आधा सूरत भाजपा विरोधी, मूल सुरति ने समर्थन किया लेकिन पाटिल ने उन्हें काट दिया 

PATIL 15 AUGUST2
PATIL 15 AUGUST2

दिलीप पटेल

गांधीनगर, 24 फरवरी 2021

भाजपा के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटीलने अपने वतन सुरत में  93 सीटें लाई हैं। भाजपा का वोट शेयर गिरा है। सूरत में भाजपा को केवल 49.98 फीसदी वोट मिले। सूरत का आधा हिस्सा भाजपा विरोधी है और सूरत का ज्यादातर हिस्सा पाटिल विरोधी है। अछ्चे मत पुराने शहर सूरत से हैं। नया सूरत बीजेपी और पाटिल का विरोधी साबित हुआ है।

आम आदमी पक्ष ने सूरत में 27 सीटों के साथ 27.28 प्रतिशत वोट लिए हैं। कांग्रेस को एक भी बेठक नहीं मिली मगर 18.6 फीसदी वोट मिले। भाजपा को 49.98 फीसदी वोट मिले। अगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एकजुट हो जाते, तो पाटिल को सूरत में करारी हार का सामना करना पड़ता।

बीजेपी के वोट बहुत कम हो गए हैं। सौराष्ट्र के सामाजिक जीवन और राजनीति और अर्थव्यवस्था पर सूरत का बहुत प्रभाव है। पूरे गुजरात में अहमदाबाद या गांधीनगर की तुलना में सूरत की पकड़ ज्यादा है। गुजरात की आर्थिक राजधानी सूरत है जहां भाजपा जीती है लेकिन पाटिल हार गए हैं। हालांकि, असली परीक्षा मशीन के बजाय बैलेट बॉक्स में मतपत्र डालना है जिसे माना जा सकता है।

सूरत नगर निगम में 13 सीटों की वृद्धि के साथ 93 भाजपा उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। पाटिल ने 120 सीटें जीतने का दावा किया था। वे जीत नहीं सके।

इसका असर विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा। यह अजीब बात है कि कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली। लोकतंत्र के लिए खतरा दिखाता है। अब मशीन से मतदान के बजाय कागज पर वोट देने का समय है।

सूरत में विरोध हुआ क्योंकि भाजपा के पाटिल ने गैर-गुजराती लोगो को टिकट दिया था।

2015 में, मूल सूरत के निवासी 30 शहरी बावा थे। नगरसेवक थे। इस बार बीजेपी में 23 मूल सुरतियों जीता है। भाजपा को मूल सुरतीओने मत दिया मगर पाटील ने मूल सुरत के लोगो को काट दिया था। नये सूरत के लोगों ने हमेशा पाटिल का विरोध किया है। अब विरोध की असली वजह सामने आ गई है।

2015 में, कांग्रेस के उम्मीदवार मूल सौराष्ट्र के सूरत के इलाकों में जीते थे। जहाँ पाटिल की नालशी मिलती है। ये क्षेत्र सौराष्ट्र के पाटीदारों के हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों का क्षरण हुआ है। इस प्रकार आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार यहां से जीत गए हैं। क्योंकि वहां कांग्रेस ने पाटीदारों को धोखा दिया है। कोंग्रेस ने वचन दिया था की पाटीदार अनामत आंदोलन समिति को 10 टिकट देंगे। मगर दी गई 2। कोंग्रेस का विरोध कीया। इस प्रकार वे आम आदमी पार्टी में जा रहे थे। पाटीदोरा के कारण 2015 में कांग्रेस यहां जीती थी।

पाटीदारों ने AAP के उम्मीदवारों को कांग्रेस और भाजपा के खिलाफ खड़ा करके हराया है।