लॉकडाउन में नाइट्रोजन ऑक्साइड का स्तर 30 फीसदी तक बढ़ गया है, सरकार से इसके कारणों का पता लगाने को कहा गया

गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की लॉक डाउन के दौरान केवल एंबिएंट एयर क्वालिटी का अध्ययन स्टेट ऑफ एनवायरनमेंट, गुजरात में किया गया है। रिपोर्ट के आधार पर हमने कंई अवलोकन किए हैं। इस अध्ययन के उद्देश्यों में दिखाए गए अनुसार भविष्य की कार्य योजनाओं को वर्गीकृत करने और बनाने की तत्काल आवश्यकता है। यह बात पर्यावरण मित्र महेश पंड्या ने सरकार को पत्र लीख कर कही है।

गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष मुकेश पुरी (IAS) को कड़े शब्दों में लिखे गए पत्र ने कुछ आपत्तियां जताईं।

31 जनवरी 2020 को, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) WHO द्वारा अंतर्राष्ट्रीय चिंता (PHEIC) के एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा की। इसके बाद, 9 मार्च को भारत में एक दिवसीय सार्वजनिक कर्फ्यू घोषित किया गया और 8 मार्च से तालाबंदी की घोषणा की गई।

लॉकडाउन के दौरान वाहनों, व्यवसायों और वाणिज्यिक गतिविधियों को काफी हद तक रोक दिया गया था। जिसके कारण प्रदूषण में काफी कमी आई। गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जल प्रदूषण और वायु प्रदूषण पर एक अध्ययन किया। वायु प्रदूषण का अध्ययन अप्रैल में किया गया था

वायु प्रदूषण के अध्ययन के लिए पांच पैरामीटर लिए गए थे।