गांधीनगर, 15 दिसम्बर 2020
आज, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री परषोत्तम रूपाला ने गांधीनगर में कहा कि देश भर के किसान संगठन और किसान स्वामीनाथन आयोग की 2004 की रिपोर्ट में निर्धारित सिफारिशों को लागू करने की मांग पहेले से कर रहे थे। निजी कंपनी या किसानों की जमीन पर व्यापारी के बीच समझौते के लिए बिल में कोई प्रावधान नहीं है।
किसान को अपनी भूमि पर उगाई गई उपज की कीमत पर व्यापारी या कंपनी के साथ समझौते करने और कानूनी सुरक्षा के साथ बेहतर आय अर्जित करने की व्यवस्था की गई है।
यदि कंपनी या व्यापारी किसान के साथ समझौते में कोई गलती करता है, तो किसान स्थानीय कलेक्टर से शिकायत कर सकता है। 90 दिनों के भीतर इसका निपटान करने और किसान को मुआवजा देने के लिए इस विधेयक में प्रावधान किया गया है।
कृषि सुधार विधेयक का एमएसपी से कोई लेना-देना नहीं है। एमएसपी खरीदे जा रहे हैं, और खरीदे जाते रहेंगे।
गेहूं के लिए वर्ष 2020-21 में धान का एमएसपी 1,868 रुपये है। भाजपा की केंद्र सरकार ने किसानों के हित में पिछले छह वर्षों में विभिन्न फसलों के एमएसपी में लगभग 40% की वृद्धि की है।
एमएसपी में दाल, मसूर, मग जैसे उत्पादों की खरीद की गई है।
गुजरात में, इसने पिछले 4 वर्षों में 15,000 करोड़ रुपये के समर्थन मूल्य पर खरीदा है।
पिछले छह वर्षों में केंद्र की भाजपा सरकार ने एमएसपी से 8 लाख करोड़ रुपये का धान और गेहूं और 112 लाख मीट्रिक टन दाल खरीदी है।
सही कीमत मिलने पर वह कृषि उपज को व्यापारी को बेच सकेगा।