गुजरात बीजेपी की जीत के लिए पाटिल और रूपानी के बीच घातक प्रतिद्वंद्विता

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दिलीप पटेल

गांधीनगर, 24 फरवरी 2021

गुजरात भाजपा ने 6 महानगरो की जीत का जश्न मनाने के लिए एक प्रतियोगिता शुरू की है। भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल और गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी जीत की आंतरिक लड़ाई लड़ रहे हैं।

चुनावों में भाजपा का जनाधार बढ़ा है। भाजपा की विजय रैली आयोजित होने पर पाटिल ने जीत का दावा किया। मुख्यमंत्री विजय रूपानी के पास शहरी विकास विभाग है। तो रूपाणी का यह भी दावा है कि यह जीत सरकार के सुशासन के कारण है।

इस प्रकार, भाजपा के दो नेताओं के बीच लड़ाई में अमित शाह कहीं नहीं हैं। इस चुनाव में मोदी द्वारा अमित शाह को बाहर कर दिया गया था। उन्हें गुजरात में कहीं भी भटकने की अनुमति नहीं है। मोदी ने अमित शाह को पटकनी दी है। तो अमित शाह समूह के रूपानी और मोदी समूह के पाटिल के बीच एक घातक प्रतिद्वंद्विता है। मुकाबला वास्तव में मोदी और अमित शाह के बीच है। मोदी और पाटिल ने अमित शाह को चुनाव प्रचार से बाहर क्यों रखा? अमित शाह अब गुजरात की राजनीति में कहीं नहीं है।

6 महानगरों में 576 शहरी बावड़ियाँ हैं। भाजपा के नगरसेवकों की संख्या 2015 में 394 से बढ़कर 2021 में 483 हो गई है। भाजपा का वोट शेयर 2015 में 50.28 प्रतिशत से बढ़कर 2021 में 53.08 प्रतिशत हो गया।

भाजपा को 22.85 फीसदी ईजाफा सीटों में हुंआ है।

2015 में कांग्रेस के पास 175 शहरी बावे थे। जो कि 2021 में घटकर 55 हो गई है। कांग्रेस का वोट शेयर 41.57 फीसदी से गिरकर 28.86 फीसदी हो गया है। आप और अन्य के पास 38 सीटें हैं।

2015 में अहमदाबाद में भाजपा के पास 142 सीटें थीं, 2021 में 159 सीटें हो गई है। 6 नगर निगमों में 576 सीटों में से 484 में भाजपा उम्मीदवारों को जीत दिलाने के लिए मैं जनता जनार्दन को धन्यवाद देता हूं। इसके लिए मैं लोगों को धन्यवाद देता हूं। – सीआर पाटिल ने अहमदाबाद में कहा।

सूरत शहर 100% कांग्रेस मुक्त होने वाला भारत का पहला शहर बन गया। अब भरत सोलंकी गुजरात को 100% कांग्रेस मुक्त बनाएंगे। सूरत में, 2021 में 0 नगरसेवक, 2019 में सांसद, 2017 में 0 विधायक। जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। गुजरात के अधिकांश बुद्धिजीवियों का मानना ​​है कि कांग्रेस को राष्ट्रीय स्तर पर मशीन वोटिंग का विरोध करके कागज पर मतदान करने की प्रथा का विरोध करना चाहिए। क्योंकि, 2019 में, लोकसभा में, गुजरात में कांग्रेस 0 हो गई है। ऐसे ही सूरत में कांग्रेस 0 हो गई है। इस तरह 2022 में विधायिका में शून्य हो जाएगा। यह श्रेय पाटिल को जाता है। क्योंकि पाटिल मोदी के आदमी हैं।