जब गुजरात में 2002 में सांप्रदायिक दंगे हुए, तो गोरधन ज़डफिया गृह राज्य मंत्री थे। अहमदाबाद में सबसे बड़ा नरसंहार नरोडा पाटिया में हुआ। गोरधन ज़डफिया उस समय नरोडा के पास राखियाल विधानसभा क्षेत्र में विधायक थे। इस घटना को अब लोग भूल गए हैं और फिर से अपराधियों को घटना की याद दिला दी है। तो लगता है क्या, किसी को फिर से 2002 याद आई है। क्यों 18 साल बाद फिर से भुला दी गई चीजें कई मायनों में उल्लेखनीय हैं। इस एक राजनीति और सांप्रदायिक दंगे से जुड़ी हुई है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सी आर पाटील RSS की टोपी पहने 15 अगस्त को झंडे को सलामी देने तुरंत बाद वो सौराष्ट्र की बहुत महत्वपूर्ण राजकीय यात्रा पर हैं। उसी समय, सौराष्ट्र भाजपा में लोकप्रिय गोरधन ज़डफिया पर हमला का प्लान है। यह अपराधियों के दृष्टिकोण से और राजनीति के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। गुजरात भाजपा में अभी सबसे मजबूत लॉबी सौराष्ट्र की है। दक्षिण गुजरात लॉबी अब जमीन हासिल कर रही है। नया अध्यक्ष बनाने के बाद पुराने लोबी को तोड़ा जा सकता है। भाजपा उपाध्यक्ष गोरधन जदाफिया भाजपा सीआर पाटिल के करीबी हैं। गोरधन ज़डफिया सौराष्ट्र से हैं। ईस घटना के बाद हो सकता है की उनको सौराष्ट्र में महत्वपूर्ण पद दीया जा सकता है। क्युं की वो सौराष्ट्र की राजनीति के माहिर है।
— All GUJARAT NEWS (@allgujaratnews) August 19, 2020
राज्य भाजपा को एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपने की संभावना को देखते हुए, अपराधियों ने गोरधन ज़डफिया पर हमला करने का फैसला किया हो । वर्तमान में सौराष्ट्र में, गवर्नर वजु वाला, कृषि मंत्री आरसी फालदू, केन्द्र के कृषि मंत्री परषोत्तम रूपाला, संगठन मंत्री भीखुभाई दलसानिया, केन्द्र के बंदर मंत्री मनसुख मांडविया सौराष्ट्र से हैं। नई जगह पर नये लोको को लाना हो सकती है। इस संभावना को देखकर हमले की साजिश भी हो सकती है।
महाराष्ट्र के एक मूल निवासी सी। आर पाटिल के आगमन के साथ हार्दिक पटेल कांग्रेस में मजबूत हो रहे हैं, कुछ तत्वों को जानकारी हो सकती है कि ज़ाडफिया अब सौराष्ट्र में एक मजबूत स्थिति पे आ सकते हैं। तो ऐसा कृत्य हो सकता है। जब किसी राजनीतिक व्यक्ति पर हमला किया जाता है तो अधिक राजनीतिक कारण होते हैं। खुद को गिरफ़्तार आरोपी का कहना है कि उसे गोरधन ज़डफिया को मारने के लिए सुपारी दिया गया था।
दक्षिण गुजरात लॉबी को मजबूत करके, सौराष्ट्र में एक नई लॉबी लाकर भाजपा को मजबूत करने के लिए काम किया जा रहा है। जहां पाटिल की वजह से दक्षिण गुजरात मजबूत हुआ है, वहीं सौराष्ट्र को मजबूत करना जरूरी है। क्योंकि यहां का जीतना नेता है भाजपा में इतना समूह भाजपा में है। 2017 में विधानसभा सीटों में सौराष्ट्र में गिरावट आई है। दक्षिण गुजरात में विधायक बढ़ गया है। इसलिए सौराष्ट्र को एक मजबूत नेता की जरूरत है, जो उनसे लड़ सके।
गोरधन जदाफिया भाजपा संगठन में महासचिव रह चुके हैं। उन्होंने जयंती केवट और संजय जोशी के साथ काम किया है। उनके पास दो दलों, माजपा और जीपीपी की स्थापना करने का मजबूत अनुभव है। वे संगठन बनाने में माहिर हैं। जब वह सरकार में थे तब भी उनका प्रदर्शन खराब था। मगर संगठन में वो सबकुछ कर शकते है। शंकरसिंह वाघेला के बाद जिस तरह से वे महत्व प्राप्त कर रहे थे इसलिए शायद किसी ने उनसे छुटकारा पाने के लिए होगा।
गोधन ज़डफिया हिंदुओं के कट्टर समर्थक थे। वे विश्व हिंदू परिषद और डॉ। प्रवीण तोगड़िया से जुड़े थे। उन्होंने मोदी से लड़ने के लिए तोगड़िया को तैयार किया था। ज़ाडफिया की पार्टी को डॉ। तोगड़िया का ज़बरदस्त समर्थन हासिल था। गोरधन ज़डफिया 2004 से किसी भी हिंदू आंदोलन से नहीं जुड़े हैं। इसलिए यह विश्वास करना मुश्किल है कि एक मुस्लिम जिहादी उन्हें खत्म करने के लिए आएगा।
पुलिस ने कमरा बुक किया था, गोरधनभाई को बताया कि यह होने वाला था। तो बड़ा सवाल यह है कि वह व्यक्ति यहां कैसे पहुंचा। जो लोग सालों से गोरधन ज़डफिया से जुड़े हुए हैं उनका मानना है कि यह नाटक है। गोरधन जदाफिया पहले मोदी के खिलाफ थे, लेकिन उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपने के बाद, वह मोदी के करीब आ गए है। गुजरात में दो भाजपा समूह हैं, एक मोदी समूह और एक अमित शाह का समूह। गोरधन ज़दाफिया नरेंद्र मोदी के समूह में हैं। वह अब अमित शाह के साथ नहीं हैं।
(यह लेख लेखक के स्वयं के विश्लेषण और राजनीति की समझ है।)