केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज बेंगलुरू में ‘संकल्प से सिद्धि’ सम्मेलन के तीसरे संस्करण को संबोधित किया। कार्यक्रम में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और केन्द्रीय संस्कृति, पर्यटन एवं उत्तरपूर्व मामलों के मंत्री जी किशन रेड्डी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
यह देखना दिलचस्प है कि मोदी को महान बनाने और देश के महान अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह को चित्रित करने के लिए भाजपा सरकार के 8 साल बाद भी अमित शाह किस तरह के आरोप लगा रहे हैं।
अमित शाह ने अपने भाषण में क्या झूठ बोला है। देखिये…..
इस अवसर पर केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि देश की आज़ादी के 75 साल होने के उपलक्ष्य में आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाने का निर्णय प्रधानमंत्री और भारत सरकार ने लिया है। इस अमृत महोत्सव में 25 साल बाद आज़ादी की शताब्दी के समय हर क्षेत्र में भारत कहां होगा और वह दुनिया का नेतृत्व कैसे करेगा, इसका संकल्प करना है। संकल्प से सिद्धि का ये सम्मेलन इस अमृत वर्ष से लेकर शताब्दी वर्ष तक की प्लानिंग का सम्मेलन है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने 75 से 100 साल तक के काल को अमृत काल बताया है। देश आज़ाद होने के बाद 17 लोक सभा चुनाव हुए, 22 सरकारें आईं और 15 प्रधानमंत्री बने और सबने देश को आगे ले जाने में अपना कुछ न कुछ योगदान दिया। लेकिन, पिछले 8 साल में प्रधानमंत्री ने देश के सर्वस्पर्शीय और सर्वसमावेशी विकास को बहुत अच्छी तरह से दुनिया के सामने रखने का काम किया है। आज पूरी दुनिया भारत के विकास की गति और इसके आयामों को देख रही है। आज देश में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां सुधार नहीं हुआ, हम आगे न बढ़े हों और संभावनाएं बढ़ाई न गई हों। उन्होंने कहा कि सर्वसमाज के कल्याण के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के निर्माण का जो संकल्प लिया है, इसमें उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति की तो झलक दिखती ही है, साथ ही जनभागीदारी प्राप्त करने की उनकी विशेषता भी दिखती है।
अमित शाह ने कहा कि 2014 में जब देश के प्रधानमंत्री बने तब देश में पॉलिसी पैरालिसिस था और 12 लाख करोड़ के घपले-घोटाले अख़बारों की सुर्ख़ियों में थे। क्रोनी कैपिटलिज़्म अपने चरम पर था, फ़िस्कल डेफ़िसिट क़ाबू के बाहर था, ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस में हम लगातार नीचे जा रहे थे और दुनिया में हमारा सम्मान भी कम हो रहा था। ऐसी स्थिति में 2014 में देश की जनता ने एक ऐतिहासिक फ़ैसला देते हुए को देश का प्रधानमंत्री चुना और 30 साल बाद देश में एक पूर्ण बहुमत की निर्णायक सरकार आई। पहले की सरकार में देश के प्रधानमंत्री को कोई प्रधानमंत्री नहीं मानता था लेकिन हर मंत्री स्वयं को प्रधानमंत्री मानता था। उस वक़्त देश की जनता ने एक निर्णायक सरकार दी और पिछले 8 सालों की यात्रा को देखें तो आज हम दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन चुके हैं। जीएसटी का सफल क्रियान्वयन करके इस साल अप्रैल में रिकॉर्ड 1.68 लाख करोड़ रूपए जीएसटी राजस्व प्राप्त हुआ है। सबसे ज़्यादा व्यापारिक वस्तुओं का निर्यात 2022 में हुआ, सबसे ज़्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 2022 में आया और ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस रैंकिंग में भी हमने लंबी छलांग लगाई है। शाह ने कहा कि पिछले आठ सालों में अर्थतंत्र को रिवाइव और मज़बूत करने के लिए मोदी जी ने कई प्रयास किए हैं। सरकार ने आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के दो नारों के साथ देश के अर्थतंत्र की दिशा तय करने का काम किया है। आने वाले 25 सालों के अमृत काल की नींव रखने का काम मोदी सरकार ने किया है औरआज भारत को कोई हल्के में नहीं ले सकता।