अहमदाबाद, 10 जून, 2020
गुजरात के शिक्षा मंत्री भूपेंद्रसिंह चुडासमा उच्च न्यायालय में चुनाव का मामला हारने के बाद, इसका सीधा प्रभाव उनके विभाग पर भी पड़ा है। विभाग की पढ़ाई बिगड़ गई है। गुजरात बोर्ड के मानक 10 का परिणाम आया है जिसमें 40% छात्र असफल रहे हैं। यह प्रतिशत पिछले वर्ष की तुलना में 6.33% अधिक है। गुजरात में शिक्षा के बिगड़ते स्तर के बारे में गंभीरता से सोचने की जरूरत है। इस बात का खुलासा शिक्षा विशेषज्ञों ने किया है।
गुजरात बोर्ड का परिणाम 10 वीं है जिसमें 60.64% छात्र उत्तीर्ण हुए हैं। यह प्रतिशत पिछले वर्ष की तुलना में 6.33% कम है। इस साल A1 ग्रेड में केवल 1671 छात्र ही पास हुए हैं। पिछले साल 4974 छात्र ए 1 ग्रेड से पास हुए थे। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष केवल डी ग्रेड से पास होने वाले छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई है। जिसमें 13977 छात्र इस साल डी ग्रेड से पास हुए हैं। पिछले साल यह संख्या 6288 थी। यह बहुत चिंता का विषय है। सबसे कम परिणाम आदिवासी जिले दाहोद में 47.47% है।
रूपानी सरकार की विफलता
गुजरात सरकार द्वारा 2019 में किए गए एक आंतरिक सर्वेक्षण से पता चला है कि गुजरात में एक या दो शिक्षकों के साथ 12000 प्राथमिक स्कूल हैं। 9000 स्कूलों में खेल के मैदान नहीं हैं। भाजपा की विजय रूपानी सरकार की सबसे बडी विफलता है। अपने प्रधान उच्च न्यायालय में हार जाते है फीर भी उनको अपने शिक्षा मंत्री के पद में विजय रूपानी चालु रखते है।
गुजरात में, 11376 प्राथमिक विद्यालय शीट वाले छत पर चल रहे हैं। साथ ही 10,000 से अधिक नए क्लासरूम जीर्ण-शीर्ण हैं।
दिसंबर 2019 में विधानसभा में शिक्षा मंत्री द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के लिए 2371 रिक्तियां हैं। इनमें से 494 अंग्रेजी और 884 विज्ञान और गणित शिक्षक हैं।
उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में 4020 शिक्षकों की रिक्ति है। गुजरात राइट टू एजुकेशन फोरम ने पहले कई बार सरकार को लिखा है कि राज्य में शिक्षा के स्तर को सुधारने की आवश्यकता है। गुजरात के शिक्षा के अधिकार मंच के मुजाहिद नफीस ने कहा.