दिलीप पटेल
अहमदाबाद, 14 नवंबर 2022
जिसमें बीजेपी को सबसे ज्यादा मजबूत करने वाली हिंदू धर्म की रक्षक ब्राह्मण जाति ने बीजेपी को मजबूत किया। वह भी कांग्रेस के माधव सिंह, जीणा दर्जी की जातिवादी नीतियों के कारण, ब्राह्मण 1985 से आज तक भाजपा समर्थक रहे हैं। लेकिन अब परशुराम और आज के राजा बने दिल्ली के दो और गुजरात के तीन बीजेपी नेताओं को एक बार फिर ब्राह्मण वोट की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
सोशल मीडिया में बीजेपी को ब्राह्मण वोट नहीं, केम्पेईन चल रहा है, पिछले 6 दिनों से इस तरह के मैसेज चल रहे थे लेकिन बीती रात से बीजेपी के गांधीनगर कार्यालय में सुरेंद्रनगर वढवाण प्रत्याशी को टिकट दिया गया था अब वापस लिया गया है। जीतने के लिए 40 सीटों पर ब्राह्मण वोटरों का दबदबा है, फिर भी गुजरात भाजपा ने टिकट बदला है।
वढवान में ब्राह्मण की बेटी जिज्ञाबेन पांड्या को टिकट दिया गया। वह वापस ले ली है। जिसको लेकर कल गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी ने दबाव से वापिस लिया गया। टिकट वापस करने के लिए सहमति पत्र लिखवाया गया। यह कार्रवाई देर रात तक चलती रही। आखिरकार सौराष्ट्र के दो ब्राह्मण उनेद्वारों में से एक का टिकट वापस ले लिया गया है।
वढवान के ऑपरेशन के पीछे दिल्ली के दो नेताओं और राजकोट के एक पूर्व मुखिया का हाथ था। हालाँकि, ये नेता 2002 से गुजरात में ब्राह्मण मतदाताओं को काट रहे हैं। आखिरी बड़ी कटौती पूर्व मंत्री जयनारायण व्यास की हुई थी। ओपरेशन के पीछे नरेन्द्र मोदी और अमित शाह खडे थे।
सीट मिली
वढवान में ब्राह्मण और जैन समुदाय में विरोध है। सुरेंद्रनगर में औदिच्य ब्रह्म समाज में ब्राह्मणों और जैन का मिलन 13 नवम्बर 2022में हुआ। 500 नेता थे। बीजेपी के फैसले का विरोध किया। भाजपा द्वारा ब्राह्मण और जैन समुदाय की महिला नेता। जिज्ञाबेन पांड्या जो जयंती पारेख की बेटी और संजय पांड्या की धर्मपत्नी हैं। बीजेपी उम्मीदवार घोषित करने के बाद उनका टिकट रद्द कर दिया गया है। अपमानित महसूस कर रहे ब्राह्मण, जैन समुदाय में भारी विरोध हुआ। अपमान न स्वीकार करने का स्वर व्यक्त किया। मतदाताओं से भाजपा के खिलाफ वोट करने की अपील की गई। यह सब कुछ बैठक में हुआ।
रणनीति बनाने के लिए रात में बैठक हुई। यह भी कहा कि ब्राह्मण और जैन समुदाय हमेशा भाजपा के साथ रहे हैं, लेकिन भाजपा ने वफादारी के बदले शिरपाव के बजाय दोनों समुदायों को दंडित किया है।
इस बैठक में ऑडीच्य ब्राह्मण ण समाज सुरेंद्रनगर के अध्यक्ष सुनीलभाई भट्ट, पंकजभाई जानी, पूर्व डीवाईएसपी के।सी। दवे, चंद्रिकाबेन त्रिवेदी, स्मिताबेन रावल, हिमाबेन त्रिवेदी, बकुलबेन भट्ट समेत जैन समुदाय के जेएम शाह, डीवी शाह, भरतभाई कोठारी, राजूभाई सांघवी, संदीपभाई शाह समेत कई नेता मौजूद थे।
भाजपा को अभी छोडनेवाले ब्राह्मण नेता जयनारायण व्यास ने जो कहा, उसे अब पूरी जाति स्वीकार करती है।
पुरुष ब्राह्मण को टिकट नहीं
सौराष्ट्र के भावनगर महानगर से बीजेपी अध्यक्ष राजीव पंड्या की पत्नी सेजल पांड्या को टिकट दिया गया है। घना टिकट घर में चला गया है। भावनगर में विभावरी दवे का टिकट कटा है। बीजेपी ने सौराष्ट्र में किसी भी पुरुष ब्राह्मण को टिकट नहीं दिया है। 2012 में गुजरात में 8 लाख मतदाता थे। 10 साल में 15 से 17 लाख वोटर होने की संभावना है।
30 सीटों से हार – जीत
