कोविड-19 की स्क्रीनिंग के लिए पुणे स्थित स्टार्टअप तैयारकर रहा हैरैपिड डायग्नोस्टिक किट

भविष्य में कोविड संक्रमण् के मामलों की पुष्टि के लिए इसके माध्यम से नमूनों के परीक्षण का काम 100 नमूने प्रति घंटे तक बढ़ाया जा सकता है

डीएसटी के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा के अनुसार, कोविड-19 की जांच में तेजी से काम करने , कम लागत, सटीकता तथा पहुंच की सुविधा प्रमुख चुनौतियां

कोविड की जांच के लिए कोव ई सेन्स नाम की तकनीकि खास तौर से विकसित की गई

कोविड की जांच के लिए एक संशोधित पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन (पीसीआर) आधारित जांच किट और रैपिड स्क्रीनिंग के लिए एक पोर्टेबल चिप-आधारित मॉड्यूल जैसे दो उत्पाद विकसित किए गए

पोर्टेबल रैपिड डायग्नोस्टिक्स किट नियमित निगरानी के माध्यम से भविष्य में संक्रमण के दोहराव को रोकने में मददगार हो सकता है

फास्ट सेन्स डायग्नोस्टिक्स के नाम से 2018 में शुरु हुआ एक स्टार्टअप अब कोविड-19संक्रमण का पता लगाने के लिए दो मॉड्यूल विकसित कर रहा है।विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग( डीएसटी)द्वारा वित्त पोषित यह स्टार्टअप पहले भी रोगों की जांच के लिए कई नवीन उत्पाद विकसित कर चुका है।

“डीएसटी के सचिव आशुतोष शर्मा ने कहा कि कोविड का पता लगाने की जांच के समक्ष सेवा की उपलब्धता वाले स्थान पर कम खर्च के साथ तेजी और सटीकता के साथ काम करने की प्रमुख चुनौती है। इन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कई स्टार्टअप्स ने रचनात्मक और अभिनव तरीके विकसित किए हैं। डीएसटी,इनमें से सबसे क्षमता वाले स्टार्टअप को पूरी मदद दे रहा है ताकि तकनीक के आधार पर उपयुक्त पाए जाने वाले ऐसे स्टार्टअप की व्यावसायीकरण श्रृंखला को सुविधाजनक बनाया जा सके।

कैंसर, लीवर की बीमारऔर नवजातों में होने वाले सेप्सिस रोग जैसी ​जटिल बीमारियोंकी शुरुआती स्तर पर पहचान और जांच के लिए अपने मौजूदा यूनिवर्सल प्लेटफॉर्म “ओमनी-सेंसर” की तर्ज पर, कंपनी ने कोविड के लिए विशेष रूप से एक प्रौद्योगिकी कोव ई-सेन्स का प्रस्ताव किया है।यह तकनीक कम लागत में तेजी और सटीकता के साथ कोविड-19 की स्क्रीनिंग में मददगार होगी। कंपनी ने कोव ई-सेंस के लिए पेंटेट का आवेदन भी किया है।

संक्रमण की जांच के लिए कंपनी दो तरह के उत्पाद बाजार में लाने की योजना बना रही है। इनमें से एक संशोधित पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन (पीसीआर) आधारित किट है, जबकि दूसरा पोर्टेबल चिप आधारित मॉड्यूल है। पीसीआर के जरिए जांच का काम मौजूदा उपलब्ध जांच विधियों की तुलना में कम समय में ज्यादा तेजी के साथ (लगभग 50 नमूनों का एक घंटे में परीक्षण) किया जा सकता है।जबकि पोर्टेबल चिप आधारित मॉड्यूल से लक्षित अबादी में कोरोना संक्रमण की जांच चिप सेंसिंग तकनीक के माध्यम से प्रति नमूना 15 मिनट में की जा सकती है। भविष्य में इसे 100 नमूने प्रति घंटे तक बढ़ाया जा सकता है।

फास्टसेंसडाइग्नोस्टिक्स तकनीक के इस्तेमाल के लिए किसी तरह के खास प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं है ऐसे में यह तकनीक कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भारत में संक्रमण जांच के प्रयासों को और सशक्त बनाने में मददगार हो सकती है।

जांच की इन दोनों तकनीक का इस्तेमाल हवाई अड्डों, आबादी वाले क्षेत्रों और अस्पतालोंजैसे संक्रमण के ज्यादा खतरे वाले स्थानों में आसानी से किया जा सकता है।इनके माध्यम से ऐसे स्थानों में स्वस्थ व्यक्तियों में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए बड़ी आबादी की स्क्रीनिंग की जा सकती है और इसका डेटा एक घंटे से भी कम समय में प्राप्त किया जा सकता है। कंपनी इस तकनीक को और किफायती बनाने पर काम कर रही है।

यह टीम पुणे स्थि​त राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान के साथ सहयोग करने की भी योजना बना रही है जिसके लिए प्रदर्शन के आधार पर इन्हें अनुमोदन दिए जाने की प्रक्रिया चल रही है। यह टीम अपने उत्पादों का व्यापक स्तर पर इस्तेमाल करने के लिए बाजार में मौजूद कई कंपनियों के साथ भी संपर्क में है।

 

इस पर काम करने वाली टीम में विषाणु विज्ञान, आणविक जीव विज्ञान और जैव सूचना प्रणाली के विशेषज्ञ शामिल हैं जो 8 से 10 सप्ताह में इसका प्रोटोटाइप ​तैयार कर सकते हैं। कंपनी के पास इस जांच तकनीक के बड़े पैमाने पर इस्तेमाल के लिए इनका उत्पादन बढ़ाने के लिए घरेलू स्तर पर सुविधाएं भी हैं।

इसके अतिरिक्ति कोविड महामारी के इस दौर में संक्रमण के फैलाव को रोकने के साथ यह किट नियमित निगरानी के माध्यम से भविष्य में महामारी के दोहराव को रोकने में भी मददगार होगी। कम लागत वाली और इस्तेमाल में आसान ये तकनीक ग्रामीण आबादी तक आसानी से मदद पहुंचाने और शहरों के स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे पर बोझ कम करने में मदद कर सकती है।

(अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: डॉ प्रीति निगम जोशी, संस्थापक निदेशक,फास्टसेंस डाइग्नोस्टिक्स् , preetijoshi@fastsensediagnostics.com, Mob: 8975993781)