रेलवे ने पिछले वर्ष जितनी राशि के खाद्यान्नों लादे थे, उससे दोगुनी राशि का माल चढ़ाया

सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लिए खाद्यान्नों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्‍य से, रेलवे ने पिछले वर्ष जितनी राशि के खाद्यान्नों लादे थे, उससे दोगुनी राशि का माल चढ़ाया और उतारा

लॉकडाउन की अवधि 25 मार्च से 17 अप्रैल 2020 के दौरान 1500 से अधिक रेक और 4.2 मिलियन टन से अधिक खाद्यान्न लादा गया, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 2.31 मिलियन टन था

भारतीय रेलवे यह सुनिश्चित करने के सभी प्रयास कर रही है कि खाद्यान्न जैसे कृषि उत्पादों को समय पर उठाया जाए और निर्बाध आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित की जाए

भारतीय रेलवे कोविड-19 के कारण राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान रेलगाड़ी पर माल लादने की सेवाओं के जरिये खाद्यान्‍न जैसी आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के अपने प्रयास जारी रखे हुए है।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी भारतीय घरों की रसोई सामान्य रूप से चलती रहे, 17 अप्रैल 2020 को,83 रेक/3601 वैगन खाद्यान्न की लदाई की गई (एक वैगन में 58-60 टन की खेप होती है)। लॉकडाउन की अवधि 25 मार्च से 17 अप्रैल 2020 के दौरान, 1500 से अधिक रेक और 4.2 मिलियन टन से अधिक खाद्यान्न लादा गया।

यह प्रयास खाद्यान्न जैसे कृषि उत्पादों को समय पर उठाने और कोविड-19 के कारण राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए किए गए हैं। लॉकडाउन अवधि के दौरान इन आवश्यक वस्तुओं को चढ़ाने-उतारने और उनकी ढुलाई का काम तेजी से चल रहा है। खाद्यान्नों को लादने के लिए कृषि मंत्रालय के साथ घनिष्ठ सहयोग बनाकर रखा जा रहा है। इस बात पर गौर किया जा सकता है कि दालों के वाष्पोत्सर्जन को सुनिश्चित करने के लिए कोनकॉर नैफेड के साथ भी काम कर रहा है।

भारतीय रेलवे ने लॉकडाउन की शुरुआत के बाद से खराब होने वाली वस्तुओं जैसे फलों, सब्जियों, दूध और डेयरी उत्पादों और खेती के लिए बीजों को भेजने के लिए पार्सल स्पेशल ट्रेनें चलाने के लिए 65 मार्गों की पहचान की है। 17 अप्रैल तक, 66 मार्गों को अधिसूचित किया गया है और इन मार्गों पर समयबद्ध ट्रेनें चलाई जा रही हैं। उन मार्गों पर भी ट्रेनें चलाई जा रही हैं जहाँ माँग कम है, ताकि देश का कोई भी हिस्सा बिना सम्‍पर्क के न रहे। सभी संभावित स्थानों पर ट्रेनों को मार्ग के बीच में रोकने की व्‍यवस्‍था की गई है, ताकि पार्सल की अधिकतम संभव निकासी हो सके।