कोविड-19 का मुकाबला करने पर सार्क नेताओं के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस पर प्रधानमंत्री का प्रारंभिक संबोधन

नई दिल्ली.
15 मार्च, 2020
महामहिम,
मैं इतने अल्प समय के नोटिस पर इस विशेष बातचीत में शामिल होने के लिए आप सभी को धन्यवाद देता हूं।
मैं विशेष रूप से हमारे मित्र प्रधानमंत्री ओली को धन्यवाद देता हूं, जो अपनी हाल की सर्जरी के तुरंत बाद हमारे साथ शामिल हुए हैं। मैं उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं। मैं राष्ट्रपति अशरफ गनी को उनके हाल के उप-चुनाव के लिए भी बधाई देना चाहूंगा।
मैं सार्क के नए महासचिव का भी स्वागत करता हूं, जो आज हमारे साथ हैं। मैं गांधीनगर से सार्क आपदा प्रबंधन केंद्र के निदेशक की उपस्थिति का भी सम्मान करता हूं।
महामहिम,
जैसा कि हम सभी जानते हैं, कोविड-19 को हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा एक महामारी के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
अब तक, हमारे क्षेत्र में 150 से भी कम मामले दर्ज किए गए हैं।
लेकिन हमें सतर्क रहने की आवश्यकता है।
हमारा क्षेत्र विश्व की पूरी जनसंख्या का लगभग पांचवां हिस्सा है। यह घनी आबादी वाला क्षेत्र है।
विकासशील देशों के रूप में हम सभी के पास स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच के मामले में महत्वपूर्ण चुनौतियाँ हैं।
हमारे सभी देशों के नागरिकों के बीच आपसी संबंध प्राचीन समय से हैं और हमारे समाज गहराईपूर्वक एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।
इसलिए, हम सभी को साथ मिलकर तैयारी करनी चाहिए, सभी को एक साथ काम करना चाहिए और हम सभी को एक साथ सफल होना चाहिए।
महामहिम,
जैसा कि हम इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए तैयार हैं, मुझे संक्षेप में अभी तक इस वायरस के विस्तार का मुकाबला करने के भारत के अनुभव को साझा करने दें।
“तैयारी करें, लेकिन दहशत में न आएं” यही हमारा मार्गदर्शी मंत्र रहा है।
हम सावधान थे कि इस समस्या को कम न आंका जाए, लेकिन बिना सोचे समझे कदम उठाने से भी बचा जाए।
हमने एक श्रेणीबद्ध प्रतिक्रिया तंत्र सहित सक्रिय कदम उठाने की कोशिश की है।
महामहिम,
हमने जनवरी के मध्य से ही भारत में प्रवेश के समय स्‍क्रीनिंग शुरू कर दी थी, साथ ही पर धीरे-धीरे प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए थे।
धीरे-धीरे इस तरह का दृष्टिकोण अपनाकर हमें दहशत से बचने में मदद मिली।
हमने टीवी, प्रिंट और सोशल मीडिया पर अपने जन जागरूकता अभियान को भी बढ़ा दिया।
हमने अति संवेदनशील समूहों तक पहुंचने के लिए विशेष प्रयास किए हैं।
हमने देश भर में अपने चिकित्‍सा कर्मियों को प्रशिक्षित करने सहित अपने तंत्र में क्षमता को तेजी से बढ़ाने का काम किया है।
हमने नैदानिक क्षमताओं में भी वृद्धि की है। दो महीनों के भीतर, हमने देश भर में 60 से अधिक प्रयोगशालाओं में परीक्षण की व्‍यवस्‍था कर ली।
और हमने इस महामारी के प्रबंधन के प्रत्येक चरण के लिए प्रोटोकॉल विकसित किए हैं, जैसे : प्रवेश बिंदुओं पर जांच करना, संदिग्ध मामलों के संपर्क का पता लगाना, क्वॉरंटीन और अलगाव सुविधाओं का प्रबंधन करना और साफ हो चुके मामलों में डिस्चार्ज करना।
हमने विदेशों में अपने लोगों की कॉल का भी जवाब दिया। हमने विभिन्न देशों से लगभग 1400 भारतीयों को निकाला। हमने अपनी ‘पड़ोस पहले नीति’ के अनुसार आपके कुछ नागरिकों की मदद की।
हमने अब इस तरह की निकासी के लिए एक प्रोटोकॉल बनाया है जिसमें विदेशों में तैनात हमारी मोबाइल टीमों के द्वारा जांच करना शामिल है।
हमने ये भी स्वीकार किया कि अन्य देश भी भारत में अपने नागरिकों के बारे में चिंतित होंगे। इसलिए हमने विदेशी राजदूतों को हमारे द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बारे में जानकारी दी।
महामहिम,
हम इस बात को पूरी तरह से पहचानते हैं कि हम अभी भी एक अज्ञात स्थिति में हैं।
हम निश्चितता के साथ यह अनुमान नहीं लगा सकते हैं कि हमारी सर्वोत्तम कोशिशों के बावजूद स्थिति आगे कैसी होगी।
आपको भी इसी तरह की चिंताओं का सामना करना पड़ रहा होगा।
यही कारण है कि हम सभी के लिए सबसे अधिक मूल्यवान ये होगा कि हम सब अपने अपने दृष्टिकोण साझा करें।
मैं आप सभी के विचारों को सुनने के लिए उत्सुक हूं।
धन्यवाद।