अहमदाबाद मेट्रो में 20 साल की देरी, चुनाव जीतने की जीवन रेखा

दिलीप पटेल

अहमदाबाद, 23 सितंबर 2022

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 सितंबर 2022 को एक बार फिर से अहमदाबाद मेट्रो रेल की आधी लाइन शुरू करने के लिए अहमदाबाद आ रहे हैं। इससे पहले पिछले चुनाव में आधी लाइन खोली गई थी। अहमदाबाद मेट्रो रेल दर चूनाव में सामने आ जाती है। भाजपा के लिये अहमदाबाद मेट्रो जीत ने कि जीवन रेखा बन गई है।

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेट्रो रेल के लिये ईन्कार कर दीया था। अब भारी खर्च की वजह से अहमदाबाद की मेट्रो रेल के लिए हर परिवार को एक कार का भुगतान कर में करा पडा है। 20 साल की देरी के कारण परियोजना की लागत कई गुना बढ़ गई है। आधी लाइन 2019 के लोकसभा चुनाव में शुरू की गई थी। 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में आधी लाईन शरू करने के बाद एक लाइन पूरी शुरू होगी।

गांधीनगर तक इसी लाइन को 2024 के लोकसभा चुनाव तक शुरू आधी शुरू किया जा सकती है और 2026 के विधानसभा चुनाव तक पूरा किया जा सकता है।

धोलेरा स्मार्ट सिटी के लिए 100 किमी कि मेट्रो लाइन कभी शुरू नहीं हो सकती, ऐसा लगता है। क्युं कि धोलेरा शहर ही बनेगा नहीं।

2007 के गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान गांधीनगर से अहमदाबाद तक आश्रम रोड पर मिट्टी परीक्षण के बहाने विकास के नाम पर वोट लिए गए थे। 2012 में मेट्रो की नींव रखने के बाद वोट मांगे गए थे। 2017 में भी ऐसा ही किया गया था। मोदी सरकार के 20 साल के चुनाव जीतने के लिए यह मेट्रो लाइन है। मोदी कि ए राजनीतिक लाईफ लाइन है।

अगर रोजाना 10 लाख यात्री सफर करते हैं तो मेट्रो की कीमत से रू.2 लाख में छोटी कारें खरीद करने जीतनी हो जा सकती हैं। मेट्रो रेल की कुल लागत 20 हजार करोड़ के करीब आ रही है।

भाजपा सरकार के चार मुख्यमंत्रियों की अक्षमता के कारण गांधीनगर और अहमदाबाद शहर के बीच मेट्रो रेल की परियोजना 20 साल बाद भी कहीं नजर नहीं आ रही है। आधी लाइन 2019 में शुरू हुई थी। अब कुछ दिनों में आधी लाईन मोदी शुरू करने वाले है। ईस तरह से एक लाइन शुरू होने जा रही है।

पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के समय में मेट्रो रेल की गति तेज हो गई थी। लेकिन जब से मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने सत्ता संभाली है तब से वह दिशाहीन साबित हुए थी।

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चुनाव आने पर मेट्रो रेल का सपना

अहमदाबाद, धोलेरा, राजकोट, वडोदरा, सूरत, जामनगर, भावनगर और गांधीनगर में मेट्रो रेल शुरू करने के वादे थे।

मनमोहन सिंह की सरकार ने अहमदाबाद में मेट्रो रेल के लिए धन और प्रौद्योगिकी की पेशकश की जब मोदी मुख्यमंत्री थे। लेकिन नरेन्द्र मोदी ने स्वीकार नहीं किया था। बीआरटीएस परियोजना को मोदी ने स्वीकार कर लिया। तभी से जब भी चुनाव आते हैं तो मेट्रो रेल की याद आती है। वोट मिल जाने के बाद पास होते हैं और फिर प्रोजेक्ट बंद हो जाता है। मोदी के मुख्य प्रधान होने के समय में इस प्रोजेक्ट में 200 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।

कार खरीदने जितना खर्चा

राज्य की विफल रूपाणी सरकार को केंद्र की ओर से सीधा निर्देश था कि मेट्रो रेल का काम 2018 में पूरा कर लिया जाए। लेकिन अभी तक सिर्फ छह किलोमीटर की मेट्रो रेल शुरू हुई है, वह भी आनंदीबेन ने ही शुरू की थी। 2003 में मेट्रोरेल की परियोजना 3500 करोड़ रुपये तय की गई थी।

2007 में रु. 8000 करोड़। 2014 में मेट्रोरेल का प्रोजेक्ट 10773 करोड़ रुपये का था। 2020 में मेट्रो परियोजना की लागत बढ़कर 17,087 करोड़ रुपये हो गई है। अगर दो साल में पूरा हो जाता है तो यह 20,000 करोड़ रुपये हो जाएगा।

मेगा कंपनी ने सितंबर 2022 में अहमदाबाद मेट्रोरेल परियोजना को पूरा करने का वादा किया है। जो नहीं पूरा किया जा सकता। परियोजना अहमदाबाद और गांधीदार के 10 लख लोगों कि जेब से 2 लाख रुपये की कार खरीदने की लागत मेट्रो बनेगी।

20 साल की देरी के बावजूद मोदी की पूरी मेट्रो नहीं चल रही है।

अहमदाबाद मेट्रोरेल परियोजना का पहला चरण 2020 तक पूरा किया जाना था। 2022 खत्म होने को है लेकिन अभी खत्म नहीं हुआ है।

बीजेपी की गुजरात सरकार ने विधानसभा में लोगों से वादा किया था कि अहमदाबाद मेट्रो रेल का काम 2020 के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा। अहमदाबाद के लोगों को मेट्रो रेल में सफर करने को मिलेगा। हालांकि ऐसा नहीं हुआ। अब 20 साल हो गए हैं।

मेट्रो रेल 15 साल की देरी से चल रही है। जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मोदी से मेट्रो के लिए कहा तो मेट्रो रिजेक्ट हो गई और उन्होंने बीआरटीएस को चुना। इसलिए यह प्रोजेक्ट 15 साल की देरी से चल रहा है। 56 इंच का सीना हटाकर कोई नहीं बता सकता कि यह कब खत्म होगा।

विभाग ने कहा है कि अहमदाबाद में मेट्रोरेल से कुल 554 परिवार प्रभावित हुए हैं, जिनमें से 450 परिवारों को ईडब्ल्यूएस मकान और 104 परिवारों को मुआवजा दिया गया है। शहरी विकास विभाग ने इन परिवारों के लिए 45.08 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। हालांकि मेट्रोरेल में अभी काफी काम किया जाना बाकी है और प्रगति धीमी है।

अभी सिर्फ अपेरल पार्क से वस्त्राल तक का ही रूट मेट्रो रेल चल रहा है। अहमदाबाद शहर में मेट्रो रेल के लिए 39.25 किमी की दूरी तय की गई है। पहले चरण में 10773 करोड़ रुपये खर्च किए जाने थे। जो दोगुना हो सकता है। मेट्रो रेल के तीन डिब्बों में एक साथ 1017 यात्री यात्रा कर सकते हैं। ट्रेन अधिकतम 90 किमी की रफ्तार से दौड़ सकती है।

2019 में, राज्य के शहरी विकास विभाग ने विधानसभा में विधायकों के विभिन्न सवालों के जवाब में कहा कि अहमदाबाद मेट्रोरेल अभी निर्माणाधीन है, जिसे पूरा होने में एक और साल लग सकता है। राज्य सरकार ने घोषणा की थी कि उसने पिछले पांच वर्षों में मेट्रोरेल पर 4228.86 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।