गांधीनगर, 2 जून 2023
गुजरात के कच्छ जिले के खावड़ा में 30 हजार मेगावाट क्षमता का विश्व का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा पवन पार्क बनाया जा रहा है। जिसे दिसंबर 2026 में पूरा किया जाना था। राज्य सरकार ने 2022 तक 30,000 मेगावाट उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करने के लिए सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता पर प्रतिबंध हटाने के लिए एक नई नीति की घोषणा की। लेकिन ये प्रोजेक्ट ठप पड़े हैं। इसलिए सरकार एक बार फिर नीति में बदलाव कर रही है।
गुजरात की अर्थव्यवस्था
गुजरात की दुनिया की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा परियोजना में देरी हो रही है क्योंकि मोदी की सौर ऊर्जा नीति गलत हो गई है। इसलिए चीन से आयात बढ़ाने के लिए भारत टैक्स घटाने पर विचार कर रहा है। देश के साथ-साथ गुजरात में भी सौर ऊर्जा कार्यक्रम की गति धीमी हो गई है। इसलिए भारत चीन से आयात होने वाले सोलर पैनल पर टैक्स घटाने पर विचार कर रहा है। वह आयात कर को 40 से घटाकर 20 प्रतिशत और जीएसटी को 12 से घटाकर 5 प्रतिशत करने पर विचार कर रही है।
अडाणी का सबसे बड़ा सोलर प्रोजेक्ट गुजरात में चल रहा है। फिनलैंड की सौर ऊर्जा कंपनी की सहायक कंपनी फोर्टम इंडिया द्वारा गुजरात में बनाई जा रही एक सौर परियोजना में कई महीनों की देरी हो गई है।
एक लाख करोड़ रुपये के निवेश से दिसंबर-2024 तक 50 फीसदी बिजली मुहैया करानी थी। उत्पादन शुरू होने वाला था। मोदी की दोस्त अडानी कंपनी और अन्य जगहों ने रिलायंस को जमीनें दी हैं। देश के सोलर रूफटॉप बिजली उत्पादन में केवल गुजरात का हिस्सा 22 प्रतिशत है। यानी सोलर रूफटॉप पावर जनरेशन में गुजरात अव्वल है। अब इसमें अड़चनें आ रही हैं।
गुजरात में अक्षय ऊर्जा से 12267 मेगावाट बिजली पैदा की जा रही है। 20 हजार मेगावॉट 2022 तक करना था, अब इसमें एक साल की देरी हुई है। 2030 तक 67 हजार मेगावाट बिजली पैदा करनी थी। अभी नहीं। जिसमें से 20 हजार मेगावाट बिजली दूसरे राज्यों को दी जानी थी, अब वह काम बंद हो गया है।
प्रदेश में 500 किलोवाट से 4 मेगावाट क्षमता की लघु सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए अक्टूबर से दिसंबर 2020 तक तीन माह में 5192 परियोजनाओं की स्वीकृति मांगी गई थी। इतनी तेजी से अब कोई अप्रूवल नहीं मांगता।
गौतम अदानी की कंपनी अदाणी ग्रीन एनर्जी लि. (एजीईएल) 10,000 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता स्थापित करेगी। इसमें 8,000 मेगावाट सौर और 2,000 मेगावाट पवन ऊर्जा उत्पादन होगा। इसके लिए अडानी ग्रुप 500 करोड़ रुपए खर्च करेगा। 30,000 करोड़ का निवेश किया जा रहा है।
खावड़ा में एक लाख हेक्टेयर जमीन परती छोड़ दी गई। जिसमें से 72,600 हेक्टेयर भूमि को रक्षा मंत्रालय ने सोलर पार्क बनाने के लिए मंजूरी दी थी।
गुजरात में कौन-कौन सी कंपनियां प्रभावित हैं
सौर-पवन संकर क्षमता (मेगावाट)
1 गुजरात इंडस्ट्रियल पावर कंपनी लिमिटेड (जीआईपीसीएल) 2375 (मेगावाट)
2 गुजरात राज्य विद्युत निगम लिमिटेड (जीएसईसीएल) 3325 (मेगावाट)
3 नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनटीपीसी) 4750 (मेगावाट)
अदानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) 9500 (मेगावाट)
5 सुरजन रियल्टी लिमिटेड (एसआरएल) 4750 (मेगावाट)
6 सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SECI)
कुल 27700 मेगावाट 72400 हेक्टेयर जमीन दी गई है।
जीएसटी
जीएसटी काउंसिल से जीएसटी रेट कम करने की अपील की जाएगी। दरअसल, अप्रैल 2022 में सरकार ने सोलर पैनल इंपोर्ट पर 40 फीसदी और सोलर सेल इंपोर्ट पर 25 फीसदी टैक्स लगाया था। ताकि देश के भीतर पैनल का उत्पादन हो, लेकिन देश के निर्माता इन पैनल और सेल की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त उत्पादन नहीं कर पाए हैं। मोदी की सोच गलत थी। अक्षय ऊर्जा के लक्ष्य पूरे नहीं हो रहे हैं।
सोलर प्रोजेक्ट
40 प्रतिशत आयात कर लगाने से देश में सौर परियोजनाओं की शुरूआत प्रभावित हुई। इससे इन उत्पादों की कमी हो गई और सौर परियोजनाओं का काम धीमा हो गया। जिससे भारत सौर ऊर्जा उत्पादन के अपने लक्ष्यों को भी प्राप्त नहीं कर सका। 2022 में 100 GW सौर ऊर्जा स्थापित करने का लक्ष्य था, लेकिन कुछ रिपोर्टों के अनुसार केवल 63 MW ही प्राप्त किया जा सका। इस परियोजना से लगभग 2,00,000 घरों को बिजली मिलने की उम्मीद है।
डिमांड
इस साल के आम बजट से पहले ही भारतीय सोलर कंपनियों ने सरकार से इस टैक्स रेट को कम करने की मांग की थी। कंपनियों ने कहा कि 40 फीसदी आयात कर लगाए जाने के कारण देश में सौर परियोजनाओं की शुरूआत प्रभावित हुई है।
जीएसटी की दर भी इस समस्या का एक बड़ा हिस्सा है। करीब चार साल पहले सौर परियोजनाओं पर जीएसटी केवल पांच प्रतिशत था, जिसे बाद में बढ़ाकर 8.9 प्रतिशत और फिर 12 प्रतिशत कर दिया गया। कंपनियां इसे घटाकर पांच फीसदी करने की मांग कर रही थीं।
सौर बाजार पर चीन की पकड़
चूंकि दुनिया के 80 प्रतिशत सौर घटक अकेले चीन में बनते हैं, चीन की अभी भी अंतरराष्ट्रीय सौर बाजार पर मजबूत पकड़ है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने 2020-21 में तीन अरब डॉलर के सोलर पैनल का आयात किया और इनमें से 90 फीसदी से ज्यादा पैनल चीन से आए।
भारत का लक्ष्य 2030 तक अक्षय ऊर्जा स्रोतों से 500 गीगावॉट बिजली पैदा करना है, जो वर्तमान में 180 गीगावॉट है।
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गुजरात में सोलार प्रोजेक्ट कि और खबरे
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