कोविड के कारण राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बीच रसायन और उर्वरक मंत्रालय के उर्वरक विभाग ने किसानों को उर्वरकों की रिकॉर्ड बिक्री की है।
1 अप्रैल से 22 अप्रैल 2020 के बीच किसानों को10.63 लाख मीट्रिक टन उर्वरकों की बिक्री की गई जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 8.02 लाख मीट्रिक टन की तुलना में 32 प्रतिशत अधिक है।
1-22 अप्रैल के दौरान डीलरों ने 15.77 लाख मीट्रिक टन उर्वरक खरीदे जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में खरीदे गए 10.79 लाख मीट्रिक टन उर्वरकों की तुलना में 46 प्रतिशत अधिक है
कोविड-19 के कारण राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान आवागमन पर बहुत ज्यादा प्रतिबंध होने के बावजूद,उर्वरक विभाग,रेलवे, राज्यों और बंदरगाहों के ठोस प्रयासों से देश में किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए उर्वरकों का उत्पादन और आपूर्ति बिना किसी रुकावट के की जा रही है। यहरसायन एवं उर्वरक मंत्रालय द्वारा किसानों को आगामी खरीफ फसल के लिए उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता के अनुरूप है।
केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री श्री डी. वी. सदानंद गौड़ा ने कहाहैकि देश में उर्वरकों की कोई कमी नहीं है।राज्य सरकारों के पास उर्वरकों का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है।श्री गौड़ा ने यह भी कहा है कि उनका मंत्रालय किसानों के लिए बुआई से पहले उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
17 अप्रैल को 41 उर्वरक रेकों को संयंत्रों और बंदरगाहों से गंतव्य स्थलों के लिए भेजा गया जो लॉकडाउन के दौरान एक दिन में भेजी गई उर्वरकों की सबसे ज्यादा खेप है।एक रेक अर्थात एक पूरी ट्रेन एक बार में 3000 मीट्रिक टन भार ले जाती है। उर्वरक संयंत्र पूरी क्षमता के साथ काम कर रहे हैं।
भारत सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम के अंतर्गत देश में उर्वरक संयंत्रों के संचालन की अनुमति प्रदान की है, जिससे कि लॉकडाउन के कारण कृषि क्षेत्र प्रभावित न हो सके।
चूंकि उर्वरक संयंत्रों,रेलवे स्टेशनों और बंदरगाहों पर उर्वरकों को चढ़ाने और उतारने का काम तेजी के साथ हो रहा है इसलिए इस दौरान कोविड संक्रमण से बचने के लिए सभी तरह की सावधानियां बरती जा रही हैं। श्रमिकों और अन्य कार्यरत कर्मचारियों को मास्क और अन्य सभी निवारक उपकरण प्रदान किए गए हैं।