गांधीनगर, 5 अगस्त 2020
भाजपा पहले से ही गुजरात को हिंदुओं की प्रयोगशाला मानती है। जिसमें गाय को माता के रूप में पूजा जाता है। जब तक भाजपा सत्ता में नहीं थी, गायों के नाम पर आंदोलन करतें थे। गायों के नाम पर, उन्होंने हिंदुओं की भावनाओं को जीता और सत्ता में आने के लिए वोट मांगे। भाजपा के 24 साल के शासन में गाय की जगह भैंस का महत्व बढा है। ईन 24 सालो में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी का 14 साल शासन रहा था। फीर भी गाय के आधार नहीं बढा। नरेन्द्र मोदी जब मुख्य प्रधान थे तब गुजरात में गायो की कत्ल भी न रूकी और गाय का कोई आधार भी न बढा। एक समये ऐसा था की गाय के नाम से गुजरात भाजपा भडक जाते थे। आंदोलन कर देतें थे। कत्ल होने से आंदोलन वारवाब करतें रहे और लोको कों भडकाते रहे की गाय हमारी माता है। उनका कत्ल कौंग्रेस और दूसरी सरकारो में हो रहा है। मगर 24 साल से अब ए आंदोलन जब चूनाव आता है तब शुरुं हो जाता है। मगर गाय के लीया कुछ नहीं होता है।
आज स्थिति ऐसी है कि गाय पालन में भारत के शीर्ष 10 राज्यों में गुजरात कहीं नहीं है। इसके बजाय, भैंस प्रजनन में गुजरात देश में तीसरे स्थान पर है। गुजरात में 24 साल में गायों की तुलना में भैंसों को ज्यादा महत्व दिया जाता है, आज ऐसी स्थिति बन रही है। गुजरात में 1.04 करोड़ भैंस और 92 लाख गाय हैं।
भाजपा साशीत राज्यो में क्यां है
यहां तक कि लंबे समय से भाजपा शासित राज्यों में, भैंस अधिक महत्व प्राप्त कर रही हैं। इनमें मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और गुजरात शामिल हैं। इसके खिलाफ अन्य राज्यों ने गाय की राजनीति खेलने के बजाय भैंस को महत्व देना बंद कर दिया है। हरियाणा केवल भैंस का दूध पीता था लेकिन अब 7 साल में भैंसों की संख्या में 28.22 फीसदी की कमी आई है। पंजाब में कभी भैंस ज्यादा थी लेकिन अब वहां के लोगों ने 7 सालों में भैंसों की संख्या में 22.17 फीसदी की कमी कर दी है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना में भी यही बात लागू होती है। इस प्रकार, जहां बहुत कम या कोई भाजपा शासन नहीं है, लोगों ने चुपचाप भैंस को कम कर दिया और गायों को महत्व दिया और उनका दूध पीना शुरू कर दिया।
गुजरात में 92 लाख गायें हैं, जिनमें से 33 लाख गायें विदेशी या विदेशी संभोग नस्ल की हैं। इस प्रकार 35% गाय विदेशी हैं। 18 लाख बैलों में से 1 लाख बैल के रूप में उपयोग किया जाता है। इसके सामने 5 लाख पैड हैं।