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि 2019 में कोरोना के रूप में मानव इतिहास की सबसे बड़ी महामारी का देश ने सामना किया। सभी लोग परेशान थे कि इससे कैसे निपटेंगे क्योंकि ना दवा थी और ना ही टीका। इस स्थिति में भारत ने अपने आप को एक नए मॉडल के रूप में प्रस्थापित किया और एक नई नीति अपनाई। प्रधानमंत्री जी ने देश के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर स्वदेशी वैक्सीन निर्माण के लिए प्रयास शुरू कर दिए। मोदी जी के नेतृत्व में लिए गए निर्णयों के कारण दुनिया के सभी अर्थशास्त्री मानते हैं कि कोविड के प्रभाव से सबसे पहले भारत का अर्थतंत्र उबरा है। इस दौरान एमएसएमई को बचाने के लिए हमने उन्हें 6 लाख करोड़ रूपए की वर्किंग कैपिटल दी, मुफ़्त राशन देकर लोगों की मदद की और डीबीटी की योजनाएं शुरू कीं। इस दौरान हमने फ़ोकस के पांच स्तंभ तय किए- इकोनॉमी, इन्फ्रास्ट्रक्चर, सिस्टेमेटिक रिफ़ॉर्म इन सिस्टम, डेमोग्राफ़ी और डिमांड एंड सप्लाई। इन पांच स्तंभों के आधार पर हमने कोविड से निपटने का निर्णय लिया और मोदी जी की इन्हीं नीतियों ने भारत को कोविड के संकट से बाहर निकाला। मोदी सरकार ने दो साल तक 80 करोड़ लोगों को मुफ़्त अनाज भी दिया। दुनिया में कोई ऐसा देश नहीं है जिसने 80 करोड़ लोगों को दो साल तक भोजन मुफ़्त उनके घर पहुंचाने का काम किया हो, ये केवल भारत में हुआ है। इसी दौरान नई शिक्षा नीति, नई ड्रोन नीति, नई स्वास्थ्य नीति बनीं, कमर्शियल कोल माइनिंग का निर्णय भी उसी वक़्त लिया गया, नेश्नल पॉलिसी ऑन इलेक्ट्रॉनिक्स भी उसी समय बनी, मेक इन इंडिया को मज़बूत बनाने की योजना भी बनी, स्टैंड-अप इंडिया और स्किल इंडिया को भी ताक़त देने का काम हुआ, डिजिटल इंडिया, उड़ान और वोकल फ़ॉर लोकल भी हमारी नीतियों का महत्वपूर्ण हिस्सा बने। आज भारत में एक भी घर ऐसा नहीं है जिसमें शौचालय नहीं है। हमने कोविड के दौरान अनेक नीतियों का निर्धारण किया जिसके कारण अर्थतंत्र को हर क्षेत्र में गति मिली। इसके साथ ही 14 सेक्टर्स में लगभग 30 लाख करोड़ रूपए का उत्पादन बढ़ाने के लिए हम पीएलआई स्कीम लाए। इसके माध्यम से भारत को आत्मनिर्भर और मैन्युफ़ैक्चरिंग हब बनाने का काम ने किया है।
अमित शाह ने कहा कि मोदी जी के नेतृत्व में 2022 में हमारा जीडीपी ग्रोथ 7.4 प्रतिशत है, जो कई विकसित देशों के मुक़ाबले बहुत ज़्यादा है, यही बताता है कि हमारी नीतियां सफल हुई हैं और परिणाम दे रही हैं। 2014 से 2021 के बीच 440 बिलियन डॉलर का एफ़डीआई भारत में आया और निवेश के लिए हम दुनिया का सातवां फ़ेवरेट डेस्टिनेशन बन चुके हैं। ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस रैंकिंग में 2014 में हम 142वें नंबर पर थे, आज 63वें नंबर पर हैं। 2014 में एक यूनिकॉर्न स्टार्ट-अप से आज 100 से अधिक यूनिकॉर्न स्टार्ट-अप के साथ भारत के युवा वैश्विक मंच पर देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। ग्लोबल कॉंपीटिटिव इंडेक्स में 2014-15 में हम 71वें स्थान पर थे, आज 43वें स्थान पर हैं ।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर पर फ़ोकस करके हमने एक महान भारत की नींव डाली है और अगली पीढ़ी के लिए ऐसेट क्रिएट करने का काम हमने किया है। लॉजिस्टिक्स कॉस्ट को सुधारने के लिए पीएम गतिशक्ति की हमने शुरूआत की। सामाजिक और आर्थिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए हमने 100 लाख करोड़ रूपए ख़र्च करने का निर्णय लिया है,11 इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाए और 32 इकोनामिक इन्वेस्टमेंट क्षेत्र बनाए हैं। पहले ट्रांसमिशन लाइन 3 लाख सर्किल किलोमीटर थी, जिसे नरेंद्र मोदी सरकार ने 8 साल में बढ़ाकर 4,25,000 सर्किल किलोमीटर किया है। पहले सिर्फ 60 पंचायतों में ऑप्टिकल फाइबर था लेकिन पिछले 8 साल में 1,50,000 पंचायतों तक पहुंच गया है और दिसंबर,2025 तक देश में एक भी गांव बिना ऑप्टिकल फ़ाइबर के नहीं होगा।नेशनल हाईवे लगभग 91,000 किलोमीटर था, इसे बढ़ाकर 1,34,000 किलोमीटर किया है और नवीनीकरण ऊर्जा की क्षमता लगभग 100 गीगावाट को पार कर गई है।
