गुजरात सरकार ने 79 हजार जानवरों के जननांगों को काट दिया

The government has cut off the genitals of 79 thousand animals, while farmers have cut off countless parts of their own animals.

गांधीनगर, 20 अक्तुबर 2020

गुजरात में बड़े जानवरों पर अपनी सुविधा के लिए मनुष्यों द्वारा किए जा रहे अत्याचारों के चौंकाने वाले विवरण हैं। खराब हो चुके सांडों या पेडों को नोंच कर उनकी नसबंदी की जा रही है। पिछले साल, 79,000 मवेशी का जननांग काट दिए गए थे। गांधीनगर में 5507, राजकोट में 7059, जूनागढ़ में 5641, वडोदरा में 5652, सूरत में 5545, मेहसाणा में 5913 में थे। जहां अमूल है वो आणंद में 1277 खेड़ा में 1800 सांडो का जननांग काटे गये है।

ओलाद खराब नहीं होता है

ऐसे सांडों के जननांग काट दिए जाते हैं ताकि वे गायों की नस्लों को खराब न करें। कम दूध आने वाले मवेशियों को जन्म नहीं देता है। ऐसे जानवर को बंगरा बैल कहा जाता है। यदि इस संख्या की गणना 10 वर्षों में की जाए तो 6 लाख पशुओं का जननांग काटे हो सकती है।

राज्य सरकार ऐसे सांड के जननांग काटने के लिए रु .100 का भुगतान करती है। लायंस या रोटरी क्लब कैंप के आयोजन में अपना हाथ आजमा रहा है। गायों के प्रजनन को उन बैल द्वारा रोका जाता है जो शुद्ध गिर या कांकरेज नस्ल के नहीं होते हैं।

10 लाख बैलों की कीटाणुशोधन

हालांकि, अगर 55 लाख किसानों द्वारा खेती के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले बैल या बैलों की संख्या में जननांग काटा जाती है, तो यह 10 लाख बैल-भेंस होगी।

81 लाख पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान

अगली साल 81 लाख मादा जानवरों को कृत्रिम रूप से गर्भाधान किया गया था। 81 लाख गायों और भैंसों का कृत्रिम रूप से गर्भाधान किया जाता है। अब प्रजनन के किया सांढ की आवश्यक नहीं है।

जंगल में तेंदुए का खुराक

अहमदाबाद शहर में, जानवरों का गुप्त अंग काट दिया जा रहा है क्योंकि वे लोगो को काट रहे हैं। 60,000 लोग हर साल कुत्तों द्वारा काटे जाते हैं। 500 बिल्लियाँ , 200 बंदर, अन्य ऊंटों, सूअरों, घोड़ों, चूहों, अन्य जानवरों द्वारा काटे जाने की 200 ऐसी घटनाएं हर साल होती हैं। राज्य भर में 6 से 6.50 लाख लोग को ए जानवर काटते हैं। तो सवाल यह है कि क्या इन सभी जानवरों को स्थानांतरित किया जाना चाहिए या उन्हें पकड़ा जाना चाहिए और शिकारियों के लिए भोजन प्रदान करने के लिए जंगल में छोड़ दिया जाना चाहिए। क्युं की तेंदुए हर साद दूध देने वाला 30 हजार पालतु गाय-भेंस-भेंड-बकरी को शिकार बनाते है। तो उनकी जगह ए काटने वाले को क्युं नहीं भेजा जा शकता है।

8 प्रमुख शहरों में 3 लाख कुत्तों का स्टरीलाईझ

अहमदाबाद में, प्रति वर्ष 30,000 कुत्तों को स्टरीलाईझ करने के लिए 2 करोड़ रुपये का खर्च आता है। 2010 की गीनती के अनुसार अहमदाबाद में 2.50 लाख कुत्ते थे। एक कुत्ते को बच्चा देने में बेअसर करने के लिए औसतन 900 रुपये का खर्च आता है। सूरत में 46 हजार कुत्तों को पकड़ने के लिए 4 करोड़ रुपये खर्च किए गए। माना जाता है कि 8 महानगरों में कुल 3 लाख कुत्तें है। यह तेंदुए के क्षेत्रों में कुत्तों को छोड़ने के लिए इतनी लागत पर भी नहीं आता है।

सरकार कहती है 2.50 लाख कुत्ते हैं

गुजरात पशुपालन विभाग के अनुसार, पूरे राज्य में कुत्तों की संख्या 2.56 लाख थी। अब कौन सच्चा है? विभाग के अधिकारी का कहना है कि अहमदाबाद में 16 हजार, सूरत में 13 हजार और दाहोद में 55 हजार कुत्ते पीछली गीनती में मिले हैं।

13 प्रकार के टीके

भेड़, बकरी, ऊँट, गाय, भैंस सहित पूरे राज्य में पशुधन की कुल संख्या 2.71 करोड़ है। इस जानवर के शरीर में 13 प्रकार के टीकों की 50 मिलियन खुराकें इंजेक्ट की जाती हैं। फीर भी 32 लाख जानवर बीमार हो जाते हैं। वैक्सीन और एन्टीबायोटीक दवा दूध के माध्यम से मानव शरीर में आती है।

21 लाख टन खाद्य कारखाना

21 लाख टन फैक्ट्री निर्मित कृत्रिम भोजन गायों और भैंसों को खिलाया जाता है। एक गाय रोजाना 6 से 41 लीटर दूध देता है। 2020में सवसे ज्यादा दूध देनेवाली गाय का दूध 41 लीटर एक दीन में मिला था। 1 हजार करोड़ किलो दूध प्राप्त होता है। जिनसे दूध, चॉकलेट, दही, पनीर, घी, मक्खन डेयरी उत्पादों की 211 किस्में बनाई जाती हैं। वह आदमी, उत्साह से खाता है। बहुत से लोग है जो दूध या जानवरों से जो मीलता है वो खाना बंद कर रहे हैं। क्योंकि दूध सहित ऐसी चीजें मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। एक वर्ग यह है कि उसने दूध पीना बंद कर दिया है और उसकी बीमारी ठीक हो गई है। एसा लोको का अनुभव है। ईस लीये गुजरात में रो फूडका नया दौर शूरुं हुंआ है।