भारत ने समुद्र में ताकत बढ़ाने के लिए 6 पनडुब्बियों के निर्माण के लिए अनुबंध देने की प्रक्रिया शुरू करने का फैसला किया है। इसका निर्माण 55,000 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा। अक्टूबर से बोली लगेगी। यह पनडुब्बी स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप के तहत बनाई जाएगी। जो भारतीय कंपनियों को बड़ी विदेशी रक्षा कंपनियों के साथ भारत में बड़े पैमाने पर मंच प्रदान करेगा। 6 परमाणु पनडुब्बियों सहित 24 नई पनडुब्बियों का अधिग्रहण करने की योजना है। नौसेना के पास वर्तमान में 15 पारंपरिक पनडुब्बियां और 2 परमाणु पनडुब्बियां हैं।
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भारत ने चीन के जोखिमों पर विचार किया है। क्योंकि, पनडुब्बी में चीन भारत से 3 गुना ज्यादा मजबूत है। चीनी नौसेना के पास वर्तमान में 50 से अधिक पनडुब्बी और लगभग 350 जहाज हैं। अगले 8-10 वर्षों में जहाजों और पनडुब्बियों की कुल संख्या 500 से अधिक होने का अनुमान है। भारत की पनडुब्बी को चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम होने की आवश्यकता है।
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पी -75 आई नामक इस मेगा परियोजना के लिए पनडुब्बियों और आरएफपी की आवश्यकताओं को रक्षा मंत्रालय और भारतीय नौसेना द्वारा पूरा किया गया है। इसके लिए एक आरएफपी अक्टूबर तक जारी किया जाएगा। रक्षा मंत्रालय ने पहले ही परियोजना के लिए दो भारतीय शिपयार्ड और पांच प्रमुख विदेशी रक्षा कंपनियों का नाम दिया है। शॉर्टलिस्ट की गई भारतीय इकाइयां एलएंडटी ग्रुप और सरकार के स्वामित्व वाली मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) हैं। विदेशी कंपनियों में जर्मनी के थेसेनग्रुप मरीन सिस्टम, स्पेन के नवैन्टिया और फ्रांस के नेवल ग्रुप शामिल हैं।
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