गुजरात में 10 सीटें ऐसी हैं जहां ब्राह्मण उम्मीदवार जीतता है। और 30 सीटें ऐसी हैं जो जीतने में दबदबा रखती हैं। हालांकि, नरेंद्र मोदी, अमित शाह, पाटिल, हरिन पाठक, हरेन पंड्या, जयनारायण व्यास, अशोक भट्ट जैसे भाजपा के मुख्यमंत्री बनने के लायक थे, ने उन्हें काट डाला है।
जूनागढ़, अमरेली, राजकोट शहरों में बड़ी संख्या में ब्राह्मण हैं। सौराष्ट्र की अधिकांश सीटों पर 10 से 42 हजार के बीच ब्राह्मण मतदाता हैं। पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की बैठक पर 42 हजार वोटर हैं। वहीं, निगम में काफी चूक करने वाली डिप्टी मेयर दर्शिता को टिकट दिया गया है।
गुजरात-सौराष्ट्र के ब्राह्मण बीजेपी से खासे नाराज हैं।
2002 से ब्राह्मण परेशान
जब से नरेंद्र मोदी ने केशुभाई पटेल और सुरेश मेहता की राजनीति का खात्मा किया है, ब्राह्मणों और पाटीदारों के कद्दावर नेताओं का भी सफाया हो गया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जूनागढ़ की पुरानी पीढ़ी के नेता को 25 साल से काटने का काम कौन कर रहे थे। भाजपा के नरेन्द्र मोदी, सौराष्ट्र में ब्राह्मण नेतृत्व को खत्म करने में सफल रहे। हर्ष सांघवी अब दूसरे अमित शाह बन रहे हैं। जिस तरह से गृह मंत्री अमित शाह और पूर्व मुख्य मंत्री विजय रूपाणी कुछ खास जातियों को हराने का काम करते हैं. ठीक ईश तरह, हर्ष संघवी अब ऑपरेशन कर रहे हैं। वह भी दिल्ली के दो नेताओं के कहने पर।
10 हजार तक ब्राह्मण वोट वाले 30 विधानसभा क्षेत्र
थराद, धानेरा, डिसा, कांकरेज, पाटण, खेरालू, कड़ी, मेहसाणा, हिम्मतनगर, ईडर, गांधीनगर उत्तर, ध्रांगध्रा, मोरबी, गोंडल, जामनगर उत्तर, जामनगर दक्षिण, जामजोधपुर, द्वारका, कुटियाना, सोमनाथ, कोडिनार, राजुला, महुवा , भावनगर पश्चिम, लूनावाड़ा, रावपुरा, सूरत पश्चिम।
15 हजार से अधिक ब्राह्मण मतदाताओं वाले 17 निर्वाचन क्षेत्र
वाव, वडगाम, पालनपुर, गांधीनगर दक्षिण, घाटलोडिया, एलिसब्रिज, नरोदा, मणिनगर, वडवान, राजकोट पश्चिम, भावनगर पूर्व, मेहमदाबाद, वडोदरा सिटी, सयाजीगंज, अकोटा, मांजलपुर बैठक पर है।
20 हजार से ज्यादा ब्राह्मण वोट- पोरबंदर, धारी बैठक पर है।
25 हजार से ऊपर – जूनागढ़ बैठक पर है।
30 हजार से ऊपर – अमरेली, हलवाड़, राजकोट बैठक पर है।
सत्ता के लिए संघर्ष
17 साल पहले 2003 ई। में, भावनगर उत्तर विधानसभा के भाजपा विधायक महेंद्रभाई त्रिवेदी ने अनिवार्य हेलमेट कानून के खिलाफ अपनी ही भाजपा सरकार के खिलाफ हथियार उठाए थे। 6 महीने तक विधान सभा और भावनगर में साइकिल चलाकर लोकरोश का वादा किया। अंतत: तत्कालीन सीएम और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने उस समय नियम में ढील दी।
धर्म सभा और मेगा ब्राह्मण व्यापार शिखर सम्मेलन
गांधीनगर के अडालज त्रिमंदिर परिसर में मेगा ब्राह्मण बिजनेस समिट का आयोजन किया गया। उस समय भाजपा सरकार के मंत्री ने कहा कि ब्राह्मणों की तपस्या, समर्पण और भक्ति से देश की संस्कृति और विरासत कायम है। ब्राह्मण समाज ने अनादि काल से अपने ज्ञान के धन से समाज के निर्माण का कार्य किया है। यह समाज हमेशा राष्ट्रीय हित में सबसे आगे रहा है और राष्ट्रहित में समर्पण भाव से योगदान देता रहा है। आज ब्राह्मण समाज ने भाजपा नेता यज्ञेश दवे को याद किया।
इस खबर की खोज करने वाले पत्रकार दिलीप पटेल खुद जातिवाद को नहीं मानते हैं। लेकिन गुजरात जातिवाद गुजरात की राजनीति का एक अनिवार्य हिस्सा बन गया है क्योंकि राजनेता अब केवल जातिवाद के आधार पर लड़ रहे हैं। टिकट, प्रधान, मंत्री, पार्टी के पदों पर अब जाति के आधार पर फैसला हो रहा है। इसलिए यह पत्रकार जातिवाद के बारे में लिखने को मजबूर है।