अमित शाह को पीछे रखकर योगी आदित्यनाथ भाजपा में तीसरे से दूसरे स्थान पर

उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भाजपा में राजनीतिक ग्राफ में तेजी से वृद्धि देखी है। दिल्ली की चकाचौंध से दूर, योगी आदित्यनाथ ने देश में अपनी छवि बनाई है। योगी निस्संदेह भगवद्धारी है। लेकिन उनकी विचारधारा और हिंदुत्व की विचारधारा प्रशासन में नहीं देखी जाती है। अमित शाह में ऐसा नहीं है। भारत के लोको अमित शाह को नापंद करते है। गुजरात में हो भाजपा पर शासन करते हेै मगर प्रजा पर कभी शाशन नहीं किया। गुजरात के लोक उनको धिक्कारते आये है।

वह कानून के खिलाफ बड़े पैमाने पर बनाई हुई मुठभेड़ के बाद एक सख्त राजनीतिज्ञ के रूप में उभरे हैं। कुछ ने उन पर मुस्लिम विरोधी होने और जातिवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। फिर भी उन्होंने भाजपा में अपनी जगह बनाई है।

वह अब भाजपा के मुख्यमंत्रियों या शिवराज सिंह चौहान और गुजरात सहित सभी राज्यों के नेताओं से आगे हैं, और एक लोकप्रिय मुख्यमंत्री हैं। अब नरेंद्र मोदी और अमित शाह के बाद तीसरे स्थान पर हैं।

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी एक विफल और होपलेश मुख्यमंत्री हैं। गुजरात के इतिहास में कभी भी इतना कमजोर मुख्यमंत्री नहीं रहा। उन्हें भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं के बीच जगह नहीं मिली। उनका मुख्यमंत्री के पहले जो पद था वह भी चला गया है। गुजरात के लोगों ने रूपानी को एक सफल मुख्यमंत्री के रूप में कभी नहीं देखा।

बेशक, राजनाथ सिंह आधिकारिक रूप से पार्टी और सरकार में नंबर 2 के व्यक्ति हैं, लेकिन योगी ने देश के कट्टर हिंदुत्व बलों का दिल जीत लिया है। जो अमित शाह में नजर नहीं आता है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो वे अमित शाह से आगे निकल जाएंगे।

हालांकि योगी चार बार लोकसभा सांसद रहे हैं, लेकिन वे मुख्यधारा की राजनीति में खुद के लिए जगह नहीं बना पाए हैं। लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में, वह आर्थिक और सामाजिक मामलों को छोड़कर सभी से आगे हैं। अब वह विदेश में खुद को मजबूत करने के लिए अमेरिका जा रहे हैं, जहां वह सार्वजनिक समारोहों को आयोजित करके आगे आने की तैयारी कर रहे हैं जहां मोदी ने सभा को संबोधित किया। यहां तक ​​कि अमित शाह भी ऐसा नहीं कर सके। शायद मोदी उनकी सबसे ज्यादा मदद कर रहे हैं। ताकि वह अन्य सभी भाजपा नेताओं को पीछे छोड़ सके। योगी अमित शाह के साथ सीधे मुकाबले में हैं। अब सवाल पूछा जा रहा है कि वे अमित शाह से कैसे आगे निकलते हैं।