गांधीनगर, 15 मे 2020
शराब बँधी गैरकानुनी पैसे की हेराफेरी का जरीया है ! जो पैसा बुटलेगर, प्रशाशन और मंत्रीओ के बीच गलत तरीके से घुमता है वो सीधा सरकार के खजाने में आयेगा ! जिसका फ़ायदा आम जनता को फ्री पढ़ाई और फ्री मेडिकल के लिए मिल सकता है! ऐसा गुजपात के पूर्व मुख्य प्रधान शंकरसिंह वाघेलाने कहा.
शंकरसिंह वाघेला ने कहा की …
जब भी गुजरात में हमारी सरकार बनेगी तो हम सबसे पहला काम यह ढोंगी शराब बँधी की नीति को हटाने का करेंगी! जनता अपनी मरजी से अपने घरमे जो खाना पीना चाहती हो वह कानुन के दायरे मे खुलके एन्जॉय कर सकेंगे! जनताको लगना चाहिए की, “स्वतंत्र देश में क्या खाना है, क्या पीना है वह उनकी मर्ज़ी होंगी, लेट धेम एन्जॉय अकॉर्डिंगली .”!
गुजरात में शराब बँधी को मुक्त करना और कानुन को सख्त करना हमे आता है ! यदी हम सत्ता मे वापीस आये तो पहला काम ईस ढ़ोंगी और धकौसली शराब बंधी पर पुन विचार करेगे यह तय है!
अबतक गुजरात में गांधीजी और सरदार साहेब के नामसे चल रही शराब बँधी की नीति का मै समर्थक रहा हु, लेकिन लोकडाउन के बीच केंद्र सरकारने जब दारु के ठेको को पुरे देशमे जब खोल दिया है तब हमें लगा अगर सरकार का मानना है की दारू से कोरोना का भय दुर होता है और सरकार की इनकम बढती है तो व्हाई नोट ईन गुजरात?
गुजरात में किसको क्या खाना, क्या पीना उसमे सरकार को इंटरफेरॉन्स नहीं करना चाहिए. अगर शराब गांधीजी के कारण गुजरात में बंध है तो वह ऑन पेपर है, ढोंग है, छलावा है!
गुजरात मे एक किलोमीटर का एरीया ऐसा नहीं होगा जहा शराब ना मिलती हो! वे भी असल ब्रांडेड मिलती हो तो ठीक मगर यहा तो ठहरा मिलता है, जीसे हम लट्ठा कहते है ! लट्ठा पिके हजारो लोग मर गए गुजरात में और इससे यह साबित हो चूका है की गुजरात में दारुबंदी की नीति फेलियर है ! इसको री-ओपन करना चाहिए, रीकन्सीडर करना चाहिए! एक साइंटिफिक एप्रोच के साथ, एक कमिटी बनाके सोचना चाहिए की इसको रखने का क्या फ़ायदा है और कीसे है ?
गुजरात में शराब बँधी एक ढोंगी नीति है! यह गलत बात है की शराब पिके लोग रास्ते पर आ जायेंगे, धमाल मच जायेगी, हमारी बहनो की सलामती जोखम मे आ जायेगी ! गोवा, मुंबई जैसे शहर और राज्य है, जहा पे शराबबंधी ना होते हुए भी महीलाए सुयक्षीत रोड पर घूमती है रात में 12 बजे, कोई दिक्कत नहीं होती ! क्राइम में गुजरात 17th नंबर पे है, जबकि गोवा में गुजरात के मुकाबले कम क्राइम है!
यहाँ बँधी है इसीलिए लोग डुप्लीकेट शराब पिके पागल होजाते है! बँधी है इस लिए ज्यादा पैसे देते है गलत शराब पीते है, बँधी है इसीलिए शराब पीने के लिए आबू, गोवा और दीव दमन जाते है! हर रोज गुजरात मे इतना शराब आता है राजस्थानसे, महाराष्ट्रसे, मध्यप्रदेशसे इतना शराब यहाँ भी बनता है वो भी थिर्डक्लास क़्वालिटीका ! गवर्नमेंट की खुदकी मेहेरबानी से मिलता है, तोह यह मेहेरबानी वाली पॉलिसी गलत है, इस्सलिये तोड़ दो इस ढोंगी नीति को!
गांधीजी की नीति सत्य की थी, और यह शराब बँधी जो फिलहाल गुजरात में चल रही है वह असत्य की नीति है! इस ढोंगी दारु बँधी की नीति को गांधीजी के नामसे बंध करनी चाहिए, पीते है लोग तो उनको खुलके पीने दो!
जब में एक समय गुजरात का मुख्यमंत्री रहा था उस समय मैंने होम के डिपार्टमेंट से निकालकर अलगसे नशाबंदी डिपार्टमेंट बनाया था ! आज नशाबंदी डिपार्टमेंट है पर सरकार उसका उपयोग नहीं करती! हमने 120 नये पुलिस स्टेशन बनवाये थे शराबबँधी के चुस्त पालन के लिए! और उस समय इस पॉलिसी को लिबरल भी बनाया था, जिससे शराब पीनी है उससे लाइसेंस लेने के बाद मिल सकती है! उस समय हमारी गठबंधन की सरकार थी इस लिए थोड़ी लिमिटेशन थी फिर भी उस समय पॉलिसी को लिबरल भी बनाया था ! उस समय अगर कोई महिला पुलिस स्टेशन जाकर पुलिस को कम्प्लेन करती है की उसका पति शराब पीकर उसपे अत्याचार कर रहा है तो पुलिस उसपे कड़क एक्शन लेती थी!
में पंचमहल के ट्राइबल इलाके में गया हु, वहा महुड़े के बोहोत सारे औय अच्छे पेड़ है जिससे वहा के ट्राइबल लोग महुड़े की शराब बनाते है! जो हेल्थ के लिए बोहोत अच्छी मानी जाती है.! तो क्यों ना ट्राइबल कम्युनिटी के हमारे युवाओं को गवर्नमेंट के द्वारा परमिशन मिल जाए जिससे उनको रोजगार प्राप्त हो और राज्य के लोगो को जो शराब पीना चाहते है उन्हे अच्छी और शुध्ध क्वालिटी की शराब मिले ! साथ में गवर्नमेंट को भी इनकम मिले !
जैसे तम्बाकू के पैकेट पे लिखा होता है की तमाकू खाना सेहत के लिए हानिकारक है, वैसे आप चाहे तो शराब पे भी लिखवा दीजिये, लेकिन पब्लिक को गलत नीति से ठगना गवर्नमेंट की दोगली नीति है जिसका अब अंत होना चाहिये. दारुबंधी की ढोंगी नीति से गुजरात की जनता को मुक्त करना चाहिए!
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