One Nation One Election अभी संभव ही नहीं है, कोंग्रेस

“One Nation One Election” ये सिर्फ गैर मुद्दे को मुद्दा बनाकर लोगों का ध्यान सही मुद्दों से भटकाने के लिये मोदी जी और अमित शाह की साजिश है। 4 साल तक शासन में रहने के बाद “One Nation One Election” के लिए ना कोई कानून और ना कोई संविधान में बदलाव के लिए कोशिश हुई। लेकिन अब जब चुनाव नज़दीक आने वाले हैं तो “One Nation One Election” की बात करके मोदी और अमित शाह देश की जनता को वास्तविक मुद्दों की चर्चा से दूर भगाने की कोशिश कर रहे हैं। रफेल में देश के इतिहास का सबसे बड़ा भ्रस्टाचार हुआ है, मोदी जी ने हर साल युवाओं को 2 करोड़ नौकरी देने का वादा किया था लेकिन आज नौकरी ही नहीं, भाजपा शासित राज्यों में महिलाओंपे बलात्कार और दलितों – अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की घटनायें हो रही हैं, जिस तरीके से आपराधिक कृत्य करने वालों को बचाने का काम भाजपा के नेता कर रहे हैं उसकी चर्चा ना हो। देश में काले धन की वापसी और हर खाते में 15 लाख की बात की चर्चा ना हो, चुनाव से पहले पाकिस्तान को सबक सिखाने की बात हो और चुनाव के बाद अपनी ही शपथ समारोह में पाकिस्तान के मुखिया को बुलाने और बिन बुलाये पाकिस्तान चले जाना और यहाँ हमारे देश के शहीद होते जवानों और डोकलाम मुद्दे की चर्चा ना हो, कश्मीर में महबूबा जी के साथ शासन किया और कश्मीर की बदतर हालात की चर्चा न हो इसलिये मोदी जी और अमित शाह देश की जनता का ध्यान भटकाने के लिये “One Nation One Election” की बात कर रहे हैं। प्रधानमन्त्री और जो शासन में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष यदि इस पर गंभीर होते तो पहले चुनाव आयोग जिनको चुनाव कराने का जिम्मा है, उनसे पूछ लेते कि ये वाकई मुमकिन है? आज ही यह बात सामने आई है कि चुनाव आयोग कहता है कि “One Nation One Election” अभी संभव ही नहीं है। इसका मतलब साफ़ है कि जानबूझकर सिर्फ एक राजनैतिक नौटंकी करके मोदी जी की नाकामयाबियों की तरफ से ध्यान हटाने के लिये ये बहस छेड़ी हुई है। जब मनमोहन सिंह जी प्रधानमन्त्री थे और जब डॉलर के मुकाबले रूपये की कीमत कमजोर होती थी तो खुद नरेन्द्र मोदी जी कहते थे कि प्रधानमन्त्री कमजोर है इसलिये रुपया कमजोर हो रहा है और आज इतिहास में पहली बार रुपया इतना कमजोर हो गया है कि आज डॉलर के मुकाबले रूपये की कीमत 70 रूपये पार कर गयी. इसपर देश की जनता मोदी जी पर इतिहास के सबसे कमजोर प्रधानमन्त्री होने पर सवाल ना करे, इसलिये ये बहस छेड़ी जा रही है। यह मोदी मॉडल है जब गुजरात में चुनाव पास आते ही अपनी कमजोरियों और नाकामयाबियों को छुपाने के लिये मोदी जी बेवजह के मुद्दों को मुद्दा बनाकर लोगों का ध्यान भटकाते थे। मुख्यमंत्री रहते गुजरात चुनाव में गुजरात स्थानीय चुनावों में COMPULSORY VOTING की बहस छेड़ दी और गुजरात का ध्यान असल मुद्दों से हटा दिया। एक और झूठा मुद्दा कि प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह सर क्रीक पाकिस्तान को दे देगें और इस पर बहस चलती रही और दूसरी तरफ GSPC में करोड़ों के भ्रस्टाचार जो CAG ने लिखा था, उस पर चर्चा नहीं होने दी थी। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता शक्तिसिंह गोहिल ने देश की जनता को अनुरोध किया है कि मोदी जी के झांसे और अमित शाह की साजिश में जनता ना फंसे और देश के वास्तविक मुद्दों पर चर्चा हो, यही देश के हित में है।