गांधीनगर, 18 अगस्त 2020
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल का आरएसएस से कोई लेना-देना नहीं है। वे कभी संघ से जुड़े नहीं रहे। मोदी ने उन्हें एक सार्वजनिक व्यक्ति के रूप में नहीं चुना है। उन्हें एक अच्छे वक्ता के रूप में नहीं चुना गया था। उनकी पसंद को उच्च सिद्धांतों के नेता के रूप में नहीं की है। उनके खिलाफ 106 अपराध थे। लेकिन पसंद का असली कारण यह है कि सीआर पाटिल एक अच्छे प्रबंधक हैं। वह सब कुछ अच्छी तरह से प्रबंधित कर सकता है। सबकुछ। भाजपा को एक ऐसे शख्स की जरूरत है जो आज वोट डालने वाले से ज्यादा वोट का प्रबंधन कर सके। वोट मोदी के नाम पर लीये जाते है। लेकिन मोदी को एक ऐसे शख्स की जरूरत है जो गुजरात में बीजेपी को अच्छी तरह से मैनेज कर सके। गुजरात के हर व्यक्ति को अच्छी तरह मेनेज कर शके। एक पाटिल है जो 100 प्रतिशत ईस टेस्ट पास हो सकता है। मोदी की हर आकांक्षा सुरत और पाटिल ने पूरी की है। यही कारण है कि उसे चुना गया है।
गवर्नमेंट गेस्ट हाउस में पार्टी नेताओं के साथ बैठक
जैसे ही वह यह साबित करने के लिए अध्यक्ष बने कि वह एक अच्छे प्रबंधक है, उन्होंने पार्टी के साथ सरकार का प्रबंधन शुरू कर दिया है। पहले आमतौर पर कोबा में कार्यालय में बैठक आयोजित की जाती थी। अब इस जगह को बदलकर गांधीनगर सर्किट हाउस कर दिया गया है। सभी बैठकें वहीं हो रही हैं। पार्टी जिला प्रभारियों और पार्टी नेताओं के साथ बैठकें होती हैं। पाटिल अब तय कर रहे हैं कि सरकार को क्या करना चाहिए और क्या नहीं। इसलिए अब रूपाणी की काम करने की गति बढ़ गई है।
दिल्ली का पाठ
पाटिल एक के बाद एक भाजपा नेताओं से मिल रहे हैं। रूपानी के मंत्रियों से मिल रहे हैं। उनके साथ क्या चर्चा करनी है, यह कोई नहीं जानता। लेकिन संगठन के साथ मंत्रीओ की बैठकें आयोजित कर रहे हैं। पाटील मंत्रियों के साथ बैठकें कर रहे हैं कि सरकार में क्या चल रहा है और क्या किया जाना चाहिए। यह सब मोदी की मंजूरी से हो रहा है, दिल्ली सल्तनत। क्योंकि दिल्ली से आते ही उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा कि मुझे दिल्ली से इतने सबक दिए गए हैं कि इसमें 6 महीने लगेंगे। कांग्रेस से आये लोक जो मंत्री बने हुंए है उनको आफती हौ सकती है। 3 मंत्री ऐसै है की जो अभीएभी कोंग्रेस से आये है। उन को मर्यादा में रखने के लिये प्लान तैयार है। उनकी पांखे कटने वाली है।
मोदी के नाम पर पाटिल का राज
पाटिल के बारे में एक बात सूरत के सभी लोगों को अच्छी तरह से पता है कि पाटिल हमेशा मोदी का प्रभार देकर सूरत के व्यापारियों और कार्यकर्ताओं से बात करते रहे हैं। वे सालों से सूरत में इस तरीके से काम कर रहे हैं। अब गुजरा में कर रहे है। लोग समझते हैं कि वह जो कुछ भी करते है, वह मोदी के निर्देशों पर करते है। भले ही मोदी को इसके बारे में कोई जानकारी न हो। अब पाटिल का चांचुपत सरकार में शुरू हो गया है। जिससे विजय रूपानी के लिए आफत खड़ी हो सकती है। आपदा रूपानी के सहयोगियों पर प्रहार कर सकती है। इससे पहले, अंजलि ताई को सरकार और सरकारी एजेंसियों से दूर रहने के लिए कहा गया है। उन्हें अहमदाबाद के कलेक्टर के तबदीली की तरह सरकारी तंत्र को नियंत्रित नहीं करने को कहा है। ताई को अब दरकिनार कर दिया गया है।
रूपानी को कौन नष्ट करेगा?
हालांकि रूपानी के आसपास का चक्र इसे नष्ट कर रहा है। राजकोट में, सड़क पर काम करने वाले रिश्तेदार या दलाल उछल पड़े हैं। जो रूपाणी को नष्ट कर रहे हैं। रूपाणी पहले वह छोटे-छोटे मामलों पर दिल्ली से आदेश लेते थे। कैलाश नाथन कहते हैं कि उन्हें क्या करना है। अब पाटिल ने सरकार संभालना शुरू कर दिया है। पाटिल के अध्यक्ष बनने के साथ, रूपानी ने सूरत, नवसारी और दक्षिण गुजरात में करोड़ों की परियोजनाओं की घोषणा की है।
रूपानी नहीं बल्कि तन्मय मेहता पाटिल को पूरी तरह से जानते हैं
इसके बाद रूपानी ने सरकार को कड़ी कर दी है। उन्होंने सख्त आदेश देना शुरू कर दिया है। वे पहले की तरह नर्म नहीं हैं, वे अब परिपक्व हैं। भले ही वह मुख्यमंत्री थे, लेकिन उनसे यह नहीं पूछा गया कि गुजरात का अध्यक्ष कौन होना चाहिए। यहां तक कि अमित शाह को भी यह जानने की अनुमति नहीं थी कि चंद्रकांत पाटिल गुजरात के प्रमुख बनेंगे। केवल तन्मय मेहता ही जानते थे। मोदी के निजी विश्वासपात्र तन्मय मेहता 1985 से है। जो पाटिल के दिल्ली आवास पर काफी समय साथ रहे है।