गांधीनगर, 8 जनवरी 2020
25 अगस्त, 2015 को अहमदाबाद के जीएमडीसी ग्राउंड में टीवी पर पोलीस अत्याचार देखने के बाद लोगों ने पुरे गुजरात में भाजपा सरकार के सामने हंगामा किया। 25, 26 और 27 अगस्त को एक भाजपा नेता के निर्देश पर पुलिस ने पाटीदार के घर में घुसकर तोडफ़ोड़ की, मारपीट की, 8 पाटीदारो को गोली मार कर मौत के घाट उतार दिया। महिलाओं को प्रताड़ित किया था। कंई पाटीदारो के सामने आज भी केस चल रहा है।
गुजरात की आनंदी – रूपानी सरकारो और मोदी सरकारने कोई कार्यवाही न करने पर पाटीदारों ने 25 मार्च 2016 को संयुक्त राष्ट्र में शिकायत दर्ज कराई। मुंज आयोग के गठन के बारे में कुछ नहीं हुआ है। सरकार ने जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कुछ नहीं किया। महिला आयोग, मानवाधिकार आयोग, पुलिस आयोग में शिकायतें दर्ज की गईं। इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
मामले की जांच के लिए संयुक्त राष्ट्र में पास के प्रवक्ता वरुण पटेल द्वारा एक आवेदन किया गया था। सभी सबूत और वीडियो प्रदान किए गए थे।
अनुरोध के बाद, UNO ने भारत के मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखकर इसकी जाँच करने को कहा था। पत्र के दो महीने बाद वरुण पटेल का जवाब अहमदाबाद बोपल पुलिस स्टेशन में लिया गया। पत्र 2 महीने पहले भेजा गया था, लेकिन जवाब 2 महीने बाद लिया गया था। पुलिस ने इस बारे में कोई विवरण जारी नहीं किया है कि उन्होंने क्या रिपोर्ट की। बोपल पुलिस इसे गुप्त रखे हुए है।
25, 26 और 27 अगस्त को पाटीदारों का गुजरात भर में दमन किया गया। अपमानजनक भाषा बोलने पर लोगों की पिटाई की गई। मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन हुआ।
यदि सही उत्तर दिया जाता, तो पाटीदारों पर दमन के मुद्दे से भारत सरकार, गुजरात सरकार और संयुक्त राष्ट्र में पुलिस की कठिनाई बढ़ जाएगी। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कुछ करने को तैयार नहीं थे।
8 जनवरी 2021 तक वरुण पटेल को कोई जानकारी नहीं दी गई है। वे प्रतीक्षा कर रहे हैं। पुंज पंच की भी मांग की गई है।