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नरसंहार, आदिवासियों के मसीहा गोविंदगुरु
राजस्थान के पंचमहल के आसपास के क्षेत्र में एक समय ऐसा था कि आदिवासी समाज अनेक बुराइयों से घिरा हुआ था। उस समय श्री गोविंदगुरु ने अंधविश्वास, शराबखोरी, चोरी जैसी कुरीतियों को दूर करने का काम किया और वे स्वयं आदिवासियों के मसीहा कहलाये। तो आइए जानते हैं श्री गोविंदगुरु के बारे में।
विश्व आदिवासी दिवस.
मानगढ़ नरसंहार जिसे आदिवासी समाज के जीवनकाल क...
भूपेन्द्र पटेल की सरकार ने 6400 आदिवासियों को जमीन दी
अहमदाबाद, 8 अगस्त 2024
राज्य सरकार द्वारा वन अधिकार अधिनियम-2006 के तहत 1,02,615 दावों को मंजूरी दी गई है, जिसमें कुल 5,69,332 हेक्टेयर भूमि खेती के लिए दी गई है। जनगणना 2011 के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में कुल 18,37,844 आदिवासी परिवार जंगलों में रहते हैं।
भले ही वे 60 वर्षों से ज़मीन जोत रहे हैं, वे सरकारी कार्यालयों में काम कर रहे हैं जिनका न...
गुजरात: पार-नर्मदा-तापी लिंक प्रोजेक्ट के नाम पर आदिवासियों को उजाड़ने...
विवेक शर्मा | न्यूज क्लिक 18 May 2022
गुजरात के आदिवासी समाज के लोग वर्तमान सरकार से जल, जंगल और ज़मीन बचाने की लड़ाई लड़ने को सड़कों पर उतरने को मजबूर हो चुके हैं।
वैसे तो इस देश में हमेशा से आदिवासी समाज हाशिये पर रहा है, लेकिन इन दिनों गुजरात में यह समाज भाजपा सरकार की पूंजीवादी नीतियों के कारण बिल्कुल ही गर्त में जाने को मजबूर हो चुका है।...
एक लाख आदिवासियों को सरकार द्वारा जंगल में 13 लाख एकड़ कृषि भूमि दी गई...
उन्होंने स्पष्ट किया कि वनवासियों के योगदान के कारण ही वन संसाधनों, वनों और वन्यजीवों की रक्षा हुई है। वन संरक्षित हैं। ऐसे वन निर्माता जो वर्षों से जमीन पर खेती कर रहे हैं, वे वन भूमि के मालिक हैं।
वलसाड जिले के कपराडा, धरमपुर और उमरगाम दूरस्थ वन क्षेत्रों के 114 वन भाइयों को 24 हेक्टेयर वन भूमि के आवंटन के लिए स्वीकृति पत्र और 4000 वन भाइयों को ...