अमित शाह ने कहा कि बड़ी आबादी एक मार्केट है और मार्केट तब होती है जब देश की ग्रोथ इसके सिमिट्रिकल हो। भारत की आबादी 130 करोड़ थी और मार्केट 80 करोड़ लोगों का था क्योंकि बाक़ी लोगों के पास ख़रीदने की क्षमता ही नहीं थी। उनकी प्राथमिकता अपने परिवार का पालन करना थी। हमने उन्हें गैस सिलेंडर, शौचालय दिए, पीने का पानी दे रहे हैं, पीएम किसान के माध्यम से 6000 रुपये लगभग 11 करोड किसानों को दिए गए, ढाई करोड़ से अधिक लोगों को घर दिए, लगभग 60 करोड़ लोगों को 5 लाख रुपए का हेल्थ इंश्योरेंस दिया, 43 करोड बैंक खाते खोले, डीबीटी के माध्यम से 300 से अधिक योजनाओं के 23 लाख करोड़ रूपए 8 साल में सीधे गरीबों के बैंक अकाउंट में किसी करप्शन के बिना पहुंचाने का काम मोदी सरकार ने किया है। इसका मतलब यह है कि इन 60 करोड लोगों कोउनकी रोजमर्रा की चिंताओं से सरकार ने मुक्त कर किया है। इन चिंताओं में ही इन करोड़ों लोगों की पीढियाँ चली जाती थीं, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले 8 सालों में ये सब उन्हें दिया है। अब इन चिंताओं से मुक्त होकर वह आगे की सोचता है। अब ये लोग अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के बारे में सोचते हैं और अपने आप को भारत के विकास के साथ जोड़ पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी जी ने इन करोड़ों लोगों की आकांक्षाओं को देश के अर्थतंत्र के विकास के साथ जोड़कर इकोनॉमी और आपके मार्केट को 130 करोड़ का बनाने का काम किया है। 130 करोड़ लोग मिलकर जब अर्थतंत्र में योगदान देते हैं तब हमारी ताक़त बहुत बड़ी बन जाती है। मोदी जी ने अर्थ तंत्र और जीडीपी को मानवीय चेहरा देने का काम किया है। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को स्वस्थ बनाने, हर घर में शुद्ध पीने का पानी पहुंचाने और हर व्यक्ति को उसके परिवार के स्वास्थ्य की चिंता से मुक्त करने के कामपिछले 8 साल से हो रहे हैं।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि R&D को बढ़ावा देने के लिए सीआईआई को एक प्लेटफार्म बनना चाहिए। भारत के उद्योग जगत को अपनी स्पीड बढ़ाने के बारे में नहीं बल्कि अपना स्केल बदलने के बारे में सोचना चाहिएऔर अगर स्केल बदलना है तो R&D पर थ्रस्ट देना होगा। उन्होंने कहा कि भारत के बच्चे विश्व में R&D के लिए सबसे अच्छा ब्रेन माने जाते हैं और वह भारत में R&D करें, इसके लिए सीआईआई को प्रयास करना चाहिए। इंडस्ट्री को स्टार्टअप कोभी बैकअप देना चाहिए क्योंकि इंडस्ट्री और स्टार्टअप के बीच में एक प्रकार का जुड़ाव होता है। उन्होंने सीआईआई को सुझाव दिया कि उत्पादन श्रंखला में कच्चे माल से लेकर फिनिश्ड गुड्स के बीच में कुछ भी भारत के बाहर नहीं बनना चाहिए। इस जुनून के साथ सीआईआई को चीजों को आईडेंटिफाई करना चाहिए। यह काम अब इंडस्ट्री को करना चाहिए और वह तभी हो सकता है जब सीआईआई सिर्फ रिप्रेजेंट करने की जगह प्लेटफार्म भी बने और समस्याओं का समाधान करने के लिए कुछ ठोस प्रपोजल लेकर आए। शाह ने कहा कि डिफेंस एनर्जी, चीप इंडस्ट्री और मैन्युफैक्चरिंग हब, इन चीजों में विशेष ध्यान देकर हमने आगे बढ़ने की जरूरत है। उन्होंने सीआईआई प्लेटफॉर्म के माध्यम से आह्वान किया कि इंडस्ट्री जगत को भी 130 करोड़ लोगों, उनके हितों और सुख-दुख के साथ ख़ुद को जोड़ना होगा।