बच्चों की पहली पाठशाला में ही बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी
अहमदाबाद, 7 अप्रैल 2025
गुजरात में प्राथमिक शिक्षा से पहले बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए चलाई जा रही आंगनवाड़ी केंद्रों की स्थिति चिंताजनक है। राज्य की कुल 53,050 आंगनवाड़ियों में से 719 केंद्रों में पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध नहीं है, जबकि 1,711 आंगनवाड़ियों में शौचालय की भी व्यवस्था नहीं है।
केंद्र सरकार की एकीकृत बाल विकास योजना (ICDS) के तहत आंगनवाड़ी महिला कार्यकर्ताओं द्वारा बच्चों को पौष्टिक आहार प्रदान किया जाता है। लेकिन, यह योजना कई जगहों पर सिर्फ कागजों तक सीमित रह गई है। महिला कार्यकर्ता अपने वेतन से बच्चों को नाश्ता उपलब्ध करवा रही हैं, क्योंकि सरकार की ओर से दिए जाने वाले भुगतान पिछले आठ महीनों से लंबित हैं।
इसके अलावा, आंगनवाड़ी बहनों को निर्धारित न्यूनतम वेतन भी नहीं मिल रहा है। कई सुपरवाइज़र के पद खाली हैं, और अदालत के आदेश के बावजूद ग्रैच्युइटी की राशि भी अब तक नहीं मिली है। सरकारी मोबाइल फोन पुराने हो चुके हैं, जिससे कामकाज प्रभावित हो रहा है।
आंकड़ों में हालात:
- पाइप के साथ जल सुविधा: 48,166
- पीने के पानी की सुविधा: 52,331
- चालू शौचालय: 51,339
- चालू रसोईघर: 49,029
- स्थायी बिजली कनेक्शन: 52,612
- सौर ऊर्जा से संचालित आंगनवाड़ी: 2,254
जहां गुजरात की सिर्फ 2,254 आंगनवाड़ियां सौर ऊर्जा से चलती हैं, वहीं महाराष्ट्र की 1.10 लाख आंगनवाड़ियों में से 26,840 केंद्रों में सौर ऊर्जा की व्यवस्था है। बिहार, कर्नाटक, हरियाणा, ओडिशा जैसे अन्य राज्यों की स्थिति गुजरात से बेहतर है।
बनासकांठा में ग्रांट घोटाला:
बनासकांठा जिले की 2,344 आंगनवाड़ियों को स्कूल मरम्मत के लिए 2 करोड़ रुपये की ग्रांट दी गई थी, लेकिन इसका सही उपयोग नहीं हुआ। इसको लेकर भ्रष्टाचार की शिकायतें दर्ज की गई हैं।
बच्चों के भविष्य को संवारने का काम करने वाली आंगनवाड़ियों में इस तरह की बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण कई माता-पिता बच्चों को निजी नर्सरी या बाल मंदिरों में भेजना ज्यादा पसंद कर रहे हैं।