कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए, भारतीय रेलवे सरकार के स्वास्थ्य देखभाल प्रयासों में अतिरिक्त योगदान देने का पूरा प्रयास कर रहा है। जिन कदमों का विस्तार किया गया है उनमें यात्री कोचों को एकांत कोच के रूप में बदलना, कोविड की जरूरतों को पूरा करने के लिए मौजूदा रेलवे अस्पतालों को उपकरणों से सुसज्जित करना, आकस्मिक जरूरतों को पूरा करने के लिए अस्पताल के बेड चिन्हित करना, अतिरिक्त डॉक्टरों और पैरामेडिक्स की भर्ती आदि शामिल है।
इन सभी सुविधाओं को भारत सरकार द्वारा जरूरत के अनुसार अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराया जाएगा। भारतीय रेलवे के जीएम और चिकित्साकर्मियों की देखरेख में सभी जोनों में तैयारियां की जा रही है।
भारतीय रेलवे सरकार की जरूरत के समय कोरोना के कुछ रोगियों को एकांत में रखने के किसी भी संभावित संकट की आवश्यकता को पूरा करने के लिए आरंभ में 5000 यात्री डिब्बों को बदलने की योजना बना रहा है। ये कोच चिकित्सा दिशा-निर्देशों के अनुसार एकांत के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाओं से सुसजिजत होंगे। आवश्यकता पड़ने पर अधिक डिब्बों में बदलाव किया जा सकता है। कोच में मच्छरदानी लगी होगी, मोबाइल और लैपटॉप के लिए चार्जिंग प्वाइंट होगा और पैरामेडिक्स के लिए जगह आदि की सुविधा होगी। इन कोचों को जोनवार तैयार किया जाएगा।
भारत में रेलवे के 125 अस्पताल हैं और 70 से अधिक को आवश्यकता पड़ने पर किसी भी आकस्मिक स्थिति के लिए तैयार रखने की योजना बनाई जा रही है। इन अस्पतालों में समर्पित कोविड वार्ड या फ्लोर निर्दिष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है। मरीजों की संभावित जरूरतों को पूरा करने के लिए अस्पताल के लगभग 6500 बिस्तर तैयार किए जा रहे हैं।
भारतीय रेलवे ने चिकित्सा निरीक्षण की बढ़ती जरूरत को पूरा करने और क्षेत्र में कोविड-19 नियंत्रण प्रबन्धन के प्रभारी अधिकारियों की सहायता के लिए अस्थायी उपाय के रूप में बाजार से डॉक्टरों और पैरामेडिक्स को काम पर रखने और सेवानिवृत्त रेलवे डॉक्टरों को दोबारा काम पर रखने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए जोनल प्रमुखों को आगे बढ़ने को कहा है।
इस बात पर गौर किया जा सकता है कि भारतीय रेलवे के इन प्रयासों से न केवल सरकार के प्रयासों में वृद्धि होगी बल्कि कोराना वायरस से लड़ने के राष्ट्रीय प्रयासों में भी योगदान मिलेगा।