गुजरात में कीमोथेरेपी के दुष्प्रभाव को कम करने वाली मशीन को पेटेंट

12 मार्च 2025

गुजरात के वडोदरा स्थित एम.एस. यूनिवर्सिटी सहित गुजरात की चार और कर्नाटका की एक यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने मिलकर कैंसर के इलाज के लिए नैनो पार्टिकल ड्रग डिलीवरी मशीन की डिज़ाइन को भारत सरकार के पेटेंट ऑफिस से पेटेंट प्राप्त किया है।

कैंसर के इलाज में मरीजों को कीमोथेरेपी दी जाती है, जिसमें केवल कैंसर कोशिकाओं का ही नहीं, बल्कि शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं का भी नाश हो जाता है, क्योंकि यह दवा पूरे शरीर में फैलती है। इसके कारण शरीर पर कीमोथेरेपी के कई दुष्प्रभाव देखने को मिलते हैं। शोधकर्ताओं का दावा है कि उन्होंने जो मशीन बनाई है, उसके माध्यम से कीमोथेरेपी के दुष्प्रभावों में 25 प्रतिशत तक कमी आएगी।

शोधकर्ताओं की टीम के सदस्य और एम.एस. यूनिवर्सिटी के पूर्व पीएचडी स्कॉलर डॉ. विश्वजीत चावड़ा ने कहा, “हमने जो मशीन डिज़ाइन की है, उसे ‘टार्गेटेड पीएच सेंसिटिव ड्रग डिलीवरी सिस्टम’ नाम दिया है। इस प्रणाली के तहत, जब मरीज को कीमोथेरेपी दी जाएगी, तो मशीन के माध्यम से पीएच (पोटेंशियल ऑफ हाइड्रोजन) को बैलेंस किया जाएगा। सामान्य शरीर की कोशिकाओं का पीएच वैल्यू 7.4 होता है, जबकि कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं का पीएच वैल्यू 6.5 होता है, जिससे दवा केवल कैंसर कोशिकाओं को लक्षित करेगी और स्वस्थ कोशिकाओं को दवाइयों के दुष्प्रभाव से बचाएगी।”

उन्होंने आगे कहा कि अब पेटेंट मिलने के बाद, हम इस मशीन को और विकसित करने के लिए काम करेंगे और उम्मीद करते हैं कि यह प्रणाली कैंसर के इलाज में क्रांतिकारी साबित होगी।

शोधकर्ताओं की टीम:

  1. मानसी गांधी, गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी
  2. डॉ. विश्वजीत चावड़ा, पूर्व पीएचडी स्कॉलर, एप्लाइड कैमिस्ट्री, एम.एस. यूनिवर्सिटी
  3. प्रो. डॉ. प्रणव श्रीवास्तव, गुजरात यूनिवर्सिटी, कैमिस्ट्री विभाग
  4. डॉ. प्रियंका शाह, नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी, धारवाड़
  5. डॉ. वैशाली संदीपकुमार सुथार, एप्लाइड कैमिस्ट्री, एम.एस. यूनिवर्सिटी
  6. नवीन चौधरी, एप्लाइड फिजिक्स, एम.एस. यूनिवर्सिटी

कीमोथेरेपी क्या है?
कीमोथेरेपी एक उपचार है जिसमें कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने वाली दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे शरीर में रक्त के माध्यम से या गोलियों के रूप में दिया जाता है।

कीमोथेरेपी के दुष्प्रभाव क्या हो सकते हैं?
कीमोथेरेपी से पहले जैसी दुष्प्रभावों की संख्या अब कम हो गई है, इसके दो प्रमुख कारण हैं — दवाइयों की गुणवत्ता में सुधार और मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट की विशेषज्ञता का लाभ मरीजों को मिलना। इसके बावजूद, कीमोथेरेपी के दौरान या दो डोज के बीच दुष्प्रभाव हो सकते हैं जैसे कि थकान, शरीर में दर्द, स्वाद में बदलाव, उल्टी, कब्ज या दस्त, बुखार, भूख कम होना और बालों का गिरना। अधिकांश दुष्प्रभाव सामान्य होते हैं और जल्दी ठीक हो जाते हैं।

कीमोथेरेपी कौन दे सकता है?
कीमोथेरेपी एक आसान प्रक्रिया लग सकती है, लेकिन इसे देने का तरीका बहुत ध्यान से निर्धारित किया जाता है। कीमोथेरेपी की दवा, उसकी खुराक और समय, इन सभी को केवल एक विशेषज्ञ मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट द्वारा ही तय किया जा सकता है। मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट वह विशेषज्ञ होते हैं जो कीमोथेरेपी, हॉर्मोन थेरेपी, टार्गेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी में निपुण होते हैं।

कीमोथेरेपी के लिए इसके प्रकार क्या होते हैं?

  1. Neo-Adjuvant – ऑपरेशन से पहले कैंसर की गांठ को छोटा करने के लिए।
  2. Adjuvant – ऑपरेशन के बाद कैंसर को फिर से होने से रोकने के लिए।
  3. Concurrent – रेडिएशन के साथ गांठ को घटाने या ऑपरेशन के लिए उपयुक्त बनाने के लिए।
  4. Palliative – अंतिम चरण के कैंसर में मरीज की तकलीफ कम करने और जीवनकाल बढ़ाने के लिए।

कीमोथेरेपी कैसे दी जाती है?

  1. Intravenous (IV) – कीमोथेरेपी को बोतल में डालकर मरीज की नस में दिया जाता है।
  2. Oral – कुछ प्रकार के कैंसर में कीमोथेरेपी गोलियों के रूप में दी जाती है।
  3. Subcutaneous – त्वचा के नीचे इंजेक्शन के माध्यम से दिया जाता है।

कीमोथेरेपी का शेड्यूल क्या होता है?
कीमोथेरेपी आमतौर पर सप्ताह में एक बार, दो सप्ताह में एक बार, तीन सप्ताह में एक बार या चार सप्ताह में एक बार दी जाती है। यह शेड्यूल मरीज के कैंसर के प्रकार और उनकी शारीरिक स्थिति के आधार पर तय किया जाता है।

कीमोथेरेपी कितने समय तक दी जाती है?

  1. डे केयर कीमो – यह प्रक्रिया 30 मिनट से 8-10 घंटे तक हो सकती है।
  2. इंडोर कीमो – यह प्रक्रिया 24 घंटे या उससे अधिक समय तक चल सकती है।

इलाज से पहले की जांच: कीमोथेरेपी देने से पहले रक्त परीक्षण, 2डी इको और यूरिन टेस्ट जैसी जांचें की जाती हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मरीज को उस दिन कीमोथेरेपी देने के लिए तैयार है या नहीं।