विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा समर्थित कई स्टार्ट-अप, कई उपकरणों के जरिए रास्ता दिखा रहे हैं। इनमें वे स्टेथोस्कोप शामिल हैं जिनका इस्तेमाल डॉक्टर मरीज को छुए बिना कर सकते हैं। ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर शामिल हैं जो अस्पताल में ही ऑक्सीजन पैदा करने में अस्पतालों की मदद कर सकते हैं। साथ ही इनमें पोर्टेबल एवं ऐप-नियंत्रित IOT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) आधारित वेंटिलेटर सिस्टम शामिल हैं।
कई भारतीय चिकित्सा उपकरण निर्माताओं और स्वदेशी ऑटोमेशन कंपनियों ने महामारी को एक चुनौती के रूप में लिया और संपर्क में आए बिना रोगियों के इलाज एवं निगरानी के लिए वेंटिलेटर, पोर्टेबल रेस्पिरेटरी एड्स या उपकरणों के अभिनव डिजाइन पेश किए।
1. डिजिटल स्टेथोस्कोप
वर्ष 2017 में आईआईटी बंबई में सोसाइटी फॉर इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप (साइन) में लगाए गए अयू डिवाइस ने एक डिजिटल स्टेथोस्कोप विकसित किया है जो डॉक्टरों को मरीजों से सुरक्षित दूरी बनाए रखते हुए उनके की दिल और फेफड़े की आवाज सुनने में मदद कर सकता है। डिवाइस असामान्य आवाज की पहचान करता है और रोगियों का उपचार करने में मदद करता है।
यह ब्लूटूथ रेंज के रूप में ब्लूटूथ रेंज को बढ़ाने और इसे दूर से नियंत्रित करने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। जहां मौजूदा डिजिटल स्टेथोस्कोप, स्मार्टफोन ब्लूटूथ का इस्तेमाल करते हैं, उनका डिवाइस डेटा में सीमा और स्थिरता बढ़ाने के लिए एक अतिरिक्त ब्लूटूथ मॉड्यूल के साथ काम करता है। यह स्पष्ट ध्वनि के लिए बाहरी शोर को हटाने की खातिर फिल्टर के साथ फिट भी है, यह भारतीय क्लीनिकल सेटिंग में इस्तेमाल करने योग्य है जहां ओपीडी में पीछे से काफी आवाज आती है। इसकी मदद से डॉक्टर पीपीई के साथ छाती की आवाज सुन सकते हैं जो पारंपरिक स्टेथोस्कोप के साथ संभव नहीं है।
2. पोर्टेबल ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर
अम्बाला स्थित वाल्नूट मेडिकल द्वारा विकसित किया गया पोर्टेबल ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर अस्पतालों की अस्पताल में ही ऑक्सीजन पैदा करने में मदद करता है। यह एक स्मार्टक्लोज्ड लूप सिस्टम है जो ऑक्सीजन के स्तर की निगरानी करता है और रोगी को आवश्यकतानुसार पर्याप्त ऑक्सीजन देता है। यह भारत में बनाया गया पहला ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर है और यह स्वचालित ऑक्सीजन फ्लो तकनीक से लैस है जो रोगी को हाइपरॉक्सिया की तकलीफ से बचाएगा।
सही समय पर डीएसटीसे मिली मदद से स्टार्टअप को पांच लीटर और 10 लीटर के ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर मॉडल और ऑक्सीमीटर के साथ-साथ उनके प्रयास को आगे बढ़ाने में प्रेरित किया। ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर्स के निर्माण के लिए विशाल सांचों की आवश्यकता होती है और डीएसटी से मिली सहायता ने उनकी जापान, अमेरिका और चीन के उत्पादों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करने के लिए गुणवत्ता वाले सांचों में निवेश करने में मदद की। आईआईटी दिल्ली की इनक्यूबेशन टीम ने तकनीक की सफलता तय करने के लिए उनके साथ काम किया।
3. वेंटिलेटर
पुणे की नोका रोबोटिक्स ने एक वेंटिलेटर विकसित किया है, जो इनवेसिव और नॉनइनवेसिव, दबाव-नियंत्रित मोड और कम वाट क्षमता की जरूरत के साथ सौर ऊर्जा से संचालित होता है। यह मेडिकल एयरलाइन और ऑक्सीजन के साथ-साथ परिवेशी वायु और ऑक्सीजन के साथ काम करता है और इसमें ऐप आधारित नियंत्रण और आईओटी सक्षम प्रणाली लगी है।
4. स्मार्ट वेंटिलेशन सिस्टम
हैदराबाद की एरोबायोसिस टेक्नोलॉजीज ने एक स्मार्ट वेंटिलेशन सिस्टम पेश किया है। यह पोर्टेबल, लागत प्रभावी, आईओटी- सक्षम और लिथियम आयन बैटरी द्वारा संचालित होता है। यह बिना रुके पांच घंटे काम करता है और इनवेसिव और नॉनइनवेसिव दोनों है, डिवाइस स्मार्टफोन ऐप से नियंत्रित होता है। सिस्टम सांस लेने के पैटर्न और फेफड़े से जुड़े दूसरे महत्वपूर्ण मापदंडों की रियल-टाइम जानकारी प्रदर्शित करता है। यह एक ऑक्सीजन सिलेंडर से जुड़ सकता है और परिवेशी हवा में अपने दम पर काम कर सकता है।
5. डिफिब्रिलेटर
गर्मी से होने वाली बीमारियों को देखते हुए, पुणे स्थित जीवनवेट्रोनिक्स ने डिफिब्रिलेटर नामक एक उपकरण विकसित किया है जो हृदय में एक इलेक्ट्रिक पल्स या झटका देकर सामान्य धड़कन को बहाल करता है। यह अरिद्मिया को रोकने या ठीक करने के लिए उपयोग किया जाता है, अरिद्मिया दिल की वह धड़कन है जो असमान या बहुत धीमी या बहुत तेज होती है। स्टार्टअप ने दो ऊर्जा स्रोतों से चलने वाले डिफाइब्रिलेटर (ग्रिड और हैंड क्रैंकंड) विकसित किया है, साथ ही एक बैट्री का भी विकास किया है जो अचानक पड़ने वाले दिल के दौरे के लिए लेस डिफाइब्रिलेटर है।