प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरा देश ‘कोविड-19’ की विकट चुनौती का सामना करने में असीम हिम्मत, दृढ़ता और संयम का परिचय दे रहा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी को स्मरण करते हुए बताया कि बापू कहा करते थे कि गरीबों और विभिन्न सुविधाओं से वंचित लोगों की सेवा करना ही राष्ट्र की सेवा करने का सबसे अच्छा तरीका है और इसके साथ ही उन्होंने मानवता की सेवा के प्रति इन संगठनों के समर्पण और प्रतिबद्धता की सराहना की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इन संगठनों की तीन प्रमुख विशेषताएं हैं: मानवीय दृष्टिकोण, बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंच एवं उनसे जुड़ाव और सेवा करने की अनुपम मानसिकता, जिसकी बदौलत लोग उन पर आंख मूंद कर विश्वास करते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्र एक अप्रत्याशित संकट का सामना कर रहा है और इन संगठनों की सेवा एवं उनके संसाधनों की जितनी आवश्यकता अभी है उतनी पहले कभी नहीं रही थी। उन्होंने सुझाव दिया कि ये संगठन गरीबों के लिए बुनियादी आवश्यकताओं की ठोस व्यवस्था करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं और इसके साथ ही वे अपनी चिकित्सा सुविधाओं एवं स्वयंसेवकों को मरीजों तथा जरूरतमंद लोगों की सेवा करने के लिए समर्पित कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने यह बात रेखांकित की कि ‘कोविड-19’ की चुनौती से पार पाने के लिए देश को अल्पकालिक उपायों और एक दीर्घकालिक विजन दोनों की ही सख्त आवश्यकता है।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि अंधविश्वास, गलत धारणाओं और भ्रामक सूचनाओं से निपटने में उन्हें अहम भूमिका निभानी है। उन्होंने इस ओर ध्यान दिलाया कि गलत धारणाओं के कारण लोगों को विभिन्न स्थानों पर इकट्ठा होते हुए और फिर सामाजिक दूरी बनाए रखने के मानदंड का उल्लंघन करते हुए देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि वायरस को फैलने से रोकने के लिए सामाजिक दूरी बनाए रखने के विशेष महत्व का और भी अधिक प्रचार-प्रसार करना अत्यंत आवश्यक है।
समाज कल्याण संगठनों के प्रतिनिधियों ने अत्यंत निपुणता के साथ एक जटिल परिस्थिति का सामना करने में प्रधानमंत्री के नेतृत्व की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने सरकार के उन अत्यंत सक्रिय उपायों की भी सराहना की जो वायरस को फैलने से रोकने में काफी प्रभावकारी साबित हो रहे हैं। इन संगठनों ने ‘पीएम केयर्स फंड’ में अपना योगदान देने का संकल्प व्यक्त किया। इसके साथ ही इन संगठनों ने कहा कि उनके कार्यबल संकट की इस घड़ी में राष्ट्र की सेवा के लिए पूरी तरह से समर्पित होंगे। इन संगठनों ने चुनौती से निपटने के लिए वर्तमान में उनके द्वारा किए जा रहे विभिन्न कार्यों के बारे में भी बताया जिनमें डिजिटल माध्यमों से जागरूकता अभियान चलाना, जरूरतमंद लोगों के बीच आवश्यक वस्तुओं, खाद्य पदार्थों के पैकेटों, सैनिटाइजर एवं दवाओं का वितरण करना और चिकित्सीय मदद देना शामिल हैं।
प्रधानमंत्री ने जागरूकता बढ़ाने, बुनियादी आवश्यकताओं की व्यवस्था करके गरीबों एवं जरूरतमंदों की मदद करने एवं चिकित्सीय मदद देने के साथ-साथ अपने स्वयंसेवकों को कोविड-19 से संक्रमित लोगों की सेवा के लिए समर्पित करने के महत्व को दोहराया। उन्होंने चिकित्सीय एवं वैज्ञानिक परामर्श देने और भ्रामक सूचनाओं से निपटने के महत्व पर विशेष बल दिया। प्रधानमंत्री ने इस महामारी की चुनौती का सामना करने के लिए निरंतर एक साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया।
प्रधानमंत्री के सलाहकार और नीति आयोग के सीईओ ने भी इस विचार-विमर्श में भाग लिया।