाई गई हैं। दाएँ और बाएँ किनारों पर कुल मिलाकर 4 लाख 50 हज़ार हेक्टेयर भूमि सिंचित होती है। जिसमें दाएँ नहर से 1 लाख 20 हज़ार हेक्टेयर और बाएँ किनारे से 1 लाख 45 हज़ार हेक्टेयर भूमि सिंचित होती है।

दाएँ किनारे के लगभग 50 हज़ार किसानों की फसलें खतरे में आ गई हैं।

क्या ढाँचों की मज़बूती का पता लगाने के लिए कोई जाँच कराई गई है? ढाँचों की मरम्मत का ठेका जिस एजेंसी को दिया गया है, उसकी घोषणा अभी नहीं की गई है।

सिंचाई विभाग द्वारा लाखों किसानों की आजीविका को प्रभावित करने वाले और आर्थिक नुकसान पहुँचाने वाले मामले पर विस्तृत अध्ययन किए बिना ही यह निर्णय लिया गया है।

ताकि काकरापाल दाएँ तट खंड की नहरों को बंद करने का निर्णय रद्द किया जाए।

देशव्यापी आंदोलन
किसानों के कंधों पर बंदूक रखकर उद्योगों को पानी देने की योजना है। अगर 15 तारीख को पानी बंद करने का निर्णय रद्द नहीं किया गया, तो 10 हज़ार किसान रैली निकालकर सिंचाई विभाग का घेराव करेंगे। सड़कें जाम कर दी जाएँगी। 28 सितंबर 2025 को कामरेज के गायपागला में 10 हज़ार किसानों की एक बैठक होगी। जिसमें देश भर के किसान नेता शामिल होंगे।

किसान समाज गुजरात द्वारा ओलपाड में किसानों, पशुपालकों और सहकारी नेताओं की एक बैठक आयोजित की गई। ओलपाड, कामरेज, मांगरोल, चोर्यासी, महुवा, हंसोत और अन्य तालुकाओं से बड़ी संख्या में किसान उपस्थित थे।

किसानों की एक रैली निकाली गई और ओलपाड प्रांत और डिप्टी कलेक्टर को दो याचिकाएँ सौंपी गईं।

राज्य स्तरीय सिंचाई मंत्री के साथ चीनी मिलों के अध्यक्ष और कपास व धान बेचने वाली सहकारी समितियों के अध्यक्ष, जहाँगीरपुरा स्थित पुरुषोत्तम फार्म्स कंपनी लिमिटेड के कार्यालय में उपस्थित थे।

नहर बंद करने का निर्णय सिंचाई सलाहकार समिति में चर्चा के बाद घोषित किया जाना था। नहर बंद करने से पहले, एक वर्ष पहले इसकी घोषणा करना और किसानों को व्यक्तिगत रूप से सूचित करना आवश्यक है। ताकि किसान अपने खेतों में बुवाई की अग्रिम योजना बना सकें।

बिना किसी पूर्व सूचना के, 1 दिसंबर, 2025 से 90 दिनों के लिए नहर बंद करने से किसानों के खेतों में खरीफ, रबी और ग्रीष्मकालीन फसलों को नुकसान होगा। किसानों को अपूरणीय क्षति होने की संभावना है।

यह धनराशि आदिवासी क्षेत्र से खर्च की जानी है।

नहरों के टूटने के कारण कितने दिनों तक नहर बंद रहेगी, इसका उत्तर देना संभव नहीं है। वर्ष 2013-14 में इन नहरों की मरम्मत पर 250 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे।

70 साल नहीं टूटी, 10 साल में नहर टूट गई
काकरापार बांध का जल भंडारण 1820 मिलियन क्यूबिक फीट है। इसकी नहरें 70 साल तक नहीं टूटीं, ये नई बनी थीं और 10 साल में ही खंडहर हो गईं। 8 साल पहले मांडवी तालुका और झांखवाव रोड के पास अंधत्री गाँव में दाएँ तट की नहर का कटाव हो गया था।

दाएँ तट काकरापार नहर का निर्माण 10 साल पहले 2015 में सीमेंट कंक्रीट से किया गया था।

जब नहर की मरम्मत और जीर्णोद्धार का काम चल रहा था, तब किसानों ने भाजपा सरकार से शिकायत की थी कि घटिया सामग्री का इस्तेमाल करके घटिया काम किया जा रहा है। नेहरू के समय 1954 में मिट्टी से बनी नहरें और 70 साल बाद भी नहरें सुरक्षित हैं। भाजपा के समय बनी सीमेंट की नहरें 10 साल में ही टूट गईं।

अब 20 करोड़ रुपये से बनने वाली सीमेंट की नहर का जीर्णोद्धार कार्य पूरा हो गया है। 250 करोड़ की लागत वाली परियोजना का भी यही हाल होगा।

नहर के घटिया निर्माण की शिकायतों के बावजूद, नहर विभाग ने स्थिति को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। मांडवी तालुका के अंधत्री गाँव में काकरापार दाएँ तट नहर के टूटने से किसानों के लिए फिर से परेशानी खड़ी हो सकती है।

2024 में दावा
सरकार का दावा है कि काकरापार नहर से अब दक्षिण गुजरात के चार जिलों के 1034 गाँवों तक सिंचाई का पानी पहुँच रहा है।

जल आपूर्ति राज्य मंत्री मुकेश पटेल ने 2024 में विधानसभा को बताया कि काकरापार मुख्य नहर से सूरत, नवसारी, वलसाड और भरूच जिलों के 1034 गाँवों में 2 लाख 65 हज़ार 259 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है। बाएँ तट मुख्य नहर की लंबाई 10 किलोमीटर है और इसकी जल-वहन क्षमता 3850 क्यूसेक है। दाएँ तट मुख्य नहर की लंबाई 64 किलोमीटर है और इसकी जल-वहन क्षमता 3500 क्यूसेक है।

काकरापार दाएँ तट मुख्य नहर की मूल जल-वहन क्षमता 2480 क्यूसेक थी। दावा किया गया कि इसमें 1020 क्यूसेक की वृद्धि की गई। इस पर 386 करोड़ रुपये खर्च हुए। जल-वहन क्षमता में वृद्धि के कारण सूरत और भरूच जिलों के 8 तालुकाओं के 313 गाँवों के लगभग 1 लाख 19 हज़ार हेक्टेयर क्षेत्र को अतिरिक्त सिंचाई प्राप्त हुई।