सरकारी कंपनियों के सेवानिवृत्त कर्मचारियों की दयनीय स्थिति
अहमदाबाद, 7 अक्टूबर 2025
ईपीएस-95 आधारित पेंशनभोगी – सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाला वेतन – कम राशि के कारण दयनीय स्थिति में जी रहे हैं। गुजरात में, 4 लाख ईपीएस-95 आधारित पेंशनभोगियों को मात्र 1200 रुपये की पेंशन मिल रही है। देश में 78 लाख पेंशनभोगी हैं। ये पेंशनभोगी आमतौर पर सरकारी कंपनियों, निगमों या सरकारी स्वामित्व वाले संगठनों में काम करने के बाद सेवानिवृत्त हुए हैं।
मांग
ईपीएस-95 पेंशनभोगी न्यूनतम सेवानिवृत्ति वेतन 10 हजार रुपये और सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को लागू करने की मांग कर रहे हैं। देश के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए उच्च पेंशन संबंधी आदेशों को तुरंत लागू किया जाना चाहिए। पेंशनभोगियों के लिए एक त्वरित और तत्काल शिकायत निवारण प्रणाली लागू की जानी चाहिए। पेंशनभोगियों ने अपने जीवन के सबसे अच्छे साल नौकरी करते हुए बिताए हैं। अब वे सम्मान और गरिमा के साथ अपना जीवन जी सकते हैं। इसके लिए सरकार और ईपीएफओ की जिम्मेदारी है। उन्हें जीने का वाजिब अधिकार दो।
देश और गुजरात में पेंशनभोगियों की दयनीय स्थिति पर केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार चुप है। कर्मचारी पेंशन योजना-95 में 10 प्रतिशत कर्मचारी, 10 प्रतिशत जिस इकाई में वे काम करते हैं उसका और 1.16 प्रतिशत केंद्र सरकार का वित्तीय बचत अंशदान है।
1200 से 1500 रुपये की मामूली राशि के कारण सेवानिवृत्त पेंशनभोगियों का जीवन यापन करना मुश्किल हो रहा है। उम्र, स्वास्थ्य और महंगाई के लिहाज से इतनी कम राशि पर जीवन यापन करना संभव नहीं है। मामूली राशि में वे आर्थिक, शारीरिक और मानसिक रूप से कष्ट झेल रहे हैं। दवाइयों और दैनिक जीवन-यापन के खर्चों के मुकाबले इतनी कम पेंशन पर जीवन यापन करना बेहद मुश्किल है। कई पेंशनभोगी गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वे उचित इलाज भी नहीं करा पा रहे हैं। सेवानिवृत्त कर्मचारियों की स्थिति बेहद दयनीय हो गई है। आजीविका के लिए भी पर्याप्त नहीं है।
ईपीएफओ के पास 30 हजार करोड़ रुपये की अघोषित राशि है।
78 लाख पेंशनभोगियों में से 45 लाख पेंशनभोगियों को 1500 रुपये से कम मासिक पेंशन मिल रही है। पेंशन योजना का उद्देश्य वित्तीय सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा है।
सम्मान और सामाजिक व वित्तीय सुरक्षा के साथ जीवनयापन के लिए न्यूनतम 10 हज़ार रुपये पेंशन दी जानी चाहिए।
ईपीएस-95 (कर्मचारी पेंशन योजना 1995) का अर्थ है सेवानिवृत्ति वेतन; वर्तमान वेतन; किसी व्यक्ति या उसके परिवार को उसकी पिछली नौकरी के बदले में दी जाने वाली मासिक या वार्षिक राशि। किसी विभाग में एक निश्चित अवधि तक काम करने वाले लोगों को बुढ़ापे में, नौकरी से मुक्त होने पर पेंशन दी जाती है और वह पेंशन उनके वेतन के आधे के बराबर होती है। विभाग के कर्मचारियों को यह पेंशन उनकी मृत्यु के बाद मिलती है। ऐसी पेंशन को पेंशन कहा जाता है।
ईपीएफ-95 पेंशनभोगियों को न्यूनतम 7,500 रुपये पेंशन देने की मांग सेवानिवृत्त कर्मचारियों की लंबे समय से चली आ रही है। क्रमशः 417 रुपये, 541 रुपये और 1250 रुपये पेंशन दी जाती है। औसतन, वेतन केवल 1170 रुपये की दर से दिया जाता है।
कर्मचारियों के लिए न्यूनतम पेंशन जुलाई 2025 से बढ़ाने के लिए ट्रेड यूनियनों और जनप्रतिनिधियों सहित विभिन्न हितधारकों ने प्रतिनिधित्व किया था।
कर्मचारी पेंशन निधि में नियोक्ता का अंशदान वेतन के 8.33 प्रतिशत की दर से होता है; केंद्र सरकार द्वारा बजटीय सहायता के माध्यम से वेतन के 1.16 प्रतिशत की दर से अधिकतम 15,000 रुपये प्रति माह का अंशदान दिया जाता है। योजना के तहत सभी लाभों का भुगतान इसी संचित निधि से किया जाता है।
सरकार ने हाल ही में घोषणा की थी कि ईपीएफओ सदस्यों के वेतन (मूल वेतन और महंगाई भत्ता) का 12 प्रतिशत ईपीएफ खाते में जाता है। नियोक्ता के 12 प्रतिशत अंशदान में से 8.33 प्रतिशत ईपीएस 95 में जाता है, जबकि शेष 3.67 प्रतिशत ईपीएफ खाते में जमा होता है।