रूपानी सरकार जमीन आवंटन नियमों के कारण अडानी जैसी कंपनियों को ही जमीन देंगे

cm vijay rupani
cm vijay rupani

गांधीनगर, 15 फरवरी 2021

गुजरात में 58 लाख किसान हैं। जिसमें 1 हेक्टेयर से कम वाले 22 लाख किसानों के पास 12 लाख हेक्टेयर जमीन है। 1 से 1.99 हेक्टेयर के बीच, 17 लाख किसानों के पास 25 लाख हेक्टेयर भूमि है। 2 से 3.99 हेक्टेयर के बीच, 11 लाख किसानों के पास 33 लाख हेक्टेयर भूमि है। 4 से 9.9 हेक्टेयर भूमि वाले 4.5 लाख किसानों के पास 2.50 लाख हेक्टेयर भूमि है। 2001 के बाद से छोटे किसान बढ रहे है, मध्य और वडे किसान कम हो रहे है। 10 हेक्टेयर से अधिक भूमि वाले 30,000 किसानों के पास 3 लाख हेक्टेयर भूमि है।

4 से 10 हेक्टेयर भूमि वाले मध्यम किसान प्रतिवर्ष 1 प्रतिशत की दर से घट रहे हैं। 10 हेक्टेयर से अधिक भूमि वाले बड़े किसानों को हर साल 10 कम हो रहा है। इस प्रकार 10 वर्षों में बड़े किसान केवल 2 से 4 प्रतिशत होंगे।

रूपानी सरकार जमींदारों को बढ़ा रही है। गुजरात में, व्यक्तिगत जमींदारों की संख्या कम हो रही है। भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद से लगभग 400 कंपनियों के पास 10 हेक्टेयर से अधिक औद्योगिक भूमि है। अब रुपाणी सरकार ने अडानी और रिलायंस जैसी कंपनियों को खेती के लिए 20,000 हेक्टेयर जमीन देने या मॉल वाली कंपनियों को 30 साल के लिये बेच रही है।

भाजपा और कांग्रेस में क्या अंतर है?

स्वतंत्रता के बाद, सौराष्ट्र एक अलग राज्य बन गया। 1948 में, कांग्रेस नेता और स्वतंत्र सेनानी,  मुख्यमंत्री ढेबरभाई ने 1953 तक जमींदारी समाप्त कर दिया। उस समय सौराष्ट्र में 4415 गाँव और शहर थे। कृषि, गांवों, शहरों की भूमि 222 राज्यों और राजा के 51,700 परिवारों के स्वामित्व में थी। किसानों को अपनी 30 लाख एकड़ जमीन दिलाने में कोंग्रेस सरकार के मुख्य मंत्री ढेबरभाई ने बहुत अच्छा काम किया। 7 लाख एकड़ जमीन रियासतों के पास रही। ईस मे से अब उनके पास 2 लाख हेक्टर से ज्यादा नहीं रही है।

यह भाजपा और कांग्रेस के बीच स्पष्ट अंतर है। कांग्रेस ने किसानों को जमीन दी थी। भाजपा कॉरपोरेट्स को जमीन दे रही है। विजय रूपामी कंपनियों को जमीन देने की अनुमति देंना शरू किया है।

दोनों मुख्यमंत्री राजकोट से थे। लेकिन एक ने किसानों को फायदा पहुंचाया है, दूसरे रूपानी और मोदी ने किसानों की बदहाली की है।

जब कांग्रेस की सरकारें थीं, तो लाखों बेरोजगार बीन किसानों को कृषि भूमि देकर आत्मनिर्भर कीया था। भाजपा सरकार किसानों को गैर-किसान बना रही है। जो कि उपरोक्त आंकड़ों से स्पष्ट है।

सख्त नियम

भाजपा सरकार ने सख्त नियम बनाए हैं कि केवल अडानी या रिलायंस जैसी कंपनियों को ही सरकारी  जमीन मिल सकती है। कृषि विभाग के नियम ऐसे हैं कि न तो किसान और न ही आम लोग उस जमीन को ले सकते हैं। कंपनीओ को 125 एकड़ जमीन देनी की प्रक्रिया किसान आई पोर्टल पर शरू हो गई है। रूपानी खूल जमीन देने वाले है। प्रत्येक को एक परियोजना रिपोर्ट बनानी होगी। एक जमीन पर 200 लोगों की मांग है। इसका पंजीकरण शुरू हो गया है। लेकिन सरकार आम लोगों की मांगों को खारिज कर देगी। क्योंकि जीसका सबसे अच्छा प्रस्ताव होगा उनको भूमि को दिया जाएगा। इसलिए मुख्यमंत्री रूपानी द्वारा आम लोगों की याचिका को खारिज किया जाना है। ईस जमीन पर पैदा हुई चीज को जो गुजरात बहार भेंजेंगे उनको ही जमीन दी जायेगी। नियत साफ है की सीर्फ कोर्पोरेट को ही जमीन दी जायेगी।

क्या योजना है

राज्य ने कृषि योग्य भूमि बढ़ाने के लिए एक कृषि नीति तैयार की है। सरकार ने लंबी अवधि के पट्टे पर गैर-उपजाऊ बंजर, परती सरकारी भूमि देने का फैसला किया है। जिसमें बागवानी और औषधीय फसलें प्रदान की जाएंगी। इस जिले में बागवानी और औषधीय फसलों के लिए, राज्य में 20,000 हेक्टेयर गैर-उपजाऊ सरकारी भूमि को 30 साल के पट्टे पर आवंटित किया जाएगा।

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