भगवान केदारनाथ धाम में शंकराचार्य के समाधि स्थल पुनर्निर्माण आगे बढता है

लॉकडाउन की वजह से भगवान केदारनाथ धाम में सन्नाटा पसरा हुआ है। भारी बर्फबारी के बाद पुनर्निर्माण कार्य ठप हो गए थे। करीब तीन साल पहले 20 अक्तूबर, 2017 को प्रधानमंत्री मोदी ने धाम में 700 करोड़ की पांच योजनाओं के पुनर्निर्माण का शिलान्यास किया था।

शंकराचार्य के समाधि स्थल पर भव्य प्रतिमा

माना जाता है कि आदि गुरु शंकराचार्य ने केदारनाथ में समाधी ली थी।  समाधि स्थल केदारनाथ के मंदिर के पीछे स्थित है। पहले चरण में करीब 20 करोड़ की लागत से समाधि स्थल का निर्माण होगा। समाधि तक जाने और लौटने का रास्ता अलग-अलग होगा। करीब 13 मीटर की गोलाई में बन रही समाधि के मध्य में आद्यगुरु शंकराचार्य की भव्य प्रतिमा स्थापित की जाएगी। प्रधानमंत्री ने सात नवंबर को समाधि निर्माण के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए थे। इसी बात को ध्यान में रखते हुए समाधि पर कार्य हो रहा है।

16 जून 2013 की आपदा के दौरान केदारनाथ मंदिर के पाश्र्व भाग में स्थित आद्यगुरु शंकराचार्य की समाधि भी जमींदोज हो गई थी। तब से लगातार समाधि की जीर्णोद्धार की बात चल रही थी। प्रधानमंत्री के केदारनाथ भ्रमण के बाद इसमें तेजी आई है। माइनस डिग्री तापमान में भी इस पर काम किया । आगामी यात्रा सीजन में यात्री समाधि के दर्शन कर सकेंगे।

700 करोड की 5 योजना में शंकराचार्य समाधि स्थल भी शामिल है। उन्होंने इसे दिव्य और भव्य बनाने की बात कही थी। 7 नवंबर, 2018 को पुन: केदारनाथ पहुंचे प्रधानमंत्री ने पुनर्निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया था। मंदिर के पीछे आदिगुरु शंकराचार्य के समाधि स्थल का निर्माण कार्य साढ़े चार माह बाद फिर शुरू कर दिया गया है। कार्यदायी संस्था वुड स्टोन आदिगुरु शंकराचार्य के समाधि स्थल के राफ्ट पर थ्री राउंड आरसीसी दीवार के लिए सरिये का जाल खड़ा कर रही है। केदारनाथ मंदिर के पीछे बाई तरफ दिव्य शिला के निकट आदिगुरु शंकराचार्य के समाधि स्थल का पुनर्निर्माण अक्तूबर, 2018 में शुरू किया गया था। छह मीटर गहराई और 36 मीटर गोलाकार खुदाई कर लगभग एक साल में समाधि की बुनियाद (राफ्ट) का कार्य पूरा किया गया। आदिगुरु शंकराचार्य के समाधि स्थल का पुनर्निर्माण फिर से शुरू किया गया है। देवेंद्र सिंह बिष्ट, टीम प्रभारी वुड स्टोन कंस्ट्रक्शन कंपनी, केदारनाथ ने कहा इन कार्यों में सौ मजदूर लगे हैं।

कौन हे शंकराचार्य 

आदिशंकराचार्य और गुरु गोरखनाथ ने इस देश की सिद्ध और संत परंपरा पर बहुत गहरा असर डाला है। आज भी भारत में साधु और संतों की जो भी परंपरा, संप्रदाय या अखाड़े विद्यमान हैं, वे सभी शंकराचार्य या गुरु गोरखनाथ की परंपरा से संबंधित ही रहे हैं।

शंकराचार्य का जन्म केरल के मालाबार क्षेत्र के कालड़ी नामक स्थान पर नम्बूद्री ब्राह्मण के यहां वैशाख शुक्ल पंचमी को हुआ था। मात्र 32 वर्ष की उम्र में वे निर्वाण प्राप्त कर ब्रह्मलोक चले गए। इस छोटी-सी उम्र में ही उन्होंने भारतभर का भ्रमण कर हिन्दू समाज को एक सूत्र में पिरोने के लिए 4 मठों की स्थापना की। 4 मठों के शंकराचार्य ही हिन्दुओं के केंद्रीय आचार्य माने जाते हैं। इन्हीं के अधीन अन्य कई मठ हैं। 4 प्रमुख मठ निम्न हैं-

1. वेदांत ज्ञानमठ, श्रृंगेरी (दक्षिण भारत)।
2. गोवर्धन मठ, जगन्नाथपुरी (पूर्वी भारत)
3. शारदा (कालिका) मठ, द्वारका (पश्चिम भारत)
4. ज्योतिर्पीठ, बद्रिकाश्रम (उत्तर भारत)