गांधीनगर, 4 सप्टेम्बर 2020
किसान किस तरह से गुजरात की भूमि का उपयोग कर रहे हैं, रोपण के पूरा होने के बाद स्पष्ट हो गया है। कृषि विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, बुवाई अब पूरी हो गई है। दिवेला आखिरकार रोप दी गई है। हालांकि, वाणिज्यिक फसलें खाद्य पदार्थों की तुलना में अधिक सामान्य हैं। अनाज, दालें, सब्जियाँ मानव जीवन की आवश्यक फसलें हैं। जिनकी खेती बमुश्किल 25 फीसदी है। इसके विपरीत, वाणिज्यिक फसलों का लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा होता है। यदि तेल को भोजन माना जाता है, तो 34% मीलाया जाता है। कपास के तेल को दीवेला castor oil के बजाय भोजन के रूप में माना जा सकता है।गुजरात में 1.01 करोड़ हेक्टेयर में कृषि होती है। मानसून में कुल 85 लाख हेक्टेयर में कृषि होती है। दूसरे खेतो को बाग और गन्ना खेत माना जाता है।
इस प्रतिशत का गणित दिखाता है कि गुजरात की कृषि कहाँ बढ़ रही है। गुजरात की 50% फसल कपास और मूंगफली है। बाकी अन्य फसलें 50 प्रतिशत पर आती हैं। गुजरात में किसानों के उत्पीड़न का मुख्य कारण कपास और मूंगफली की अधिक खेती है। ये दोनों फसलें की आमदानी अंतर्राष्ट्रीय बाजार के आधार पर निर्भर हैं। जिनकी कीमतों में तेजी से उतार-चढ़ाव होता है। अधिक उत्पादन होने पर किसानों को नुकसान होता है।
कुल रोपण के सामने फसल का कितना प्रतिशत लगाया गया है, इसका विवरण प्रतिशत में दिया गया है।
फसल |
प्रतिशत |
अनाज | 15.85 |
फलियां | 5.16 |
तिलहन | 34 |
अन्य फसलें | 45 |
धान | 9.84 |
बाजरा | 2.15 |
चारा | 0.34 |
मक्का | 3.37 |
अन्य अनाज | 0.15 |
तुअर | 2.65 |
मग | 1.11 |
गणित | 0.17 |
अडद | 1.18 |
अन्य सेम | 0.3 |
मूंगफली | 24.30 |
तिल | 1.75 |
दिवाली | 6.11 |
सोयाबीन | 1.75 |
अन्य तिलहन | 0.04 |
कपास | 26.79 |
तंबाकू | 0.15 |
ग्वार के बीज | 1.39 |
सब्जियां | 2.78 |
चारा | 2.77 |
फल, गन्ना, फूल 15 प्रतिशत | |
कुल भूमि 1.01 करोड़ हेक्टेयर में लगाई गई | |
मानसून ने 85 लाख हेक्टेयर में रोपण किया है। |
रोपण पूरा हो गया है लेकिन उत्पादन आधा हो जाएगा
ये आंकड़े उसके हैं। भारी बारिश और फसल खराब होने से हुए नुकसान का कोई ब्योरा नहीं है। यह प्रतिशत उत्पादन की गणना में काम नहीं करता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि धान को छोड़कर ज्यादातर फसलों को 50 फीसदी नुकसान हुआ है। अधिक बारिश के कारण इस बार उत्पादन आधा हो जाएगा। यही किसान सोच रहे हैं। गुजरात की 50% कृषि भारी बारिश के कारण बर्बाद हो गई है। किसानों की भरपाई अब नहीं कर सकते। जिसमें तिलहन की खेती इस बार अच्छी तरह से बढ़ी है। अधिकांश क्षति भारी वर्षा के कारण हुई।